अजब गजब: सरकारी स्कूल की शिक्षिका के उपहास ने कमल को बना दिया इंग्लिश नॉवेल का राइटर

•दो महीने में लिखा पहला बुक Existence

• Grave के नाम से आयेगा दूसरा नॉवेल

 

राहुल कुमार बसु

न्यूज़ इंप्रेशन, संवाददाता

Bokaro: स्कूली जिंदगी के दौरान एक शिक्षिका के उपहास, उपेक्षा ने कमल झा को एक इंग्लिश राइटर बना दिया। शिक्षिका की उपेक्षा को पॉजिटिव लिया, इसी का नतीजा है कि विद्यार्थी रहते इंग्लिश में एक पुस्तक की रचना की। पुस्तक का नाम existence है, जो बाजार में काफी डिमांड है, खासकर युवाओं के बीच में। ‘existence’ का मतलब अस्तित्व है, हर इंसान का अपना एक वजूद होता है। राइटर कमल झा का कहना है कि यह पुस्तक इसलिए खास है कि यह ना poem है और ना ही नॉवेल, मेटाफ्रेजल पोएट्री है, शायरी की तरह है। कोरोना कल के दौरान वर्ष 2020 में सिर्फ दो महीने में पोएट्री बुक को पूरा किया। इनकी जिंदगी की पहली पुस्तक है, जिसका प्रकाशन 4 मार्च को booksclinic publicing के माध्यम से किया गया। अब तक 800 प्रतियां बिक चुकी है। एमेजॉन, किंडल, गूगल बुक्स सहित अन्य प्लेटफार्म पर भी यह बुक उपलब्ध है। इंटरनेशनल ईबुक पर भी उपलब्ध है। इंग्लिश के बड़े बड़े राइटरों और लोगों ने ‘existence’ को पढ़ा और सराहा।

सरकारी विद्यालय में पढ़कर बना इंग्लिश राइटर

कमल झा ने गांव के सरकारी स्कूल उत्क्रमित मध्य विद्यालय रानीपोखर से मैट्रिक की। इंटरमीडिएट एसएल आर्य कॉलेज और स्नातक बोकारो स्टील सिटी कॉलेज से पढ़ाई की। फिलहाल इसी कॉलेज में इंग्लिश विषय में पीजी कर रहे हैं। हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाला शख्स आज इंग्लिश का राइटर कैसे बन गया ? लेखक ने बताया कि कक्षा 9 में रानीपोखर की शिक्षिका ने अंग्रेजी में My Mother पर लेख लिखने को दिया था, लेख सही नहीं लिख पाया, अन्य छात्रों ने भी लिखा, मेरा लेख तथ्यपूर्ण नहीं था, जिसके लिए मुझे काफी अपमानित व उपेक्षित किया गया, खुदको आत्मगलानी हुई। सर झुकाकर शिक्षिका की बातों को सुनता रहा। मन ही मन मैंने संकल्प लिया कि अंग्रेजी भाषा को ठीक करनी है, इस भाषा को मजबूत करने के लिए जीवन का लक्ष्य बना लिया, इस दौरान इंग्लिश की कोचिंग की, अच्छे अच्छे राइटर्स की किताबों का अध्ययन किया। आज इस काबिल हूं की अंग्रेजी में पोयम और नॉवेल नाम लिख सकता हूं।

डिप्रेशन का होना पड़ा था शिकार

वर्ष 2017 में रांची में आईआरबी इंडियन रिजर्व बटालियन की परीक्षा में शामिल हुआ। फिजिकल, लिखित परीक्षा और मेडिकल में पास हो गया। डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन में माइनर गलती के कारण छट गया। वर्ष 2019 में रेलवे की प्रतियोगिता परीक्षा में मेरिट लिस्ट में नाम नहीं आया। लगातार असफलता के बाद डिप्रेशन में भी चला गया, चिकित्सक से इलाज कराने के बाद मनोदशा में बदलाव हुआ, पर कभी हार नहीं माना।

400 पेज का आयेगा ग्रेव नॉवेल

कमल झा एक नॉवेल लिख रहें है, जिसका नाम Grave हैं जो 400 से अधिक पन्नों का होगा। इनका कहना है कि बाजार में इस पुस्तक को आने में करीब छह महीने लगेंगे। उनका कहना है कि पुस्तक लिखने से अधिक इसका प्रकाशन कराना चुनौती है। अपनी पहली पुस्तक छपवाने के लिए कई प्रकाशकों के दरवाजे खटखटाएं, सभी ने छापने की कीमत 30,000 से 40,000 रुपए बताएं।

प्रोफाइल

नाम कमल कुमार झा

पिता अशोक चंद्र झा,

माता गायत्री देवी

तीन भाई एक बहन, भाई विमल झा व रंजीत झा

मूल निवासी सेक्टर 9 स्थित रानीपोखर, बोकारो, मोबाइल 9905120844।

 

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