Bokaro: चास प्रखंड के मधुनिया गांव के मदरसे के वार्षिक जलसा का आयोजन, मदरसा वर्ष 2016 में किया गया था स्थापित।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro: चास प्रखंड के मधुनिया गांव के मदरसे के वार्षिक जलसा का आयोजन किया गया। जिसमें 500 से अधिक लोग शामिल हुए। मदरसा जामिया दार-उल-किरात का वार्षिक जलसा छात्रों को रमज़ान और ईद-उल-फितर की वार्षिक छुट्टियां मिलने से पहले वार्षिक पाठ्यक्रम के अंतिम दिन आयोजित किया गया था। वर्षों से था मदरसा बंद पड़ा मदरसा वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था। कोविड महामारी के कारण वर्षों से बंद था। अब अपने छात्रों को अरबी, फ़ारसी, उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और भूगोल पढ़ाने के अलावा इस्लामी धार्मिक अध्ययन में ज्ञान प्रदान कर रहा है। मदरसा जामिया दार-उल-किरात जो केवल लड़कों के लिए आवासीय संस्था है। जिसकी स्थापना मधुनिया और आसपास के गांवों के लड़कों को तालिम देने के मकसद से इसे शुरू किया गया था। आवारा न बनने देने के उद्देश्य से की गई थी। मदरसा जामिया दार-उल-किरात के नाजिम (एक स्कूल के प्रिंसिपल के समान) मौलाना असीरुद्दीन अंसारी ने कहा कि अब हमारे संस्थान में 100 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। इनमें से 27 छात्र हमारे आवासीय छात्रावासों का उपयोग करते हैं और वे दूर-दूर से आते हैं। कुछ मधुपुर से हैं और कुछ पश्चिम बंगाल से भी हैं। नाजिम 33 वर्षों से अधिक समय से स्थानीय मस्जिद में इमाम के रूप में ग्रामीणों की दैनिक प्रार्थनाओं में उनका नेतृत्व कर रहे हैं।
आस-पास के गांवों के आतें हैं बच्चे मदरसे के महासचिव, अध्यक्ष व संस्थापक हाजी कुर्बान अंसारी 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक हैं, जो इसकी स्थापना के बाद से रोजाना मदरसे में आते हैं। वह कहते हैं कि हमारे गांव मधुनिया में पहले से ही एक मकतब था जो 1987 से अपनी लड़कियों को उत्कृष्ट धार्मिक शिक्षा प्रदान करता है। इसलिए हमने 15 लोगों की एक समिति बनाई, जिसमें से केवल 5 लोग गांव से थे। बाकी 10 सदस्य पड़ोसी गांवों से थे। हमने इस संस्था की स्थापना के लिए अपने संसाधन जुटाए। हाजी क़ुर्बान ने कहा कि सभी मदरसे के छात्र सरकारी स्कूलों में औपचारिक शिक्षा भी ले रहे हैं। वर्तमान में 30 से अधिक छात्र आस-पास के गांवों से हैं जो दर्शाता है कि हमारे शिक्षक कितने अच्छे से पढ़ा रहे हैं। यह मदरसा आधा एकड़ में स्थित है। यहां पां शिक्षक, एक रसोइया व एक गार्ड कार्यरत हैं। वही कई अन्य सेवा मदरसा को ग्रामीणों द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।