संघर्ष : आदिवासी भाषा ‘हो’ को ख़त्म करने की रची जा रही साजिश, पीएम व सीएम के नाम डीसी को सौंपा ज्ञापन
हो भाषा द्वितीय राजभाषा दिवस के अवसर पर आदिवासी भाषा हो को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर आदिवासी हो समाज युवा महासभा बोकारो जिला इकाई ने मंगलवार को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूबे के मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा। नेतृत्व समाजिक कार्यकर्ता योगो पुर्ती ने किया। मौके पर समाजसेवी रेंगो बिरूवा कहा कि भारत का संविधान ने आदिवासियों के भाषा, संस्कृति को संरक्षण का ज़िम्मा सरकार को सौंपा था, लेकिन आज इसको ख़त्म करने की षड्यंत्र रची जा रही है। बिरूवा ने कहा कि हो भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा के प्रयासों को तेज़ करने की जरूरत है। ज्ञात हो कि झारखंड राज्य में 30 अगस्त 2011 को द्वितीय राज्य भाषा के रूप में हो भाषा को शामिल किया गया है, लेकिन आठवीं अनुसूची में हो भाषा को आज भी शामिल नहीं किया गया है। मौके पर अधिवक्ता कालीपद हेंब्रम, चंद्रकांत पुर्ती, सोनाराम गोडसोरा, फूलचंद सुरीन, अलका, पदमा पिंगुवा, संजय कुमार, सुरेश सोरेन, अंजू बोदरा, सोनाली पुर्ती, दीपक सवैया सहित अन्य मौजूद थे।