UP News: बीजेपी को जो हराएगा हम उसके साथ

UP News: 2027 उप्र विधानसभा चुनाव दो धुरी पर टिकेगा, भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने में होगी सफ़ल या भाजपा को हराने वाली टीम को मिलेगा विजयी भव का जनादेश?

 

गौतम राणे सागर 

Lucknow: हर ज़ुबान पर एक ही मशवरा: 2027 उप्र विधानसभा चुनाव दो धुरी पर टिकेगा, भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने में होगी सफ़ल या भाजपा को हराने वाली टीम को मिलेगा विजयी भव का जनादेश? भाजपा समर्थकों से अधिक सम्पर्क है नहीं तो उनकी मनःस्थित को भांपना आसान नही है। वैसे भी बीजेपी के परंपरागत वोटर्स कम ही हैं प्रबंधकीय गुणों से इकट्ठे किए गए उनके मतदाता अधिक हैं। जिनकी न तो कोई विचारधारा है और न ही दृष्टिकोण। वह तो क्षणिक लाभ के लिए किसी के भी पक्ष में अपने मतों का प्रयोग कर देते हैं। यक़ीनन हमारे इस प्रमाण पत्र से उस बड़ी संख्या का चरित्र हनन होगा जिनका भविष्य सिर्फ़ एक दिन की योजना पर टिका है। हम जैसे चिंतनशील व्यक्ति को इस तरह अन्याय करने से बचना चाहते हैं।

एक ऐसा वर्ग है जो घट-घट में विद्यमान है

दिहाड़ी मजदूर सिर्फ़ एक दिन ही योजना बना पाता है। ख़ासतौर पर उस दिन की जिस दिन उसे दिहाड़ी नसीब होती है। ऐसी स्थिति में उनके दामन पर बिकने वाले दाग़ लगाने से मन को संतुष्टि नही मिलती। उनके चरित्र पंजिका में इस तरह के शब्द हमने उकेरे ज़रूर हैं, परन्तु सोच हमारी नहीं है। उनके प्रति यह सोच मनुवादियों की है जो जातीय बेड़ियां तोड़कर सभी धर्म और संप्रदाय में मौजूद है। इस मनोवृत्ति के प्रदर्शन के लिए सिर्फ़ ब्राह्मण को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता है। यह एक ऐसा वर्ग है जो घट घट में विद्यमान है। उदाहरण के तौर पर एक ऐसे परिवार का चयन करते हैं जिसका एक भाई सरकारी नौकरी करता है, शहर में रहता है। दूसरा गांव में रहकर खेती बाड़ी करता है। फ़सल कटने के बाद फ़सल का एक बड़ा हिस्सा लेकर वह भाई को देने शहर पहुंच जाता है। अनाज देखते ही उसकी भाभी मन में कुढ़ने लगती है कि बस मुट्ठी भर अनाज लेकर आया है बाक़ी सब बेच दिया होगा। कोई यह नहीं सोचने को तैयार है कि उस मज़दूर भाई को समझाए कि जितना अनाज तुम लेकर आते हो, अनाज की क़ीमत से अधिक तो तुम्हारा किराया लग जाता होगा। भविष्य में अब अनाज मत लेकर आना तुम्हें बड़ी दिक्कत होती होगी।

चुनावी दंगल में बीजेपी को चारों खाने चित्त कर दे

एक खेतिहर मजदूर को कहां पता है कि बेईमानी और भ्रष्टाचार होता कैसे है! ख़ैर भाई के यहां पहुंचने के प्रसंग को विस्तार देते हैं। रात्रि का भोजन करने के उपरान्त भाई के बच्चे खाने का बड़ा हिस्सा थाली में छोड़कर उठ जाते हैं ताकि उसे कूड़ेदान में फेंका जा सके! साथ में भोजन कर रहा खेतिहर मजदूर जो कि डायनिंग टेबल पर नहीं बल्कि ज़मीन पर बैठ कर खाना खा रहा था। जैसे ही उसे आभास हुआ कि बच्चों द्वारा छोड़ा गया खाना कूड़ेदान में फेंका जाना है, वह झट उठा और सभी थालियों के बचे खाने को अपनी थाली में निकालकर खा जाता है। कठिन परिश्रम से पैदा किए गए अनाज को फेंकना उसे रास नहीं आया। उसकी भाभी अपने पति से चर्चा करते हुए कहती है कि इसका कितना बड़ा पेट है, भकोसता ही जा रहा है भरने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक ग़रीब बेसहारा व्यक्ति समाज, देश और उसकी एकता के लिए कितना समर्पित है फिर भी सरकारी सेवा में रहते हुए भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लोग सामान्य लोगो के चरित्र का चित्रण बिके हुए नागरिक के रूप में करते हैं। ग्रामीण परिवेश में रहने वाला व्यक्ति प्रदेश और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त देखना चाहता है। अपराध पर लगाम चाहता है, भय के वातावरण से निकलना चाहता है। अपनी मेहनत की पूरी मजदूरी चाहता है, भरसक प्रयास करता है कि उसके मतों से चुनी गई सरकार नैतिक हो। सरकारी नौकरियों से इकट्ठे किए गए अकूत धन के स्वामी चाहते हैं कि वह चुनाव में उसे वोट दें जो भाजपा को हरा दे। वह लॉकर में ही रहना चाहते हैं। मान लिया कोई ऐसा दल जिसे आपने अपना मत दिया है वह चुनावी दंगल में बीजेपी को चारों खाने चित्त कर दे। उससे आगे क्या, यदि उसने भी बीजेपी वाली कार्यशैली को अपना लिया तब क्या करेंगे? आपने उस दल में सिर्फ़ एक गुण देखा था बीजेपी को हराने की क्षमता, वह पूरा हो गया। अब क्या करेंगे, फ़िर दूसरे दल को तलाशेंगे उसे हराने के लिए? देश के नागरिकों ख़ासतौर से उप्र के सजग मतदाताओं मूल्यों पर आधारित राजनीति को महत्व दें। यदि एकबार आपने लोकतन्त्र की मर्यादा को आगे बढ़ाने वाले दल को राजनीतिक क्षितिज पर स्थापित करने की बीड़ा के साथ: साथ खड़े हो, तो बीजेपी सिर्फ़ एक बार ही नही हारेगी अपितु बीजेपी नाम का कोई दल भी था आप ढूंढ़ते रह जायेंगे। हम मनुवाद की जड़ों में लगातार गर्म पानी डालकर सूखा देंगे।

( उप्र प्रभारी, बहुजन मुक्ति पार्टी)

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