Uttar Pradesh News: कैसा हिन्दू धर्म ?

Uttar Pradesh News: वैसे हिंदू धर्म में गैर ब्राह्मणों को अपमानित होने की उत्तर प्रदेश के इटावा की घटना कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी लोगों को अपमान का घूंट पीते रहना पड़ा है।

अलखदेव प्रसाद ’अचल’

न्यूज इंप्रेशन
Bihar: जिस धर्म में एक जाति विशेष का वर्चस्व हो। पढ़े-लिखे होने के बाद भी दूसरी जाति के लोगों को न पूजा-पाठ कराने का अधिकार हो,न यज्ञ कराने का अधिकार हो, न श्रीमद्भागवत कथा सुनाने का अधिकार हो, भले ही उसमें वह महारत हासिल क्यों न किया हो। फिर वैसा धर्म सभी हिन्दुओं के लिए हितकर कैसे हो सकता है ? जो कहा जाता है कि ’गर्व से कहो हम हिन्दू हैं’ वैसे धर्म पर कैसे गए गर्व किया जा सकता है?

जिस धर्म में एक ही जाति का महिमा मंडन हो
जिस धर्म में एक ही जाति का महिमा मंडन हो। उसे ही सर्वश्रेष्ठ करार दिया गया हो। जिसमें गैर ब्राह्मणों के लिए कोई स्थान नहीं हो? जहां अपने ही धर्म में अपमान का घुंट पीना पड़ता हो, उसे हिन्दुओं के लिए सर्वमान्य कैसे कहा जा सकता है? वैसे धर्म पर कोई कैसे गर्व कर सकता है? वैसे हिन्दू धर्म को लेकर नये लोगों के मन में यह धारणा बन गयी है कि पहले ऐसा वैसा होता होगा,पर अब वैसा नहीं है। अब हिन्दू धर्म में सभी को समान समझा जाता है। यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। हिन्दू धर्म में पहले भी ब्राह्मण ही सर्वश्रेष्ठ था और आज भी ब्राह्मण ही सर्वश्रेष्ठ है। यों कहिए कि हिन्दू धर्म का अर्थ ही है ब्राह्मण धर्म।

कथा वाचकों के सिर के बाल मुंडवाए जा रहे हैं
वैसे हिंदू धर्म में गैर ब्राह्मणों को अपमानित होने की उत्तर प्रदेश के इटावा की घटना कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी लोगों को अपमान का घूंट पीते रहना पड़ा है। पहले भी एक वैश्य महिला कथा वाचिका को फोन पर गाली भरी धमकी दी गयी थी और यह भी कहा गया था कि तुम नहीं मानोगी, तो जान से हाथ धोना पड़ेगा।परंतु हाल की घटना ने लोगों को और अधिक आंखें खोलकर रख दी है। इस समय जो एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कथा वाचकों के ऐसे सिर के बाल मुंडवाए जा रहे हैं, जूते चटवाए जा रहे हैं,एक ब्राह्मणी महिला से माफी मंगवाई जा रही है, उनलोगों पर अपशब्दों के बौछार किए जा रहे हैं, मानों कथा वाचकों ने कोई जघन्य अपराध कर दिया हो। ऐसे धर्म को तो लात ही मार देना चाहिए। कहा जा रहा है यह घटना उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के महेवा ब्लाक के दांदरपुर गांव की है। जहां ब्राह्मणों ने अपने गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया था। जिसमें कथा वाचन के लिए मुकुट मणि महाराज को बुलाया था। मुकुट मणि महाराज अपने दो सहयोगियों के साथ कथा कहने पहुंचे थे और उन्होंने 21 जून की रात कथा वाचन भी किया था। उसी क्रम में जब जाति को लेकर ब्राह्मणों को शक हुआ, तो कथा समाप्ति के बाद करीब दस बजे रात्रि को ब्राह्मणों ने कथा वाचक मुकुट मणि और उनके सहयोगियों से जाति पूछी ,तो इनलोगों ने साफ-साफ बता दिया कि हमलोग यादव जाति से आते हैं। पहले तो उनलोगों ने यह कहकर प्रताड़ित किया कि तुमलोग अपनी जाति छिपा रहे हो। आधार कार्ड दिखाओ। तुमलोग यादव नहीं दलित हो।जब इनलोगों ने कहा कि आधार कार्ड तो नहीं है। हमलोगों के घर वालों से पूछ लें।फिर जब इनलोगों ने फोन पर अपने घर वालों से बात करवायी, तो पता चला कि यादव ही हैं।

