Protest in Lucknow: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU), लखनऊ में BBAU प्रशासन ने धरनारत स्टूडेंट्स पर किया हमला, मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन
Protest in Lucknow: 25 से 30 स्टूडेंट्स पर अभी भी फर्जी मुकद्दमे दर्ज हैं, जिसके खिलाफ भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा ने बीएचयू में विरोध प्रदर्शन दर्ज किया।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Lucknow: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में छात्र-छात्राओं को अंबेडकर जयंती समारोह आयोजित करने के लिए डीजे लाने की अनुमति प्रशासन द्वारा न मिलने पर विरोध जताया। वहीं, रामनवमी के अवसर पर कैम्पस में डीजे बजाने देने की बात की खबर देने के लिए जब कुछ छात्र- छात्राएं प्रशासन के पास बात करने जाते हैं, तब इस बात को लेकर छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ तीखी बहस होती है। सिक्योरिटी सुपरवाइजर छात्रों को जातिसूचक गालियां देना प्रारंभ कर देता है। इतना ही नहीं उनपर सिक्योरिटी गार्ड द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन के कहने पर हमला भी किया जाता है। जिसमें कई स्टूडेंट्स बुरी तरह घायल हो जाते हैं। करवाया जाता है एफआईआर उन स्टूडेंट्स पर उल्टा प्रशासन द्वारा एफआईआर करवाया जाता है। इन मामलों के खिलाफ में आक्रोशित स्टूडेंट्स ने लगभग 4 दिनों से धरना दिया। इसके बाद भी इनकी बातें नहीं सुनी गयी तो स्टूडेंट्स भूख हड़ताल पर बैठ गये। धरने पर बैठे स्टूडेंट्स पर एफआईआर दर्ज किया गया है। उनमें ज्यादातर स्टूडेंट्स BAPSA-BBAU संगठन के हैं। धरना पर बैठे स्टूडेंट्स की बात सुनने के बजाय लखनउ पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर सभी पर पर फर्ज़ी आरोप लगाते हुए, रात में जबरदस्ती उठाकर जेल में डाल दिया गया। अगले दिन सभी को बेल पर रिहा किया जाता है।
20 से 30 स्टूडेंब्ट्स पर फर्जी मुकदमे 25 से 30 स्टूडेंट्स पर अभी भी फर्जी मुकद्दमे दर्ज हैं, जिसके खिलाफ भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा ने बीएचयू में विरोध प्रदर्शन दर्ज किया। छात्रों ने कहा कि 21वीं सदी में ब्राह्मणवादी फासीवाद अपनी जड़े मजबूत कर रहा है। उसके तानाशाही फासीवाद के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले स्टूडेंट्स, मज़दूर, किसान, बुद्धिजीवियों, अल्पसंख्यकों पर दमन बढ़ाते हुए उन्हें जेल की सलाखों में डाल दिया जाता है। तमाम केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में यही ब्राह्मणवादी, मनुवादी, जातिवादी, फासिस्ट चरित्र देखने को मिल रहा है। वो चाहे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय हो या लखनऊ का बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी या वर्धा विश्वविद्यालय हो या इलाहाबाद का विश्वविद्यालय। हर जगह प्रशासन का तानाशाही रवैया स्टूडेंट्स पर जारी है। लोकतंत्र को बचाने के लिए बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के विचारों पर चलकर सड़ चुकी सामाजिक व्यवस्था को बदलने के लिए संघर्षरत रहेंगे। स्टूडेंट्स पर हमला करने वाले पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की गयी।