Bihar: सरकार जो भी घोषनाएं करती है, सिर्फ चुनाव जीतने के लिए। कांग्रेस की सरकार में जो उपलब्धियां रही थीं, भाजपा सरकार पूरी तरह फिसड्डी साबित है। आम जनता को हिन्दू-मुस्लिम में भटकाए रखना चाहती है।
लेखक : अलखदेव प्रसाद ’अचल’ न्यूज इंप्रेशन
Bihar: पूरे देश में भाजपा सरकार की फजीहत होती जा रही है। भाजपा की नीतियों से भले ही कुछ लोग खुश हों, पर उसके क्रियाकलाप से अधिकांश लोग नाखुश ही दिखते हैं। बड़े बुजुर्ग भी कहने लगे हैं कि आजादी के बाद आज तक इतना खराब शासन नहीं देखा। देश की इतनी शर्मनाक व्यवस्था हमने नहीं देखी। देश के प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को आग उगलते नहीं देखा। अपनी गरिमा को तिलांजलि देकर भी झूठ परोसते नहीं देखा। और तो और ऐसा शासन नहीं देखा, जहां की सरकार में देश के एक समुदाय विशेष को टारगेट किया जाता है। उसके प्रति नफरत परोसा जाता है। और सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग पाता है। जहां कहीं वैसा करने वालों पर कार्रवाई भी होती है, परंतु सरकार का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से बहुत जल्द ही उन्हें जेल और न्यायालय से मुक्त करवा दिया जाता है।
उपलब्धियों में मंदिरों का निर्माण और मस्जिदों पर बुल्डोजर है प्रमुख अगर इन सब के बावजूद अगर सरकार की बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियां भी रहती, तो एक बात होती। परंतु वह भी नहीं देखा जा रहा। उसकी उपलब्धियों में मंदिरों का निर्माण और मस्जिदों पर बुल्डोजर प्रमुख है। इससे आम जनता का क्या हित है ? भाजपा की सरकार में भाजपा के सभी लोग लूट रहे हैं, पर मीडिया वालों को हिम्मत नहीं है कि उसे छाप सके या टीवी चैनलों पर दिखा सके। योजनाओं में लूट मची हुई है। योजनाएं लूट में तब्दील हो गई है। सरकार जो भी घोषनाएं करती है, सिर्फ चुनाव जीतने के लिए। कांग्रेस की सरकार में जो उपलब्धियां रही थीं, भाजपा सरकार पूरी तरह फिसड्डी साबित है। पर भाजपा एक चाल के तहत जनता का ध्यान ही उधर नहीं जाने देना चाहती। आम जनता को हिन्दू-मुस्लिम में भटकाए रखना चाहती है। शुरुआती दौर में भाजपा की सरकार इसलिए बन गई थी कि लोगों को ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस से भी बहुत कुछ बेहतर कर सकेगी, परंतु 2014 में केन्द्र में सरकार बनने के बाद एक भी वादा को पूरा नहीं कर सकी। भाजपा ने क्या क्या वादे किए थे, उसे सभी जानते हैं। जब भाजपा 2018 तक कुछ नहीं कर सकी। लोग समझ गए कि यह सरकार सचमुच में जुमलों की सरकार है। तब इस सरकार ने 2019 का चुनाव जीतने के लिए जानबूझकर पुलवामा जैसी घटना का अंजाम दिलवा दिया और भाजपा फिर से सरकार में आ गई।
चुनाव में कारपोरेट वाले देते हैं मुंह मांगे पैसे 2019 के बाद भी सरकार का वही रवैया रहा। जिसे सभी देख रहे हैं कि महंगाई कितनी बढ़ चुकी है। बेरोज़गारी कितनी बढ़ चुकी है। नौकरी के लिए पढ़ने वाले तैयारियों में लगे हैं, पर वैकेंसी ही नहीं निकल रही है। सरकार बहुत तेजी के साथ सरकारी उपक्रमों को कारपोरेटों के हाथों में सौंपती जा रही है। केन्द्र सरकार की आज भी अगर आमलोगों की बात की जाए, तो आम लोग भी यह समझने लगे हैं कि सरकार गरीबों, किसानों, बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। जो कुछ भी कर रही है सिर्फ कारपोरेटों के लिए कर रही है। क्योंकि चुनाव में वे लोग उसे मुंह मांगे पैसे देते हैं। कुछ तो समझ में आ गया होगा कि इन सब के बावजूद अगर भाजपा सरकार में है, तो कैसे है? बार-बार भाजपा किस खेल से राज कर रही है ? इसे हम इस रूप में भी देख सकते हैं कि फिलहाल पांच राज्यों में विधान सभा के चुनाव हुए। जिन राज्यों में मुख्य मीडिया भी यह कह रहा था कि जनता का जो रुख है, उसके अनुसार वहां कांग्रेस की ही सरकार बनेगी। वहां भाजपा पूर्ण बहुमत में आकर सभी को अचंभित कर दी। आखिर यह सब कुछ कैसे हो गया?
