Satsang in Gandhinagar Bermo : सेवा का अर्थ है अहंकार का त्याग और मैं-हम की गति से दूर शून्यता को प्राप्त करना : विज्ञानदेव महाराज

Satsang in Gandhinagar Bermo : विहंगम योग संत समाज की ओर से बेरमो कोयलांचल के गांधीनगर दुर्गा मंडप प्रांगण में आयोजित किया गया सत्संग कार्यक्रम, विहंगम योग के द्वितीय परंपरा सद्गुरु स्वतंत्रदेव महाराज के पुत्र सह अंतरराष्ट्रीय अध्यात्म वक्ता संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने दिया प्रवचन, हजारों महिला-पुरुष धर्म प्रेमियों ने उपस्थित होकर की ध्यान-साधना।

संतोष दत्ता

न्यूज इंप्रेशन

Bokaro/Bermo : विहंगम योग संत समाज की ओर से बेरमो कोयलांचल के गांधीनगर दुर्गा मंडप प्रांगण में सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विहंगम योग के द्वितीय परंपरा सद्गुरु स्वतंत्रदेव महाराज के पुत्र सह अंतरराष्ट्रीय अध्यात्म वक्ता संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने प्रवचन दिया। इस अवसर पर हजारों महिला-पुरुष धर्म प्रेमियों ने उपस्थित होकर प्रवचन सुनने के साथ ही ध्यान-साधना की। संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि सेवा का अर्थ अहंकार का त्याग और मैं-हम की गति से दूर शून्यता को प्राप्त करना है। 84 लाख योनियो में भटकने के बाद हमें मानव जीवन मिला है, जो ईश्वर का परम प्रसाद है। इंसान समस्त त्याग के बाद ही ऊपर उठता है। जीवन की सहजता व सरलता यज्ञ से प्राप्त होता है। अग्नि में यह खासियत होती है कि सदैव ऊपर की ओर उठती है। उसे नीचे झुकाया नहीं जा सकता। जल रूपी शीतलता से ही अग्नि को हम शांत कर सकते हैं। इसी प्रकार अपने अंत:करण से हर सूचिता के साथ हम आगे बढ़ते रहें।

सबके अपने-अपने हैं कर्म, योग व प्रारब्ध

संत प्रवर ने कहा कि सबके अपने-अपने कर्म, योग व प्रारब्ध हैं। सब के भीतर परम प्रभु विराजमान हैं। ईश्वर की अनंत शक्तियां मानव सेवा में लगी हुई है। पृथ्वी अपनी कक्षा में घूमती है। नदियां, पहाड़, पेड़ आदि सभी मानव जीवन के लिए ही बने हैं। इसलिए कहा जाता है, वृक्ष कबहु न फल रखे, नदी-नीर/परमार्थ के कारणे साधु धरा शरीर…। दुनिया में सब-कुछ व्यवस्था मूलक है। यह जड़ है। हमें ईश्वर की अनंत शक्तियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है। इसका स्रोत सद्गुरु सेवा और साधना से ही संभव है, इसलिए सत्संग जरूरी है। सत्संग से ही हमें आध्यात्मिक ज्ञान और मानव जीवन के उद्देश्यों का भान होता है। वैज्ञानिक अभी भी ईश्वरीय शक्ति समझने की कोशिश में लगे हुए हैं। हमारा कुछ नहीं है, सब-कुछ उसी परम सत्ता का है। उन्होंने कहा कि यह शरीर मेरा नहीं है। सब कुछ बदलता रहता है। मां के गर्भ से हम शरीर लेकर इस धरा में आ गए, लेकिन इसे लेकर नहीं जा सकते। शरीर के तमाम अंग अपने कर्मों से बंधे हैं। शरीर में प्राण है तभी सब कुछ है। प्राण त्यागने के बाद शरीर का मूल समाप्त हो जाता है।

यहां सत्संग में मुख्य रूप से यह थे उपस्थित

यहां सत्संग में मुख्य रूप से विहंगम योग संदेश पत्रिका के संपादक सह बोकारो स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक सुखनंदन सिंह सदय, समाजसेवी अनिल अग्रवाल, पूर्व मुखिया ललन सिंह, जिला पार्षद ओमप्रकाश सिंह उर्फ टीनू सिंह एवं मुखिया दुर्गावती देवी सहित राधाकृष्ण सिन्हा, किशनलाल शर्मा, उदयप्रताप सिंह, अचलदेव ठाकुर, कमलेश प्रसाद श्रीवास्तव, रवि गोराई, रामचंद्र तिवारी, नीलकंठ रविदास, प्यारेलाल यादव,जानकी प्रसाद यादव, रेणु दास, सुरेश राम महतो, देवतानंद दुबे, तारा देवी, गीता देवी, अजीत जायसवाल, सुनील केसरी आदि उपस्थित थे।

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