करमाइति मिलन : सृष्टि की रक्षा के लिए सृजन जरूरी, सृष्टि का मूल आधार है नारी
करम झारखंड की महान संस्कृति परब है। हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। जावा सृजनशीलता का प्रतीक है। सृष्टि की रक्षा के लिए सृजन जरूरी है। उक्त बातें भाषा संघर्ष खतियान समिति के संयोजक जयराम महतो ने कही। वे सोमवार को बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड के सिलफोर आखड़ा में कुडमाली भाखि चारि अखाड़ा की ओर से आयोजित करमाइति मिलन के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सृष्टि का मूल आधार नारी है। महिला ही इसे पीढी दर पीढी आगे बढ़ाती है। कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से आए बहनों ने करम परब पर आधारित गीत गाकर नृत्य की। युवतियों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मौके पर कुड़माली लेखक तरनि बानुहड़, ध्रुव महतो, शकुन्तला महतो, अर्जुन रजवार, जगन्नाथ रजवार, महादेव डुंगरीयार, मुखिया काजल दास आदि ने भी संबोधित किया। इस दौरान रामपद दास, रूपेश महतो, राजेश महतो, पंकज महतो समेत अन्य थे।