Lucknow News: जनता करे तो आख़िर क्या?
Lucknow News: अधिकारी कर्मचारी का तनख्वाह से पेट नहीं भर रहा, लगे हैं रात दिन जुगाड़ में किस तरह जनता आकर उनकी हथेली गरम करे।
लेखक : गौतम राणे सागर
न्यूज इंप्रेशन
Lucknow: विधायिका: नेता जो उनके जनप्रतिनिधि हैं, वह अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर उन्हें उपदेश देने और सांत्वना पुरस्कार वितरण में मस्त हैं।
कार्यपालिका: अधिकारी कर्मचारी का तनख्वाह से पेट नहीं भर रहा, लगे हैं रात दिन जुगाड़ में किस तरह जनता आकर उनकी हथेली गरम करे। सरकारी बजट का 70% भकोसने के बाद भी यह पेट पर ऐसा घड़ा बांधे हैं कि भरने का नाम ही नही ले रहा है। भवसागर हो गया है। जिन्हें संविधान के अनुसार कार्य करना चाहिए थे उन्होंने अपने को जॉर्ज पंचम की श्रेणी में खड़ा कर लिया है। जनता को अपने बूटों के नीचे कुचलने के लिए व्याघ्र की तरह व्यग्र रहते हैं।
न्यायपालिका : मैजिस्ट्रेट से लेकर उच्चतम न्यायालय तक के न्यायाधीशों द्वारा ज़ारी किए गए आदेश पर जनता को भरोसा ही नही हो रहा है, बस स्वीकार कर लेने की बाध्यता है। भरोसे का संकट खड़ा हो गया है।
मीडिया : प्रतीत होता है इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लोग आजकल पंचगव्य ( गाय का गोबर, मूत्र, दूध दही और घी) का ही सेवन कर रहे हैं। उनके मुताबिक़ देश का सारा गेहूं, चावल 85 करोड़ लोगों के बीच मुफ़्त बांट दिया जा रहा है। लिहाज़ा मुंह से निगला गया गोबर वाणी के रूप में वह उगल रहे हैं। शायद मुफ़्त के राशन का सबसे अधिक सुपात्र अडानी है। उसके फ्लोर मिल्स का एक बार भ्रमण कर ले आप दंग रह जाएंगे। पीडीएस के जरिए बंटने वाले गेहूं का बड़ा अंश वहीं दिख जायेगा।लोकतंत्र में जब तक चारित्रिक रूप से मज़बूत सरकार की स्थापना नही होगी तब तक इन बेईमानों का इलाज़ हो पाना संभव ही नही है। स्वस्थ लोकतन्त्र की मर्यादा को तभी अक्षुण्ण रखा जा सकता है जब पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र हो। हमारे डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र की शिक्षा हमें तथागत गौतम बुद्ध से मिली है। मनुवाद लोकतंत्र का धुर विरोधी है। मनुवाद: मनी, माफिया, मीडिया की धौंस पर टिका है। नैतिकता का इनमें जरा सा भी अंश नही है। सवाल तो वही उठेगा कि आख़िर कौन इन्हें सही सबक सीखा पायेगा? एक सबक की हमें हमेशा सीख रखनी चाहिए कि जब हम चलते चलते कहीं भटक जाए तब हमारे सामने एक ही विकल्प शेष रह जाता है कि जहां से हम चले थे वापस आकर फ़िर वहीं से शुरूआत की जाए। कुछ लोग जो अकेले बहुत दूर निकल गए हैं चाहे अनचाहे वह दुश्मन के हाथों की कठपुतली बन चुके हैं। उनसे नैतिकता प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी है।बहुजन मुक्ति पार्टी मनुवाद और ब्राह्मणवाद की समस्त साज़िश की काट का तीर अपने तरकश में रखती है। आपके समक्ष भरोसे का जो संकट उत्पन्न हो गया है इनका इलाज़ कर फ़िर से आपके भरोसे को बढ़ाया जा सकता है। आप अपनी सारी ऊर्जा को इकट्ठा करें, साथ चले: हम यूरेशियाई नस्लों को भी इन्सान बनने पर मजबूर कर देंगे।
