Shibu Soren Death: झारखंड की राजनीति के पुरोधा आदिवासी समाज की बुलंद आवाज माने जाने वाले ढिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से राज्यभर में शोक की लहर—– 

Shibu Soren Death: झारखंड की राजनीति के पुरोधा और आदिवासी समाज की बुलंद आवाज माने जाने वाले शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर सोमवार को दिल्ली से रांची लाया गया। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा, हजारों समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी।अंतिम संस्कार मंगलवार को पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता 

Ranchi/Bokaro: झारखंड की राजनीति के पुरोधा और आदिवासी समाज की बुलंद आवाज माने जाने वाले शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर सोमवार को दिल्ली से रांची लाया गया। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा, भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हजारों समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान लोग भावुक आंखों से अपने नेता को अंतिम बार देखने को उमड़ पड़े। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और छोटे बेटे बसंत सोरेन इस दौरान पूरे समय उनके साथ मौजूद रहे। एयरपोर्ट से उनका पार्थिव शरीर मोरहाबादी स्थित आवास ले जाया जा रहा है जहां आमजन के अंतिम दर्शन के लिए उसे रखा गया है। आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार, कल उनका पार्थिव शरीर झामुमो के पार्टी कार्यालय ले जाया जाएगा, जहां पार्टी कार्यकर्ता और नेता श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद झारखंड विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता उन्हें अंतिम विदाई देंगे। अंतत: सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव नेमरा (जिला रामगढ़) ले जाकर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। शिबू सोरेन के निधन से राज्यभर में शोक की लहर है। वे न केवल नेता थे, बल्कि झारखंड आंदोलन की आत्मा भी थे।

जो अपनी माटी को नहीं भूले, उन्हें वह माटी कैसे भूले?

स्मृतिशेष शिबू सोरेन जिन्होंने कभी अपने गांव की मिट्टी को नहीं भूला। यह एक प्रेरणादायी बातें हैं। चाहे सुख हो या दु:ख। हर घड़ी में शिबू सोरेन अपने परिवार के साथ खड़े रहे। यही कारण है कि हर सुख दु:ख कार्यों में वे अपने पैतृक गांव नेमरा आते रहे। 1992 में शिबू सोरेन की माता जी का निधन हुआ था। तब वे माताजी जी के शव को दिल्ली से नेमरा लेकर आए थे और अंतिम संस्कार यहां किया था। ज्यादातर लोग तब से ही यह जानने लगे कि गुरु जी का पैतृक गांव नेमरा है। उससे पहले उनके नेमरा में पैतृक गांव होने की चर्चाएं होती थी। क्योंकि उन्होंने अपना ज्यादातर राजनीति समय दुमका में बिताया। मां, चारों भाई, भाभी, पुत्र सभी का अंतिम संस्कार नेमरा में हुआ। वहीं सभी का शादी व्याह, मुंडन, कुल पूजन सभी नेमरा में हुआ। लोग कहते हैं कि आजकल तो लोग अपने गांव को भूलते जा रहे हैं। शिबू सोरेन के परिवार यह एक प्रेरणादायक है। जब वे अपनी माटी को कभी नहीं भूले तो आज उन्हें वह माटी कैसे भूल जाएगी। यही कारण है कि क्षेत्र के लोग दिवंगत शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार की तैयारी में लगे हुए हैं।

एक नजर में गुरुजी का राजनीतिक सफर

-1957 में 13 साल की उम्र में पिता की हत्या के बाद पढ़ाई छोड़ दी।

-1969 पहला विधानसभा चुनाव CPI के टिकट पर रामगढ़ से लड़े, पर हार गए।

-1970 के दशक में सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।

-1972 में अलग आदिवासियों के हक और अलग राज्य की मांग के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया।

-1980 में दुमका से लोकसभा चुनाव लड़े, पहली बार सांसद बने।

-1985 में जामा सीट से विधायक बने और 1989 में दुमका से फिर सांसद बने।

-मार्च 2005 मे पहली बार झारखंड के CM बने। बहुमत साबित नहीं करने के कारण दस दिन में इस्तीफा देना पाड़ा ।

-अगस्त 2008 को दूसरी बार झारखंड के सीएम बने। उपचुनाव हारने पर पांच महीने बाद इस्तीफा दिया।

-दिसंबर 2009 में तीसरी बार झारखंड के सीएम बने। कार्यकाल 5 महीने का रहा।

-2014 लोकसभा चुनाव जीते।

-2020 से राज्यसभा सांसद थे।

“कहां है पढ़ुआ रतन तिर्की बुलाओ उसको”

