Paschim Champaran : न्यूजक्लिक तथा अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी व लैपटॉप व मोबाइल छिनने के विरुद्ध प्रतिरोध मार्च, लोकतंत्र में अब तक की सबसे बड़ी घटना

Paschim Champaran : बिहार के पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया में नागरिक मंच ने न्यूजक्लिक सहित अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी व लैपटॉप, मोबाइल, कैमरे छिनने के खिलाफ में प्रतिरोध मार्च निकाला। पत्रकारों के विरुद्ध यूएपीए जैसे आतंकवादी कानून को अविलंब वापस कर इन्हें रिहा करने व न्यूजक्लिक के कार्यालय को खोलने की मांग की।

न्यूज़ इंप्रेशन, संवाददाता

Paschim Champaran : बिहार के पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया में शनिवार को नागरिक मंच ने न्यूजक्लिक सहित अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी व लैपटॉप, मोबाइल, कैमरे छिनने के खिलाफ में प्रतिरोध मार्च निकाला।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि न्यूजक्लिक तथा अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी व लैपटॉप, मोबाइल, कैमरे छिनने, संपादक प्रबीर पुरकायस्थ, प्रशासक अमित चक्रवर्ती की यूएपीए कानून में गिरफ्तारी, न्यूज़क्लिप के कार्यालय में तालाबंदी तथा पत्रकारों को प्रताड़ित करने की घटनाओं को भारतीय लोकतंत्र में अब तक की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है। इसके पूर्व बीबीसी, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, न्यूज लॉन्ड्री, द वायर, द कश्मीर वाला आदि को भी जान बूझ कर कुचलने का काम किया गया था। भाजपा सरकार ने मीडिया को अपने दलगत तथा विचारधारात्मक स्वार्थ के लिए अपने भोंपू में तब्दील करने की कोशिश की है। इसके लिए सरकारी पूंजीपत्तियों द्वारा मीडिया संगठनों के अधिग्रहण को आसान बनाया है। जब हम देश में नफरत तथा विभाजनकारी ताकतों तथा भड़काने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हैं तो भाजपा सरकार को उस समय लकवा मार जाता है।
पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई लोकतंत्र खिलाफ
वक्ताओं ने कहा कि लोगों का ध्यान मुद्दे से हटाने के लिए मीडिया को निशाना बनाना बन्द करें। यूएपीए कानून आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लाया गया था। जिसका इस्तेमाल कोरेगांव से न्यूजक्लिक तक मोदी सरकार की जन्म विरोधी कारवाइयों के विरुद्ध बोलने वाले पत्रकारों या स्वतंत्र विचार रखने वाले आम लोगों के ऊपर इसका नाजायज इस्तेमाल हो रहा है जबकि यह कानून आतंकवाद के खिलाफ बना था। पिछले 9 साल से देश के अंदर संघ और भाजपा की नीतियों पर आधारित नरेंद्र मोदी की सरकार काम कर रही है। वह बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में बनी भारत के संविधान सहित तमाम लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त कर देने पर लगी हुई है। इसी की एक कड़ी दिल्ली में हुए पत्रकारों पर हमला है। नागरिक मंच सरकार की इस करवाई की तीव्र भर्त्सना करती है। पत्रकारों और स्वतंत्र विचार रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध यूएपीए जैसे आतंकवादी कानून को अविलंब वापस कर पत्रकारों को रिहा करने व न्यूजक्लिक के कार्यालय को खोलने की मांग करती है।
मार्च में ये थे शामिल
प्रतिरोध मार्च में प्रो समशुल हक, पंकज, मो सकील, प्रभुराज नारायण राव, अमानुल हक, आशुतोष बरनवाल, डा एजाज अहमद, सैयद फैज अहमद, एडवोकेट मोहन सिंह, अतुल कुमार, राजकुमार, चांदसी प्रसाद यादव, प्रभुनाथ गुप्ता, हनीफ, शंकर कुमार राव, वीके नरुला, नीरज बरनवाल, लाल बाबू यादव, राणा प्रसाद, जफर इमाम, सहाबुद्दीन, अक्षय कुमार सहित अन्य शामिल थे।

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