Special on Jharkhand Foundation Day: जन्म से लेकर अबतक की झारखंड की कहानी, खुद झारखंड जुबानी

Special on Jharkhand Foundation Day: राज्य के शुभचिंतकों मेरे भविष्य का रखना गंभीरतापूर्वक ख्याल, 15 नवंबर-2024 को मैं 24वां बर्थडे मनाकर उम्र के 25वें पायदान पर रखूंगा कदम, पूर्व में कई अभिभावकों की पाई निगहबानी अब अगले गार्जियन का कर रहे इंतजार, गार्जियनशिप के लिए मेरे भावी अंकलों के बीच इन दिनों मचा हुआ है जबरदस्त घमासान, ऐसे में किनके पास मैं जाऊं, यह आप सभी शुभचिंतकों को अब 20 नवंबर को करना है तय।

फैयाज आलम ‘मुन्ना’

न्यूज इंप्रेशन

Bokaro/Bermo : मैं झारखंड हूं…। 15 नवंबर-2000 को मेरा जन्म हुआ, जिसके तहत 15 नवंबर-2024 को मैं 24वां बर्थडे मनाकर उम्र के 25वें पायदान पर कदम रखूंगा। जन्म से लेकर अबतक मैंने कई अभिभावकों की निगहबानी पाई। सुना है कि अब फिर से मुझे अन्य किसी की गार्जियनशिप में सौंपा जाने वाला है, जिसके लिए मेरे भावी अंकलों के बीच इन दिनों जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। इसलिए अपने सभी शुभचिंतकों से मेरा आग्रह है कि मेरे भविष्य का गंभीरतापूर्वक ख्याल रखना…, अब नए अभिभावक का इंतजार है। जन्म से लेकर 23 माह तक मुझे जिस अभिभावक के सुपुर्द किया गया, वे पहले किसी स्कूल के मास्टर थे। बड़ा अच्छा सा कोई रंगों वाला नाम था उनका। उनका नाम भी ठीक से याद नहीं आ रहा, क्योंकि उस वक्त मैं ठुमक-ठुमक कर चलना ही सीख रहा था कि डोमिसाइल की लहर ने उनकी अभिभाविकी से मुझे दूर कर दिया। उनके बाद जिस हंसोड़ स्वभाव वाले अंकल की गार्जियनशिप में मुझे सौंपा गया, उन्होंने खूब मोऊ (एमओयू) किया। उनके बाद मेरे जो अगले अंकल हुए, उन्होंने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। उन्होंने खुद तो मुझे कोड़ा से पीटा ही अपने दोस्त यारों से भी जमकर पिटवाया। यह तो भला हो ईडी वाले अंकलों का कि जिन्होंने उनकी कलई खोल दी, वरना कोई भी नहीं जान पाता कि उन्होंने मेरे ऊपर किस कदर जुल्म ढाए थे।

पूर्व में दाढ़ी वाले बाबा को बनाया गया था मेरा पालनहार

कोड़ा वाले अंकल के पहले भी चंद दिनों के लिए और बाद में जिन दाढ़ी वाले बाबा को मेरा पालनहार बनाया गया था, सुना है उनका मेरी पैदाइश में काफी योगदान रहा था। जब उन्होंने मुझे अपनी गोद में लिया था, तब मैं काफी खुश हुआ था। मगर अफसोस… एक दूबर-पातर राजा ने उनकी भी पालकी रख दी। उनके बाद दिल्ली वाली आंटी के कहने पर मुझे दिल्ली वाले सरदार अंकल ने जिस राजभवन वाले अंकल के हाथों में सौंपा था, देखने-सुनने में वे थे तो बड़े सजीले। उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से मुझे कभी भी एक थप्पड़ तक नहीं मारी, लेकिन उनके जाने के बाद सबको पता चल गया कि उनके चाकरों ने मेरी किस कदर धुनाई की थी।

दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र की अभिभावकी में सौंपा गया

सजीले अंकल के बाद पुनः मोऊ वाले अंकल और उनके बाद दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र की अभिभावकी में मुझे सौंपा गया। उसके बाद 14वीं सालगिरह मनाकर जिनकी बाहों का सहारा मिला अब वे अन्य प्रदेश के राजभवन में हैं। उनकी परवरिश में 19 वर्ष का होने के साथ ही 20वें साल के पायदान पर कदम रखने पर उन्हें मेरी अभिभाविकी से दस्तबरदार कर पुनः दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र की निगरानी में मुझे सौंप दिया गया। दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र को ईडी वालों ने गिरफ्तार कर जब जेल में डाल दिया, तब रंगों वाले नाम वाले एक अन्य अंकल के हवाले मुझे कर दिया गया। वहीं, दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र जब जेल से वापस लौटे तो उन्होंने मुझे पुनः अपनी निगरानी में ले लिया। तब मैं उन्हें देखकर आश्चर्य में पड़ गया। क्योंकि उनका हुलिया बदलकर हू-ब-हू अपने पिता सह दाढ़ी वाले बाबा जैसा हो गया। अब पहले वाले रंगों वाले नाम वाले अंकल और बाद वाले रंगों वाले नाम वाले अंकल एक ही घर में रहकर मुझे अपनी बांहों में समेटने को तत्पर हैं। जबकि दाढ़ी वाले बाबा के पुत्र भी अपनी बांहें फैलाए मुझे पुनः अपनी आगोश में भरने को तैयार हैं। ऐसे में किनके पास मैं जाऊं, यह आप सभी शुभचिंतकों को अब 20 नवंबर को तय करना है…!

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