यही कहते थे मुझे। मुझे याद है जब हमलोग अलग झाड़खंड राज्य निर्माण आंदोलन में आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन आजसू (1986-87) के बैनर तले आंदोलन में शामिल थे। इसी दरम्यान केन्द्र सरकार के साथ दो बार दिल्ली वार्ता में मुझे भी गुरूजी साथ लेकर गये थे। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 1993 में तत्कालीन गृहमंत्री राजेश पायलट के आवास में हुई बैठक जिसमें राज्य निर्माण से पूर्व झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद ( Jharkhand Area Autonomous Council JAAC) के गठन को लेकर हुई थी। यह बैठक शाम साढ़े सात बजे से शुरू हुई तो रात भर चली और दूसरे दिन सुबह 8 बजे खत्म हुई। जिसमें लालू प्रसाद यादव उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। और बैठक में गुरूजी शिबू सोरेन,डा राम दयाल मुंडा, साइमन मरांडी, स्टीफन मरांडी, सुधीर महतो, सुरज मंडल, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की, अल्फ्रेड एक्का,सुर्य सिंह बेसरा, संजय बसु मल्लिक, देवशरण भगत, विनोद भगत, जोय बाखला, राजेन्द्र मेहता, एवं अन्य लोग उपस्थित थे। लालू प्रसाद यादव चाहते थे कि झारखंड क्षेत्र विकास परिषद और गुरूजी शिबू सोरेन चाहते थे कि झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद दिया जाए। लेकिन रात भर राजनीतिक तू तू मैं चलती रही और सुबह सुबह गुरूजी शिबू सोरेन और डा राम दयाल मुंडा न लालू प्रसाद यादव को धमकी दी और उठ खड़े होकर कहा कि राज्य का खान खनिज सब बंद कर देंगे। तब जाकर लालू प्रसाद यादव ने झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद के लिए सहमति दी। और एक ऐतिहासिक समझौता पर गुरुजी के नेतृत्व में हमलोगों ने हस्ताक्षर किया। और वर्ष 1995 में झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद का गठन हुआ। और उसके पहले चेयरमैन शिबू सोरेन बनाये गए ( मुख्यमंत्री दर्जा) और 1995 से 2000 तो गुरूजी शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद सफलता चला। और 2000 में झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ। इसी प्रकार 2007 में परिसीमन के आंदोलन में गुरूजी शिबू सोरेन की अगुवाई में दो महीने तक दिल्ली में आंदोलन किया गया। इस दरम्यान जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन और संसद मार्च भी किया गया। और उस वक्त की युपीए की सरकार की अध्यक्षा सोनिया गांधी, कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज, आदिवासी मामलों के मंत्री पी आर कींडिया, गृहमंत्री प्रणब मुखर्जी, लालू प्रसाद यादव सबसे मुलाकात किया और झारखंड को परिसीमन से मुक्त करने का आग्रह किया। और आंदोलन का असर ऐसा हुआ कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2026 तक झारखंड को परिसीमन से मुक्त करने का कैबिनेट निर्णय लिया। इस प्रकार देखा जाए तो दिशोम गुरूजी ने अलग राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अगुवाई भी किया। लेकिन उनके आंदोलन के अंतिम चरण में अलग राज्य निर्माण से पहले दो ऐैतिहासिक घटना हुई। एक तो झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद ( Jharkhand Area Autonomous Council JAAC) और दूसरा 2007 में झारखंड में परिसीमन आयोग की सिफारिश पर रोक लगा कर परिसीमन को 2026 तक नहीं होने दिया।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन बेहद दुखद : डाॅ. सूरज मंडल

पूर्व सांसद, पूर्व जैक उपाध्यक्ष, झारखण्ड मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष, अखिल भारतीय संपूर्ण क्रांति राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सूरज मंडल ने कहा है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन झारखंड की वैसी राजनीतिक क्षति है जिसकी भरपायी न केवल बहुत अधिक मुश्किल है बल्कि उनके रिक्त स्थान को भरना असंभव है. डॉ. मंडल ने कहा कि शिबू सोरेन के निधन के साथ ही झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है और इस युग को कभी भी बुलाया नहीं जा सकता। डॉ. मंडल ने कहा कि शुरुआती दौर में लंबे वर्षों तक उनका और शिबू सोरेन का चोली-दामन का साथ रहा और उन दोनों ने एक-दूसरे के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर जिस रूप में झारखंड और यहां के लोगों के लिए काम किया है वह ना भूलने वाली एक वैसी कहानी है।

एक युग का अवसान : सुदेश महतो

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने गुरुजी के निधन पर कहा है कि एक युग का अवसान हो गया। जयपाल सिंह के बाद बिखर चुके झारखंड आंदोलन को गुरुजी ने एकजुट किया और नई दिशा दी। उन्होंने आदिवासी समाज के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई को जिस संकल्प और संघर्ष के साथ लड़ा, हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनसे संवाद करना और आंदोलन के प्रत्येक मोड़ पर उनके अनुभवों से सीखना मेरे राजनीतिक जीवन की अमूल्य धरोहर है। उनका जाना झारखंड के एक युग का अंत है।

