आनंद नगर : आनंदमार्ग का बाबा नाम केवलम मन्त्र किसी विशेष पंथ, जाति, सम्प्रदाय व मजहब से नहीं रखता है कोई सम्बन्ध
विश्व शांति के लिए पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिलान्तर्गत पुनदाग स्थित आनंदनगर मुख्यालय ‘आनन्द नगर’ में चल रहे ‘बाबा नाम केवलम’ अष्टाक्षरी सिद्ध कीर्त्तन सातवें दिन देश विदेश के सैकड़ों आनन्दमार्गियों ने हिस्सा लिया। रविवार को पुरुलिया लोकसभा के सांसद (प. बंगाल) ज्योतिर्मय सिंह महतो अपने कार्यकर्त्ताओं के साथ कीर्त्तन में शामिल हुए।
सांसद ने कीर्त्तन मण्डप में स्थापित बाबा श्रीश्री आनन्दमूर्त्ति के प्रतिकृति को उन्होंने साष्टांग प्रणाम कर कीर्त्तन परिक्रमा में शामिल हुए। इसके बाद ‘सेवा धर्म मिशन’ के भूमण्डलीय सचिव आचार्य सवितानन्द अवधूत से उन्होंने कुछ मिनटों के अपने कीर्त्तन की अनुभूति व्यक्त करते कहा कि इस कीर्त्तन महामन्त्र का मन पर प्रभाव अद्भुत है। कहा कि आचार्य जी इस कीर्त्तन की पूर्णाहुति अच्छे ढंग से होनी चाहिए, क्योंकि यह सम्पूर्ण मानवता की रक्षा करेगी।इसमें सभी जीवों का है कल्याण :
सचिव ने सांसद को इसके महत्व को बताते हुए कहा कि ‘बाबा नाम केवलम’ मन्त्र का अर्थ है ‘वह परम प्रेम पूर्ण, परम आत्मीय सत्ता जो शाश्वत हैं और सभी जीवों के इष्ट व आराध्य हैं।’ यह मन्त्र किसी विशेष पन्थ, जाति, सम्प्रदाय, मजहब आदि से कोई सम्बन्ध नहीं रखता। यह सम्पूर्ण मानव जाति के लिये ग्राह्य व वरणीय है। इसका उद्देश्य सभी जीवों का कल्याण है।
बाबा नाम से टल जाएगा युद्ध की विभीषिका :
विदित हो कि ‘बाबा नाम केवलम’ कीर्त्तन की उद्भावना आनन्द मार्ग के प्रवर्त्तक श्रीश्री आनन्दमूर्त्ति ने 8 अक्टूबर 1970 को झारखण्ड के लातेहार जिलान्तर्गत ‘अमझरिया’ स्थान पर स्थित वन विभाग के गेस्ट हाउस के समीप किया था जो पहाड़ी जंगलों के भीतर एक अत्यन्त ही शान्त, मनमोहक तथा आध्यात्मिक परिवेश प्रस्तुत करता है। प्रवर्त्तक ने ‘बाबा नाम केवलम’ कीर्त्तन महामन्त्र की महिमा के ऊपर अनेक प्रवचनों के माध्यम से अनेक बहुमूल्य बातें कही हैं। इस कीर्त्तन महामन्त्र के बारे में उन्होंने ‘साधना सहायकम्’, ‘बाधा-विपत्ति विदूरकम्’, ‘रोग- व्याधि नाशकम्,’ पाप-दु:ख नाशकम्’ आदि कहा है। उन्होंने कहा है कि इस कीर्त्तन महामन्त्र का सामूहिक सुर- लय-तालबद्ध होकर जोर जोर से कीर्त्तन करने से बड़ा से बड़ा विपत्ति चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या मानव निर्मित युद्ध की विभीषिका, सभी टल जायेगा।
उत्पन्न होगा आध्यात्मिक भावधारा :
आज जब पूरी दुनिया प्राकृतिक प्रकोप(कोरोना संक्रमण) तथा भीषण युद्ध तथा युद्धाभ्यास में लगी है, मानवता का हित तथा मानवीय मूल्यों को तार तार करती विश्व के राष्ट्रों के मदान्ध राष्ट्राध्यक्षों के अकल्याणकारी निर्णयों से दुनिया परमाण्विक युद्ध के कगार पर खड़ी है, अत: एक अत्यन्त शक्तिशाली आध्यात्मिक भावधारा पैदा करके ही इन अविद्या शक्तियों को शान्त कर विश्व शान्ति की रक्षा की जा सकती है।
21 अगस्त से शुरू है कीर्तन :
आने वाले एक वर्ष तक अहर्निश अखण्ड कीर्त्तन महायज्ञ का आयोजन किया गया है। जिसका शुभारम्भ 21अगस्त 2022 को आनन्द मार्ग के श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत द्वारा किया गया था। इस अवसर पर आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के केन्द्रीय कार्यालय सचिव आचार्य रमेन्द्रानन्द अवधूत, आनन्द नगर के रेक्टर मा मास्टर आचार्य अनिर्वाणानन्द अवधूत, कीर्त्तन के व्यवस्थापक आचार्य प्रज्ञानानन्द अवधूत सहित अन्य संन्यासीगण उपस्थित थे।