राजस्थान में बसुंधरा को तरजीह तक नहीं राजस्थान में बसुंधरा को तरजीह तक नहीं दी गयी। मोदी जी ने घोषणा कर दी अगर हमारी सरकार बन जाएगी, तो गैस सिलेंडर 450 रुपए में मिलेंगे। जो सरकार बनते ही हवाई हो गयी। आज भी उनलोगों को उसी दर पर गैस सिलेंडर खरीदना पड़ रहा है, जैसे अन्य राज्यों के लोग खरीद रहे हैं। कन्हैया लाल को हिन्दुत्व के रूप में खूब भुनायी। लोग भाजपा की लोक लुभावन बातों में आ गए। छत्तीसगढ़ में भाजपा सिर्फ कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर झूठा भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चुनाव जीत गयी। मध्य प्रदेश में लाडली बहन योजनाओं के नाम पर ठीक मतदान के पहले बैंक अकाउंटों डाल दिए गए पैसे। अन्यथा शिवराज सिंह चौहान का शासन आम जनता के हित में नहीं था। जिसका सीधा लाभ भाजपा को चुनाव में मिल गया। इसके अलावा भाजपा हर चुनाव में जिस तरह से पैसों को पानी की तरह बहा रही है, वैसा विपक्ष करने में काफी असमर्थ है। और तो और, जहां भाजपा के मंत्रियों को चुनावी सभाओं में यह बात करनी चाहिए कि केंद्र में हमारी सरकार है। हमारी क्या-क्या इस सरकार की क्या क्या उपलब्धियां हैं। इसके बजाय उसके नेता हिंदू मुसलमान, मंदिर और मस्जिद के मुद्दे ज्यादा उछलते रहे। धर्म तो वैसे भी इंसान को अंधा बना देता है। भोली भाली जनता धर्म के नाम पर गोलबंद हो जाती है। फलस्वरुप हिंदुत्व के नाम पर हिन्दू समाज न चाहकर भी भाजपा के पक्ष में वोट कर देती है। जिसका सीधा-सीधा लाभ भाजपा मिल जाता है।
जातीय और धार्मिक प्रलोभन देना जरूरी है हां, इस पर कोई कह सकते हैं कि क्या कर्नाटक और तेलंगाना में भाजपा ऐसा करने में पीछे रह गई,जो चुनाव हार गई? नहीं, वहां भी भाजपा वैसे ही करती रही, परंतु वहां के विपक्षी पार्टी के नेताओं ने उसका मुंह तोड़ जवाब दिया। वहां की जनता भाजपा की चाल को समझने में कामयाब रही। फलस्वरुप वहां भाजपा के बजाय कांग्रेस जीत गई। भाजपा की जीत के पीछे एक और राज है कि भाजपा यह भली भांति जानती है कि हमारे काम से जनता वोट देने वाली नहीं है। इसके लिए उसे जातीय और धार्मिक प्रलोभन देना जरूरी है। आदिवासियों के वोट के लिए उसने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के पद पर आसीन कर दिया। जाट वोटो के लिए धनखड़ को उपराष्ट्रपति बना दिया। जातीय वोटो के लिए किसी को ऊंचे पदों पर बैठा दे रही है या चुनाव जीतने के लिए जाति विशेष के नेताओं को अपने गठबंधन में शामिल कर ले रही है और चुनाव जीतने में सफल हो जा रही है। भाजपा इस चाल में सफल भी हो जा रही है। इसको कौन समझने जा रहा है कि भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति को बना दिया। धनकड़ को उपराष्ट्रपति