दिशोम गुरु का निधन झारखंड की अपूरणीय क्षति

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य कार्यालय में झारखंड के पूर्व मुख्य मंत्री झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशाेम गुरु शिबू सोरेन के निधन से झारखंड की अपूर्णीय क्षति हुई है। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, राष्ट्रीय परिषद के सदस्य पीके पांडे, जिला सचिव अजय कुमार सिंह, वरिष्ठ नेता बाबूलाल झा, प्रोफेसर अली अंसारी इम्तियाज़ खान, मजदूर नेता लालदेव सिंह, सुनील शाह मौजूद थे। नेताओं ने कहा कि गुरु शिबू ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति की शुरुआत की थी। फिर बाद में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया और अपनी पार्टी को राज्य की सत्ता तक पहुंचा। कई बार विधायक और सांसद एवं राज्यसभा सांसद भी रहे है। गुरु जी के भी राजनैतिक गुरुजी मजरूल हसन खान रामगढ़ विधायक के नेतृत्व में झारखंड की महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए थे। उनके अधूरे सपने जल, जंगल, जमीन की हिफाजत के लिए कम्युनिस्ट पार्टी लड़ेगी।

इन्होंने माल्यार्पण कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन जी के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं विधायक कल्पना सोरेन से मिलकर अपनी संवेदना जताई और दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को दुःख की इस घड़ी में शक्ति प्रदान करने की कामना ईश्वर से की।

शिबू सोरेन का निधन राष्ट्रीय क्षति : राजद

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन एक राष्ट्रीय क्षति है। इनके निधन से झारखंड ही नहीं पूरे भारत ने एक निर्विवाद आदिवासी नेता और दलितों गरीबों पिछड़ों अकलियतो के हितरक्षक महामानव को खो दिया। यह पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। झारखंड राजद के प्रवक्ता घनश्याम चौधरी व बोकारो राजद जिलाध्यक्ष बुद्ध नारायण यादव ने स्वर्गीय सोरेन के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। नेताद्वय ने कहा कि स्वर्गीय शिबू सोरेन के त्याग तपस्या और बलिदान से ही झारखंड राज्य की लड़ाई परवान चढ़ी और अंत में झारखंड राज्य का निर्माण संभव हो सका। शोक व्यक्त करने वालों में राज्य परिषद सदस्य बोढ़न यादव, मनीरूद्दीन अंसारी, भाई प्रमोद सिंह, रामजीत यादव, जितेंद्र नारायण यादव, कुंदन गुप्ता, संतोष गिरी, विष्णु भगवान, मोहम्मद शफी अयूब, सच्चिदानंद कुमार, वीरेंद्र यादव, अनीश भारद्वाज, अमीरक यादव, रमाकांत शाह, राजदेव पाल, सीताराम यादव, सुनीता देवी, लाल मुनी देवी, चंद्रभूषण गुप्ता, प्रदीप यादव, परशुराम यादव सहित पूरा बोकारो जिला राजद शामिल है।

स्व शिबू सोरेन के निधन से समाजवादी राजनीति का झारखंड से अंत : प्रदेश महासचिव

राजद की बैठक में झामुमो सुप्रीमो दिशम गरू शिबू सोरेन के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर उनके आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। प्रदेश राजद के प्रदेश महासचिव बहादुर सिंह यादव ने कहा कि स्वर्गीय शिबू सोरेन के निधन से समाजवादी राजनीति का झारखंड से एक स्तंभ का अंत हो गया है। वह समाजवाद के पुरोधा और राजनीति के अपराजेय योद्धा एवं धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर राजनेता थे। उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय एवं धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई है। शोक व्यक्त करने वालों में समर बहादुर यादव, रामलाल राम, विजय सिंह यादव, सुरेंद्र चौधरी, वीरेंद्र रजक, हरेराम यादव, अरशद अली, दिनेश सिंह, रमाकांत सिंह, हरिशंकर सिंह, मुन्नालाल सोनकर सहित अन्य शामिल है।

झारखंड की माटी के कण कण में सदैव जीवन्त रहेंगेः उपायुक्त

झारखंड आंदोलन के पुरोधा, भारत की आदिवासी चेतना के महानायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को समाहरणालय परिसर में शोकसभा का आयोजन किया गया। उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, उप विकास आयुक्त शताब्दी मजूमदार समेत सभी वरीय पदाधिकारियों एवं कर्मियों ने दिशोम गुरु की तस्वीर पर माल्यार्पण श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन भारत की आदिवासी चेतना के महानायक थे। उनका संघर्ष, बलिदान और नेतृत्व सदैव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। झारखंड की माटी के कण -कण में वे सदैव जीवन्त रहेंगे।शोक सभा में डीपीएलआर मेनका, अपर समाहर्ता मो. मुमताज अंसारी, चास अनुमंडल पदाधिकारी प्रांजल ढ़ांडा, अपर नगर आयुक्त संजीव कुमार, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार सहित जिला स्तरीय पदाधिकारी वं कर्मीगण उपस्थित थे।

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