प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा ने कहा–मारंग बुरू आदिवासियों का है ईश्वर, पारसनाथ पहाड़ अविलंब संताल आदिवासियों को किया जाए वापस 

Bokaro: पारसनाथ पहाड़ को अविलंब संताल आदिवासियों को वापस करने की मांग को लेकर मंगलवार को आदिवासी सेंगेल अभियान ने उपायुक्त कार्यालय के समीप धरना दिया। धरना में शामिल आदिवासियों ने हेमंत सरकार मारंग बुरू जैन धर्मावलंबियों को सुपुर्द करने का विरोध किया। इस मौके पर झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा ने कहा कि मारंग बुरू आदिवासियों का ईश्वर है। मारंग बुरू गिरिडीह जिला क पीरटांड प्रखंड के पारसनाथ पहाड़ में अवस्थित है। संताल आदिवासी अपनी सभी पूजा अर्चना में सबसे पहले हिरला मारंग बुरू हिरला का उच्चारण करते हैं। पारसनाथ पहाड़ में आदिवासियों का जाहेरथान का पूजा स्थल है। यहां युगो-युगों से आदिवासी पूजा अर्चना और धार्मिक सांस्कृतिक सेंदरा या शिकार भी करते आ रहे है। उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासियों का प्रथम अधिकार है। इसकी पुष्टि इंलैंड में अवस्थित प्रीवी काउंसिल ने भी 1911 में जैन बनाम संताल आदिवासी के विवाद पर संताल आदिवासियों के पक्ष में फैसला देकर किया था। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से मारंग बुरू को आदिवासियों को वापस करने की मांग की। कहा कि हेमंत सरकार ने मारंग बुरू पारसनाथ पहाड़ को जैनियों को सौंप दिया है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन हमेशा केवल वोट और नोट का राजनीति किया है। मौके पर केंद्रीय संयोजक हराधन मार्डी, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष देव नारायण मुर्मू, अरूण किस्कु, आनंद टुडू, बोकारो जिला संयोजक भीम मुर्मू, बोकारो जिला सेंगेल टावर के जयराम सोरेन आदि उपस्थित थे।

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