Motivation: कोई अप्रिय घटना जीवन को है संवार देता

Motivation: कई बार कोई बहुत अप्रिय घटना घट जाती है जो इंसान को अंदर तक झकझोर कर रख देता है जो आगे चलकर जीवन के लिए एक टर्निंग पॉइंट बन जाता है।

आर एन साहनी 

न्यूज़ इंप्रेशन

Bokaro: जीवन में मकसद बहुत बार अनजाने में ही अचानक ही मिल जाता है। कई बार कोई बहुत ही अप्रिय घटना घट जाती है जो इंसान को अंदर तक झकझोर कर रख देता है जो आगे चलकर जीवन के लिए एक टर्निंग पॉइंट बन जाता है। वैसे तो अक्सर जिंदगी में कारण तो मिलते ही रहते है, पर हम उसे यूं ही आया गया कर देते हैं। सभी लोगों के जीवन में इस प्रकार के बहुत सारी बातें होती ही रहती है कुछ बुरी घटनाएं होती ही है जिसे पकड़ लेने पर जीवन पूरी तरह से बदल सकता है, पर हम सब अपने ढंग से तर्क देकर कुछ करने से बच जाते हैं। उन बुरी घटनाओं को जो जीवन के लिए एक बड़ी टर्निंग पॉइंट बन सकती थी, उसे हम खो देते हैं। इन सब के पीछे बड़े बदलाव के लिए एक बड़ी तनावपूर्ण प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत पड़ती है। इसी बदलाव की प्रक्रिया से ही तो हम बचना चाहते हैं। आग में तपकर ही तो सोना कुंदन बनता है और निखरता है। पर, खरा सोना बनने के लिए तो आग में तपने की पीड़ा तो उठानी ही पड़ती है।

एक ही घटना किसी के लिये बड़ी घटना होती है
एक ही घटना किसी के लिये कितनी बड़ी घटना होती है और दूसरे के लिए कोई खास अंतर नहीं पड़ता है। एक उदाहरण के द्वारा इसे समझना आसान होगा। अक्सर परीक्षा का रिज़ल्ट जब भी आता है तब कहीं ना कहीं समाचार मिल ही जाता है अमुक छात्र या छात्रा ने आत्महत्या कर लिया। प्रत्येक साल ऐसा अमूमन होता ही है जब परीक्षा का परिणाम निकलता है। अब इस प्रकार की घटनाओं में एक बात को समझने की जरूरत है, कि जब उस परीक्षा में बहुत से परीक्षार्थी असफल होते हैं तब इक्का दुक्का विद्यार्थी ही अपनी जान क्यों दे देते हैं? वहीं पर बहुत सारे ऐसे भी हैं जो असफल होने पर भी उनके अचार व्यवहार में कोई खास अंतर नहीं पड़ता है। इस बात से यह स्पष्ट हो जाता है कि सभी घटनाएं बस घटना ही है पर उस घटनाओं को हम किस प्रकार से लेते हैं इसी बात पर हमारे जीवन का सारा खेल चलता है। जीवन में जो भी घटनाएं होती है उन सब घटनाओं के लिए हम सब अपनी-अपनी समझ के अनुसार उसकी व्याख्या निकालते हैं। हमारे इसी व्याख्या के ऊपर ही निर्भर करता है कि उन घटनाओं को हम किस प्रकार से लेंगे और उसका असर हमारे जीवन में कैसा पड़ेगा और कितना पड़ेगा?

महान लोगों ने जीवन में प्रतिकूल परिस्थिति है झेला
जीवन में घटनाओं का घटना हमारे हाथ में नहीं है पर उस घटनाओं पर हमारी प्रतिक्रिया कैसी होगी यह पूरी तरह से हमारे ऊपर निर्भर करता है। उन घटनाओं के ऊपर हम कैसी प्रतिक्रिया करते हैं इसी बात पर हमारे जीवन में उन्नति या अवनति होती है। जब आप महान लोगों की जीवनियां पढ़ेंगे तब पता चलेगा कि तकरीबन सभी लोगों के जीवन में बहुत ही प्रतिकूल परिस्थिति को झेला है और उसी से उनके अंदर में महान काम करने की साहस और संकल्प पैदा हुआ। अब्राहम लिंकन के जीवन की असफलताएं तो अपने आप में बेमिसाल है पर उन्होंने अपना विश्वास और अपना धैर्य नहीं खोया और अंततः अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए। जिस परीक्षा में असफलता से किसी को इतनी ग्लानि होती है कि अपनी जान दे देता है और किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ता है और कुछ गिने चुने लोग ऐसे भी होते हैं कि एक असफलता के बाद इतनी मेहनत करते हैं कि फिर उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती है और एक नया इतिहास ही रच डालते हैं।

जीवन में एक प्रबल कारण का होना बहुत जरूरी
जीवन में एक प्रबल कारण का होना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार से नदियों में वर्षा जल और बर्फ का पिघला हुआ पानी आता है और सब पानी बह कर समुद्र में मिल जाता है। पर नदी के जल के बहाव में चमत्कारिक शक्ति देखने को तब मिलती है जब हम उस नदी के ऊपर एक बांध बना देते हैं। बांध बना देने पर उस नदी के सहज बहाव को रोक देते हैं और उस पानी के बहाव में इतनी शक्ति आ जाती है कि उसके द्वारा बड़े-बड़े टरबाइन चलते हैं जिस से लाखों मेगावाट बिजली पैदा होती है, लाखों घरों को रौशन करती है और बिजली के उपकरण को चलाती है। इतना ही नहीं हमारे रेलगाड़ियां, हमारे कल कारखाने को सालों भर बिजली देती है। इसके अलावा हमारे खेतों को सालों भर सिंचाई के लिए पानी भी मुहैया कराती है। यही बात हमारी जीवन के क्रिया कलापों पर भी लागू होती है। हम चाहें तो अपनी सारी ऊर्जा और क्षमता को यूँ ही गैर जरूरी चीजों में गंवा दें सकते हैं या फिर अपनी ऊर्जा को किसी भी एक दिशा में नियोजित करके महान सफलताएं हासिल कर सकते हैं। यह हमारा ही चुनाव होता है। यहां पर एक गलत धारणा से बाहर निकलना बहुत जरूरी है। हमारी गलत धारणा ही है कि “कोई भी इंसान महान सफलताएं हासिल इसलिए कर पाता है क्योंकि वह प्रतिभावान है।” पर सच्चाई यह है कि उस इंसान ने अपने बुद्धि और क्षमता को यूं ही जाया करने के बजाय उसे एक ही दिशा में लगा दिया या कहना चाहिए कि झोंक दिया।

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