Special report on Anniversary of Vinoba Bhave : 11 सितंबर को झारखंड सर्वोदय मंडल ने संत विनोबा भावे की मनाई जयंती, संत विनोबा समाज में फैल रही हिंसा से थे व्यथित

Special report on Anniversary of Vinoba Bhave हजारीबाग में विनोबा की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए झारखंड संयोजक डॉक्टर विश्वनाथ आजाद ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला। कहा कि विनोबा भावे समाज में फैल रही हिंसा से व्यथित होकर उसके कारणों को जाना और के प्रयास के रुप में तेलंगाना के पोचमपल्ली के निकट गावों का अध्ययन किया।

रिपोर्टः डॉ विश्वनाथ आजाद की रिपोर्ट

न्यूज इंप्रेशन
Hazaribagh : पोच्चमपल्ली के लोगों ने विनोबा भावे से कहा कि अगर यहां के जमींदार हमें 80 एकड़ जमीन दे दें, तो हम हिंसा को छोड़ देंगे। विनोबा ने पूछा कौन ऐसा व्यक्ति है जो जमीन दे देगा। तो लोगों ने पोच्चमपल्ली के रामचंद्र रेड्डी का नाम बताया। रामचंद्र रेड्डी पांच भाई थे। सभी संयुक्त रूप से रहते थे। विनोबा ग्रामीणों से मिलकर वापस अपने विश्राम स्थल पर आए। क्योंकि पोच्चमपल्ली के ही एक कुटिया में उनका विश्राम स्थल था। वहां उनके साथ यात्रा में शामिल लोगों और स्थानीय उपस्थित लोगों के बीच इस प्रस्ताव को रखा कि वह कौन व्यक्ति है जो हमें 80 एकड़ जमीन दान देगा। जिससे यहां की हिंसा रुक सके।

भूदान में रामचन्द्र रेड्डी ने दिया सौ एकड़ जमीन
उपस्थित भीड़ में रामचंद्र रेड्डी ने कहा कि मैं 100 एकड़ जमीन देने को तैयार हूं। विनोबा अपने आश्रम में कुटिया में बैठकर सोचते रहें। फिर उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे परिवार के सभी जनों से मिलूंगा और उनसे पोछूंगा कि सभी सहमत हैं। रामचंद्र रेड्डी ने कहा कि आप सभी से पूछ सकते हैं। रामचंद्र रेड्डी की पत्नी और भाइयों तथा उनकी पत्नियों, सभी ने रामचंद्र रेड्डी के विचारों से अपनी सहमति जताई। वहीं एक मात्र दान पत्र है, जिसमें संत विनोबा भावे का हस्ताक्षर मौजूद है। अपने कुटिया में आए और उपस्थित जन बाहर उनके निर्देशों का इंतजार कर रहे थे। अचानक रात में बाबा विनोबा उठकर नृत्य करने लगे लोगों को लगा क्या हो गया है। लोगां ने पूछा बाबा आप क्यों ऐसा कर रहे हैं। तो विनोबा ने कहा कि मुझे रास्ता मिल गया। इस जमीन से भूदान यज्ञ की गंगा शुरू होगी। इस तरह से तेलांगना के पोच्चमपल्ली से भूदान की गंगा की शुरुआत हुई। और फिर बाबा रुके नहीं। पोच्चमपली से पूरे देश का दौरा किया और 50 लाख एकड़ जमीन भूदान और ग्राम दान में मिले। उसके बाद ही विनोबा को संत की उपाधि मिली और वह आजीवन ब्रह्मचर्य पालन जीवन आनंद कर अपना जीवन बिताएं। उसके बाद भूदान के कारण गांव का नाम भूदान पोच्चमपल्ली रखा गया और साथ ही रामचंद्र रेड्डी का नाम भूदान रामचन्द्र रेड्डी हो गया।

देश भर में भूदान आंदोलन चल पड़ा
इसके बाद पूरे देश में भूदान की गंगा बह चली और बहुत सारे भूमिहीन भाइयों को जमीन मिली उनकी जिंदगी सुधरी। झारखंड में भी लगभग 14.5 लाख एकड़ जमीन मिली,जिसमें से अभी भी लगभग 9.5 लाख एकड़ जमीन वितरण को बची हुई है। पूर्ववर्ती सरकार ने जाते-जाते कुछ अवकाश प्राप्त अधिकारियों के हाथ की कमेटी बना दी, जिन्हें भूदान की कोई जानकारी नहीं है और आज तक वितरण का कोई भी काम आगे नहीं बढ़ा। कमिटी की एक बैठक भी नहीं हुई। भूदान कमेटी के लिए विनोबा भावे जी ने अपना उत्तराधिकारी सर्व सेवा संघ को घोषित किया है। ऐसा निर्देश है की सर्व सेवा संघ, द्वारा अनुसंशित कमेटी को सरकार गैजेट करेंगी और वही भूदान यज्ञ बोर्ड की निगरानी में भूमि वितरण का काम करेगा। लेकिन झारखंड सरकार ने अनुशंसा की अनदेखी कर उक्त कमेटी बनाई और आज तक कमेटी कारगर नहीं हो सकी है। क्योंकि जिन्हें जिम्मेवारी सौंपी गई है उन्हें भूदान की कोई जानकारी नहीं है।

झारखंड में भूदान के नाम पर जमीन की मची लूट
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि भूदान का उपयोग केवल और केवल भूमिहीनों के लिए ही किया जा सकता है। जबकि झारखंड में भूदान के भूमि पर विनोबा भावे विनोबा भावे विश्वविद्यालय स्थापित की गई है जो सर्वोच्च न्यायालय के नियमों का उल्लंघन है। भूदान की जमीन की लूट मची हुई है और बहुत सारे लोगों पर खास करके तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार सहित कई राज्यों में यानी हर राज्य में लोगों के लिए गिद्ध दृष्टि भूदान जमीन पर पड़ी हुई है। साथ हीं सरकारों की मानसिकता भी गांधी और विनोबा के विचारों के विपरीत है इसलिए जरूरी है कि जरूरतमंद भूदान किसान एकजुट हो और अपने हक की लड़ाई लड़ाई लड़े ताकि बाबा के सपनों का को पूरा किया जा सके। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मोहम्मद रिजवान, प्रीति गुड़िया सविता कौर आदि शामिल थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *