UP News: उप्र चिकित्सा शिक्षा विभाग व कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने आपसी गठजोड़ से चिकित्सा शिक्षा को धनाढ्य परिवारों तक सीमित करने की साज़िश कर रखी है। मेडिकल कॉलेजों को भ्रष्टाचार और लूट का अड्डा बना दिया है।
न्यूज इंप्रेशन Lucknow: भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को शिक्षा के मूल अधिकार की प्रतिभूति देता है परन्तु उप्र चिकित्सा शिक्षा विभाग और कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने आपसी गठजोड़ से चिकित्सा शिक्षा को धनाढ्य परिवारों तक सीमित करने की साज़िश कर रखी है। मेडिकल कॉलेजों को भ्रष्टाचार और लूट का अड्डा बना दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय संयोजक संविधान संरक्षण मंच के गौतम राणे सागर ने पत्रकारों से कहा कि भारतीय संविधान; देश के सभी नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार सुनिश्चित करने की सरकारों को जो हिदायत देता है। उसके साथ सरकार के विभाग मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन तन्त्र से सांठ गांठ करके शिक्षा और स्वास्थ्य को जनमानस की पहुंच से दूर न कर दें। आगे बोलते हुए गौतम राणे ने विस्तार से विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ ने याचिका संख्या सी 6828/2024 पर दिनांक 17/8/ 2024 को एक आदेश पारित करते हुए कहा कि मेडिकल चिकित्सा विभाग शुल्क विनियमन समिति का गठन कर फीस निर्धारण कर दें। अनुपालन में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने समिति गठित कर मनमाने ढंग से सभी मेडिकल कॉलेजों की फीस अलग अलग निर्धारित कर दी।
अध्यापन की फीस सभी कॉलेजों की भिन्न-भिन्न रखना घोटाले की तरफ़ इशारा है करता गौतम राणे सागर ने कहा कि मेरा मानना है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सरकार की तरफ़ से कोई ग्रांट नहीं दिया जाता लिहाज़ा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान इनकी फ़ीस रखी भी नहीं जा सकती है। हम यह मांग नहीं कर रहे हैं कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान कर दिया जाए। हमारी माँग यह है कि सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फ़ीस एक समान क्यों नहीं हो सकती? जब सभी मेडिकल कॉलेज के पाठ्यक्रम, भवनों का मानक, आवंटित छात्रों की संख्या के अनुपात में रोगियों के बेड संख्या, अध्यापन के लिए शिक्षकों की संख्या के साथ ही साथ प्रत्येक कॉलेज के लिए मानक एक ही निर्धारित है, तब अध्यापन के लिए सभी कॉलेजों में फ़ीस समान क्यों नहीं हो सकती? एक खास बात और आप सभी के संज्ञान में यह भी लाना प्रासंगिक है कि सभी कॉलेजों में छात्रावास, मेस और अन्य विविध फ़ीस समान ही निर्धारित की गई है। तब भी अध्यापन की फीस सभी कॉलेजों की भिन्न भिन्न रखना बड़े घोटाले की तरफ़ इशारा करता है।
फ़ीस फिक्सेशन कमेटी मेडिकल कॉलेजों के लिए निर्धारित फ़ीस पर करे पुनर्विचार
लोकहित में भविष्य में इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा, यदि इन मेडिकल छात्रों को सरकारी नौकरी मिलती है तो वेतन समान होगा, तब वह बेईमानी करने के नए रास्ते निकाल लेंगे, उन्हें अनैतिक कार्य के लिए उप्र मेडिकल शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग प्रोत्साहित कर रहा है। अन्यथा प्राइवेट हॉस्पिटल खोलने की स्थिति में यह व्याधिग्रस्त लोगों का इलाज़ करने के नाम पर पूरा खून ही चूस लेंगे। ऐसी दशा में भारतीय संविधान देश के नागरिकों को स्वस्थ स्वास्थ्य की जो प्रतिभूति देता वह पूरी तरीक़े से ध्वस्त हो जायेगा। लोक व्यवस्था के लिए यह आशंकित स्थिति किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है। देश के सभी नागरिकों का स्वस्थ स्वास्थ्य पर मौलिक अधिकार है, इन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है। संविधान संरक्षण मंच उप्र मेडिकल शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग व उप्र शासन से मांग करता है कि फ़ीस फिक्सेशन कमेटी को मेडिकल कॉलेजों के लिए निर्धारित फ़ीस पर पुनर्विचार करते हुए सभी कॉलेजों की फ़ीस एक समान रखनी चाहिए। उदाहरणार्थः श्रीराम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बरेली की फ़ीस ₹16,48,512/प्रति वर्ष और हिन्द इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज सीतापुर की फ़ीस ₹10,77,229 निर्धारित की गई है। केएमसी मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल महाराज गंज, अजय सांगल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज शामली, श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर गोरखपुर, श्री सिद्धि विनायक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल संभल इन सभी की फ़ीस में समानता है जो कि ₹12,58,288 है।
फ़ीस में विषमता रखकर कदाचार की ओर उन्मुख करना न्यायसंगत नहीं उप्र शासन से हमारी माँग है कि सभी कॉलेजों की फ़ीस ₹10,77,229, या ₹16,48,512 या फिर यदि शैक्षणिक गुणवत्ता को समान रखना है तब चार कॉलेजों के लिए निर्धारित शुल्क ₹12,58,288 को पैमाना मानते हुए सभी कॉलेजों के लिए यही शुल्क नियमित कर दिया जाए। फ़ीस में विषमता रखकर लोक व्यवस्था को कदाचार की ओर उन्मुख करना न्यायसंगत नहीं है। इस असमानता को नए सत्र आरम्भ से पहले समाप्त कर सभी कॉलेजों के लिए समान फ़ीस सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए। लोक व्यवस्था में सदाचार बना रहे शासन को अपनी नैतिक बल प्रदर्शित करना चाहिए, हम लोक व्यवस्था में शासन को कदाचार फैलाने की अनुमति नही दे सकते। यदि संविधान सम्मत हमारी बात नही मानी गई तो संविधान की रक्षा और लोक व्यवस्था में सदाचार स्थापना के लिए लोकतन्त्र में उपलब्ध सभी विकल्पों के माध्यम से शासन की मनमानी को रोकने की हमारी हर संभव कोशिश होगी।
सभी कॉलेजों की फ़ीस को एकरूप होना चाहिए
अनीस अंसारी सेनि आईएएस ने कहा कि सभी कॉलेजों की फ़ीस को एकरूप होना चाहिए अन्यथा सिर्फ छात्रों का ही नहीं अपितु प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा। शिक्षा के बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है तो बढ़ाई जाए और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने की जरूरत है। पीसी कुरील ने कहा कि मेडिकल शिक्षा को सहज और सरल बनाया ताकि समाज में सभी की भागीदारी हो सके। अजय कुमार रवि ने कहा कि मेडिकल शिक्षा का व्यावसायिक करण देश के साथ धोखा है इसे रोका जाना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा को सस्ता बनाने की ज़रूरत है ताकि इसका लाभ उस व्यक्ति के बच्चे की पहुंच मे हो जो हाशिए पर पड़ा है। सोहित यादव ने कहा कि सरकार सभी कॉलेजों की फ़ीस समान रखे और जिस कॉलेज ने अधिक फ़ीस वसूली है उसे वापस कराया जाए।