Delhi : भाकपा माले महासचिव दीपांकर ने कहा–महिला आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू करने से कौन रोक रहा है?

Delhi दिल्ली से जारी प्रेस बयान में दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि हम मान लें कि वह महिला आरक्षण लागू करने के प्रति इतनी गंभीर है कि इसके लिए उसने संसद का विशेष सत्र बुलाया है।

न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता

Delhi : मोदी सरकार चाहती है कि हम मान लें कि वह महिला आरक्षण लागू करने के प्रति इतनी गंभीर है कि इसके लिए उसने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। न जो बिल लाया गया है, उससे सरकार की नीयत का खुलासा हो गया है, यह बिल जनगणना पूरी होने और उसके बाद डिलिमिटेशन की प्रक्रिया चलाने के बाद ही लागू होगा। इसे तत्काल लागू करने से हमें कौन रोक रहा है? उक्त विचार भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने एक प्रेस बयान जारी कर प्रकट किया है।
दीपांकर ने आगे कहा है कि मोदी सरकार भारत के इतिहास की एकमात्र ऐसी सरकार है जो दस साल बाद होने वाली जनगणना को करने में फेल हुई है। कोविड के बावजूद दुनिया में इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देशों ने चीन, अमेरिका और ब्रिटेन समेत अपने यहां जनगणना का कार्य पूरा कर लिया है, बस मोदी के राज में भारत ही फेल हुआ है। महिला आरक्षण संसदीय क्षेत्र में महिलाओं के बेहद कम प्रतिनिधित्व को ठीक करने के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस समस्या को समझने के लिए हमें एक और जनगणना और डिलिमिटेशन की जरूरत नहीं है।

बिल पोस्ट डेटेड चेक
प्रेस बयान में कहा गया है कि जो बिल सम्पूर्ण संसदीय गंभीरता का हकदार है, उसे लगता है काफी जल्दबाजी में तैयार कर पेश कर दिया गया है। जब क्रिप्स मिशन ने भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव दिया था, तब महात्मा गांधी ने उसे “एक घाटे वाली बैंक का पोस्ट डेटेड चेक“ कहा था, यह बिल भी वैसा ही पोस्ट डेटेड चेक है। दीपांकर ने जारी बयान में कहा कि महिला आरक्षण बिल के लिए महिला आंदोलन दशकों से संघर्ष कर रहा है, जिसे व्यापक दायरे की प्रगतिशील राजनीतिक शक्तियों का समर्थन प्राप्त है, इसे एक और चुनावी कलाबाजी में पतित नहीं होने दिया जाएगा।

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