Sonam Banchuk News : सोनम वांगचुक की अवैध गिरफ्तारी के विरुद्ध राष्ट्रीय एकजुटता का आह्वान, केंद्र सरकार की दमनकारी नीतियों का होगा कड़ा विरोध
Sonam Banchuk News: आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने लद्दाख के प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता और रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर कड़ा विरोध जताया है।
न्यूज इंप्रेशन
Ranchi: आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने लद्दाख के प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक की 26 सितंबर को लेह पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह गिरफ्तारी न केवल एक निर्दोष नागरिक के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करने वाली केंद्र सरकार की दमनकारी मानसिकता का प्रतीक है। यह गिरफ्तारी लद्दाख की शांतिपूर्ण मांगों–राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत संरक्षण को कुचलने का कुटिल प्रयास है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के बजाय सत्ता के अहंकार को मजबूत करने का परिणाम है। मंच इस कृत्य की कड़ी निंदा करता हैं और सोनम वांगचुक की तत्काल एवं बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं।
वांगचुक का इतिहास हिंसा का नहीं
श्री नायक ने आगे कहा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को संघ राज्य क्षेत्र (UT) बनाए जाने का वांगचुक ने स्वागत किया था, लेकिन केंद्र सरकार के वादों (जैसे स्थानीय नौकरियां, भूमि संरक्षण और विकास) के पूरा न होने पर उन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू किया। मार्च 2024 में उन्होंने 21 दिनों का जलवायु उपवास किया, और हाल ही में 10 सितंबर 2025 से 15 दिनों का अनशन राज्य और छठी अनुसूची की मांग के लिए। उनके नेतृत्व में नई लद्दाख मूवमेंट (NLM) ने पर्यावरण, शिक्षा और स्थानीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वांगचुक का इतिहास हिंसा का नहीं, बल्कि गांधीवादी अहिंसा और सतत विकास का है– एक ऐसा इतिहास जो केंद्र सरकार को आज असहज कर रहा है।
वांगचुक को पाकिस्तानी ऐजेंट कहना हास्यास्पद
श्री नायक ने आगे यह भी कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम NSA लगाना, SECMOL का FCRA रद्द करना और वांगचुक को जोधपुर जेल (लद्दाख से 1,000 किमी दूर) स्थानांतरित करना–लोकतंत्र के बजाय तानाशाही का प्रमाण है। वांगचुक को पाकिस्तानी ऐजेंट कहना हास्यास्पद है; यह सरकार की विफलता को छिपाने का ‘स्कैपगोट’ तिकड़म है। सरकार ने लद्दाख को UT बनाए 6 वर्ष पूरे हो चुके, लेकिन नौकरियां, भूमि अधिकार और छठी अनुसूची के वादे झूठे साबित हुए। LAB-KDA के साथ चल रही वार्ताओं को तोड़ने के बजाय, सरकार ने ‘अरब स्प्रिंग’ जैसे बयानों को बहाना बनाकर दमन चुना। यह वही सरकार है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली खनन और पर्यटन परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जबकि वांगचुक जैसे कार्यकर्ता इन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे।
उनकी ये है मांगें व आह्वान
1. सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई और NSA के तहत सभी आरोपों को वापस लेना।
2. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करना।
3. कर्फ्यू हटाना, इंटरनेट बहाल करना और घायलों को न्यायपूर्ण मुआवजा।
4. LAB-KDA के साथ पारदर्शी वार्ता, जिसमें स्थानीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। हम लद्दाख के युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध जारी रखें। राष्ट्रीय स्तर पर संगठनों से एकजुटता का आह्वान करते हैं। सोनम वांगचुक अकेले नहीं; वे लद्दाख की आत्मा हैं।