करीब दो सौ वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पेटरवार प्रखंड के बुंडू पंचायत के मठ टोला के प्राचीन दुर्गा मंदिर में होते आ रही है पूजा-अर्चना
PETARVAR : प्रखंड के बुंडू पंचायत अंतर्गत मठ टोला के प्राचीन दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की पूजा करने का इतिहास करीब दो सौ वर्ष पुराना है। पिछले दो सौ वर्षों से लगातार मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना होते आ रही है। इस संबंध में प्राचीन दुर्गा मंदिर के वर्तमान अध्यक्ष अनिल प्रसाद, सचिव सत्यम प्रसाद व कोषाध्यक्ष सोमेश प्रसाद ने बताया कि हमलोगों के पूर्वज मठ टोला निवासी स्व.गंगा प्रसाद, स्व. गया प्रसाद, स्व. बैजनाथ प्रसाद व स्व. शिवनाथ प्रसाद ने करीब दो सौ वर्ष पूर्व सर्व प्रथम एक छोटे से मिट्टी के घर में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की गई थी जिसके कारण इसे प्राचीन दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है। जैसे-जैसे पेटरवार की आबादी बढ़ती गयी, वैसे-वैसे दुर्गा मंदिर की स्थापना होते गयी। इस कड़ी में प्राचीन दुर्गा मंदिर खत्री टोला, वीणा परिषद मेला टांड, गुरुजुवा ओर सार्वजनिक दुर्गा मंदिर तेनुचौक में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा- अर्चना की जाने लगी। यह भी बताया कि प्राचीन दुर्गा मंदिर मठ टोला में शुरुआती दौर में भैंसे की बलि देने की प्रथा थी इसी बीच वर्ष 1940 में जब मारवाड़ से पेटरवार आये हरसुख लाल चंपा दास ने स्व. कृष्ण दास प्रसाद से कहा था कि एक ओर जहां आपलोग शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना करते है वही दूसरी ओर भैंसे की बलि देते है जो ठीक बात नही है और उनकी बात दिल में चुभ गयी और तभी से बलि प्रथा को बंद करके वैष्णवी पूजा प्रारंभ की गई जो आज तक जारी है। बताया कि हमारे पूर्वजों ने मिट्टी के घर को तोड़कर एक पक्के मंदिर का निर्माण कराया। कालांतर में दुर्गा मंदिर का स्वरूप काफी छोटा था लेकिन आज दुर्गा मंदिर का स्वरूप काफी बड़ा हो गया है जहां पर प्रत्येक वर्ष धूमधाम के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
1937 से हो रहा है धार्मिक नाटक का मंचन :
1937 से पूर्व जब यहां पर एक छोटे से मिट्टी के घर में मां दुर्गा की पूजा शुरू की गई थी तब नव युवक ड्रामेटिक क्लब का गठन किया गया था और उक्त क्लब के बैनर तले धार्मिक, सामाजिक और क्रांतिकारी नाटक का मंचन सफलता पूर्वक किया जाने लगा। क्लब के सदस्यों और पूजा कमेटी की ओर से पेट्रोमैक्स जलाकर नाटक का मंचन किया जाता था उस समय बिजली की कोई ब्यवस्था नही थी। नाटक देखने के लिए दूर- दराज के ग्रामीण हाथों में लालटेन जलाकर नाटक देखने आया करते थे ओर आज भी दुर्गापूजा के सप्तमी से लेकर नवमी तक धार्मिक नाटक के साथ- साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नव युवक संघ के तत्वावधान में किया जाता है।