यादव होकर ब्राह्मणों के गांव में कथा कहने की हिम्मत कैसे हो गयी?
फिर क्या था! अपराधियों की तरह लगी मार पड़ने। उनलोगों ने अपमानित करते हुए कहा कि यादव होकर ब्राह्मणों के गांव में कथा कहने की हिम्मत कैसे हो गयी? कथा वाचन करना तो ब्राह्मणों का अधिकार है? अगर ब्राह्मण जाति के लोग उतना ही से बाज आ जाते, तो एक बात भी होती, परंतु अपमानित करने के लिए सार्वजनिक रूप से उनलोगों ने इन तीनों के बेढंगे तरीके से सिर के बाल कटवाए, जूते पर नाक और सिर रखकर माफी मंगवाया और जब उससे भी मन नहीं भरा, तो जिस ब्राह्मणी के चरण पर इन लोगों का सिर रखकर माफी मंगवाया था, उसी ब्राह्मणी के पेशाब को इनलोगों के सिर पर छिड़क कर कहा कि जाओ अब तुमलोग पवित्र हो गए। ब्राह्मणों ने इस घटना के माध्यम से साबित कर दिया कि असली हिन्दू धर्म यही है। ठीक है, कथा वाचक यादव जाति के ही थे, लेकिन वे भी तो हिंदू ही थे न? अगर हिंदू धर्म में समानता है, कोई भेदभाव नहीं है, तो ब्राह्मण जाति के लोगों ने इनलोगों को इतना अपमानित क्यों किया ?

धर्म को महिमा मंडित करते हैं, अपना धंधा चलाने के लिये

यह सब कुछ साबित करता है कि यहां ब्राह्मण जाति के लोग, बस यही समझते हैं कि पूजा-पाठ करवाना, यज्ञ करवाना, श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करना सिर्फ ब्राह्मणों का जन्म सिद्ध अधिकार है। इसके माध्यम से उनलोग दर्शाना चाहते हैं कि हिंदू धर्म में ब्राह्मण ही सर्वश्रेष्ठ है। ब्राह्मण ही इसके योग्य है। ब्राह्मणों को छोड़कर जो ऐसा करना चाहेगा, उसे इसी तरह का अंजाम भुगतना पड़ेगा। फिर जो यही ब्राह्मण जाति के लोग हिंदू धर्म और सनातन धर्म को महिमा मंडित करते हैं, वह लोगों के कल्याण के लिए नहीं, अपना धंधा चलाने के लिये। उनलोग समझते हैं कि हिंदू धर्म को जितना ही अधिक महिमा मंडित करेंगे, उतना ही लोग पूजा पाठ, यज्ञ, श्रीमद्भागवत कथा में लिप्त होंगे, उतनी ही अधिक हमारी दूकानदारी चलेगी। यही बात हिंदू धर्म के अंधभक्त समझ नहीं पा रहे हैं और ब्राह्मणों से आए दिन अपमानित होते जा रहे हैं।

बुलाने कर अपमान किया जाना, क्या हिंदू धर्म के लिए कलंक नहीं ?
इसमें सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब ब्राह्मण बहुल गांव था। आयोजक भी ब्राह्मण ही थे, तो कथा वाचन के लिए ब्राह्मणों को क्यों नहीं बुलाया था? क्या उनलोगों के संपर्क में कोई ब्राह्मण कथा वाचक नहीं था ? क्या अनजाने में मुकुट मणि महाराज को इनलोगों ने बुलाया था ? क्या ऐसा भी कहीं होता है क्या? अगर कथा वाचक उनलोगों के लिए अंजान थे, तो आने के पहले उनकी जाति के बारे में क्यों नहीं पता लगा लिया था? या फिर आयोजकों ने सस्ता कथा वाचक होने की वजह से तो इन लोगों को नहीं बुलाया था ? या फिर कथा वाचक को अपमानित करने की पूर्व नियोजित योजना तो नहीं थी?यह घटना एक साथ कई सवाल पैदा करती है? क्योंकि मुकुट मणि महाराज संत सिंह यादव जैसे लोग तो बिना बुलावे के गए नहीं होंगे? बुलाने के बाद इस तरह का अपमान किया जाना, क्या हिंदू धर्म के लिए कलंक नहीं है? क्या इसी को हिन्दू धर्म कहते हैं, जिसमें सिर्फ एक जाति विशेष का वर्चस्व है?

One thought on “Uttar Pradesh News: कैसा हिन्दू धर्म ?

  1. समसामयिक और बेहतरीन आर्टिकल

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