Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन को जेल, भाजपा का खेल
Jharkhand Politics: राज्यपाल अपने पद की गरिमा को ताख पर रखते हुए चुप्पी साधे हुए है। 24 घंटे के बाद भी राज्यपाल का कहना है कि हम कानूनी सलाह ले रहे हैं। राज्यपाल कानूनी सलाह ले नहीं रहे है, बल्कि वह भी उस खेल के हिस्सा बने हुए है। वह भाजपा के आलाकमान के इशारे पर काम कर रहे हैं।
अलखदेव प्रसाद ’अचल’
न्यूज इंप्रेशन
Bihar: देश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में बने रहने के लिए किस हद तक नीचे गिर सकती है, कहना मुश्किल है। भले ही सरकार के शीर्षस्थ नेता यह बयान देकर अपनी साफगोई का परिचय देते हों कि ईडी और सीबीआई जैसी सरकारी एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। उसमें सरकार का हाथ नहीं होता।यह सिर्फ कहने भर के लिए है कि इसमें जो भी कर रही है सरकारी जांच एजेंसियां कर रही है। परंतु भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यहां की सारी सरकारी जांच एजेंसियों को सिर्फ अपना मोहरा बना लिया है। उन जांच एजेंसियों को हिम्मत नहीं है कि स्वतंत्र रूप से कोई भी काम कर सके। कोई भी कदम उठा सके। सरकार के किसी नेता के यहां बिना इशारा के छापेमारी कर सके। सरकारी जांच एजेंसियां तो वही करेगी, जहां सरकार उसका इस्तेमाल करना चाहेगी। ऐसा नहीं है कि भाजपा के नेता दूध के धुले हुए हैं। उनलोगों से भ्रष्ट तो कोई हो ही नहीं सकता है। फिर भी ईडी और सीबीआई जैसी सरकारी जांच एजेंसियां उन्हें छुएगी तक नहीं। ईडी, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां सिर्फ विपक्ष के नेताओं के घर ही छापेमारी करेगी। पुख्ता सबूत न भी मिलेगा, फिर भी करेगी। जैसा कि भाजपा सरकार में यह सबकुछ देखा जा रहा है। इससे आम लोगों को भी यह लगने लगता है कि लोग भ्रष्ट हैं, तब तो ईडी और सीबीआई छापेमारी कर रही है।जिसका लाभ भाजपा इस रूप में प्रचारित-प्रसारित कर उठाती रही है कि देखिए, विपक्ष के नेता कितने भ्रष्ट हैं। विपक्ष के नेताओं के पास कितनी अवैध संपत्तियां हैं। ताकि जनता के बीच विपक्षी नेताओं की साख गिर सके और जिसका लाभ भाजपा वालों को मिल सके। ये सबकुछ भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र का परिणाम है।
भाजपा अपने खेल से विपक्ष को कमजोर कर देना चाहती
भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीचता किसी से छिपा हुआ नहीं है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि कभी प्रधानमंत्री ताल ठोककर महाराष्ट्र में कहा करते थें कि अजीत पवार 70 करोड़ के भ्रष्टाचारी हैं। उन्हें जेल की हवा खाना तय है। परंतु जैसे ही अजीत पवार ईडी के भय से भाजपा साथ हो जाते हैं। वैसे ही ईडी का मामला तो खत्म हो ही जाता है, सरकार में उपमुख्यमंत्री का ओहदा भी दे दिया जाता है। ऐसे नारायण राणे, छगन भुजबल, हेमंत विश्वशर्मा सहित अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं। जो विपक्ष में थे, तो ईडी और सीबीआई के रडार पर थे। जब भाजपा के साथ आ गये, तो मंत्री बनकर सरकार की शोभा बढ़ा रहे हैं। भाजपा सरकार अपने ऐसे ही खेल से विपक्ष को कमजोर कर देना चाहती है।झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इंडिया गठबंधन के साथ मजबूती के साथ जब खड़े दिखे, तो भाजपा सरकार को नागवार गुजरा। क्योंकि उसे झारखंड में अधिक से अधिक लोक सभा की सीटें चाहिए।जो हेमंत सोरेन के अड़ियल रवैया के सामने संभव नहीं दिख रहा था। जबकि इसके पहले भाजपा ने हेमंत सोरेन को इंडिया गठबंधन छोड़ने के लिए दबाव भी बनाया था कि आप इंडिया गठबंधन छोड़कर हमारे गठबंधन के साथ आ जाएं अन्यथा इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। जब हेमंत सोरेन ने अपने स्वाभिमान का परिचय दिया और उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, तो ईडी का भय दिखाया। जब हेमंत सोरेन उससे भी नहीं डरे, तो ईडी के माध्यम से उन्हें गिरफ्तार करवा लिया। जबकि गिरफ्तारी के पहले हेमंत सोरेन ने यह साफ कहा कि यह सबकुछ एक राजनीतिक साज़िश के तहत् किया करवाया जा रहा है। “ मैं शिबू सोरेन का बेटा हूं, झुकूंगा नहीं। संघर्ष करना हमारे खून में है।“ कहा जाता है कि एक जमीन की लेन-देन के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। जिस पर हेमंत सोरेन का कहना है कि मुझे बेवजह तबाह किया जा रहा है। उसमें कितनी सच्चाई है, वह तो एक दिन सामने आ ही जाएगी। इस पर हेमंत सोरेन ने अपना इस्तीफा भी दे दिया। उनके इस्तीफा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ जो भी गठबंधन में थे, उन्होंने अपना विधायक दल का नेता चंपई सोरेन को चुन भी लिया।
24 घंटे बाद भी सरकार बनाने की अनुमति नहीं
झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं। जिसमें बहुमत के लिए 41 विधायक चाहिए। उसके बजाय इंडिया गठबंधन की तरफ 49 का बहुमत है। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद चंपई सोरेन ने राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए दावा भी ठोका कि सरकार बनाने की अनुमति दी जाए। फिर भी वहां का भाजपाई राज्यपाल अपने पद की गरिमा को ताख पर रखते हुए चुप्पी साधे हुए है। 24 घंटे के बाद भी राज्यपाल का कहना है कि हम कानूनी सलाह ले रहे हैं। राज्यपाल कानूनी सलाह ले नहीं रहे हैं, बल्कि वह भी उस खेल का हिस्सा बना हुए हैं। वह भाजपा के आलाकमान के इशारे पर काम कर रहे हैं। जिस तरह का खेल भाजपा खेल रही है। उसके अनुसार अल्पमत में होते हुए भी तिकड़म के साथ सरकार बनना चाहती है। इस दौरान या तो इधर के विधायकों को तरह तरह का प्रलोभन देकर, खरीद फरोख्त कर तोड़ने के प्रयास में लगी होगी। उसमें कामयाबी मिल जाएगी, तो खुद सरकार बनवा लेगी और अगर तिकड़म में असफल हो जाएगी, तो राष्ट्रपति शासन लागू करवा देगी।भाजपा सरकार इसी तरह का खेल विपक्ष के अन्य मुख्यमंत्रियों व विपक्ष के अन्य मजबूत नेताओं के साथ भी खेल सकती है। जो देखने के लिए मिल सकता है।