बना दिया, तो क्या हो गया? वे लोग रबर स्टैंप से अधिक थोड़े हैं ? इसी तरह मध्य प्रदेश में भाजपा ने यादवों के वोट के लिए मोहन यादव को मुख्यमंत्री तो बना दिया। क्या सोचते हैं उनके पास मुख्यमंत्री का पावर भी रहेगा ? नहीं, मोहन यादव वही करेंगे, जो ऊपर से फरमान आएगा। भाजपा की केंद्र सरकार अगर दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और आदिवासियों के लिए अहितकर नहीं है, तो फिर दलितों, पिछड़ों, मुसलमानां और आदिवासियों के अहित में ही कानून क्यों बनाती है? जो भी मुख्यमंत्री होंगे, वे उसको ही लागू करने के लिए विवश रहेंगे। उन्हें भी लगता है कि चलो, हमारी जातियां, हमारे समुदायों की दुर्गति हो रही है तो हो, मुझे तो ओहदा मिल गया है।
भाजपा सरकार कॉर्पोरेटों को पहुंचती है मुंहमांगा लाभ इन सबके साथ भाजपा सरकार एक और चाल चल रही है कि भाजपा के भ्रष्ट नेताओं का भ्रष्टाचार अगर विपक्ष उठाता भी है, तो प्रमुख मीडिया वाले उसकी चर्चा तक करना मुनासिब नहीं समझते। परिणाम यह होता है कि अखबारों से लेकर टीवी चैनलों पर आम जनता जो देखी सुनती है, उसके मस्तिष्क पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है। आम जनता भी विपक्ष को ही अधिक भ्रष्टाचारी समझने लगती है। और तो और, भाजपा की जीत के राज में जो सबसे बड़ी बात है कि जो आजादी के बाद आज तक नहीं देखा गया, वह यह है कि चुनाव आयोग पूरी तरह से केंद्र सरकार की कठपुतली बन चुका है। वह मन से हो या फिर डर से हो। क्योंकि चुनावी सभा में जो नहीं बोलना चाहिए, अगर भाजपा के कोई भी नेता बोलते हैं, तो चुनाव आयोग उसको आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानता है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं करता। वहीं विपक्ष का नेता उसकी अपेक्षा बहुत कम भी बोलता है, तो उस पर आचार संहिता उल्लंघन करने का आरोप लगा दिया जाता है। उस पर एफआईआर कर दिया जाता है। मतदान में जहां-जहां गड़बड़ियों के आरोप भाजपा वालों पर लगते हैं। जिसपर विपक्ष सवाल भी उठाते हैं, पर चुनाव आयोग पूरी तरह से मौन दिखता है। जो साबित करता है कि चुनाव आयोग भी भाजपा को जिताने में मदद करता है। और तो और, चुनाव में विपक्षी पार्टी वाले जितना खर्च करते हैं, उससे कई गुना भाजपा अकेले खर्च करती है। इसका कारण है कि भाजपा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। भाजपा सरकार बड़े-बड़े कॉर्पोरेटों को मुंहमांगा लाभ पहुंचती है और बड़े-बड़े कॉर्पोरेट चुनाव के समय भाजपा के लिए बोरियां खोल देते हैं। जिसकी वजह से जहां भाजपा का माहौल नहीं भी दिखता है, वहां भाजपा येन केन प्रकारेण चुनाव जीत जाती है। इसी तरह भाजपा की जीत के पीछे कई राज छिपे हुए हैं।