Latehar: लातेहार में धूमधाम से मनाया गया करम परब, 5 खोड़हा समूहों ने पारंपरिक वेशभूषा में लिया भाग
Latehar जिले के लातेहार प्रखंड के पहाड़ पर स्थित पड़हा भवन के प्रांगण में करम परब पर संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Latehar: लातेहार जिले के लातेहार प्रखंड के पहाड़ पर स्थित पड़हा भवन के प्रांगण में रविवार को करम परब की संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें लातेहार जिले के विभिन्न गांवों से आए हुए 5 खोड़हा समूहों ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया। सरना समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में
लातेहार जिप सदस्य विनोद उरांव मौजूद थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रकृति की रक्षा से ही समाज में प्रगति आ सकती है। करम परब आदिवासी संस्कृति को नवजीवन देता है। इससे पर्यावरण में भी शुद्धता रहती है। आदिवासी समाज को शिक्षा के साथ साथ सामाजिक परंपरा को भी बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज को आगे लाने में युवाओं को सहयोग करना होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक चेतना के क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है। करम परब भाई बहन का पवित्र त्योहार
सरना समिति के सचिव बिरसा मुंडा ने कहा कि करम परब भाई बहन का पवित्र त्योहार है। इसके माध्यम से बहन उपवास कर अपने भाईयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। आदिवासी परंपरा की पहचान पूरे विश्व में हैं। हमें अपनी संस्कृति को बचा कर रखने की जरूरत है। गांव के पाहन पुजार मां सरना से प्रार्थना कर अच्छी फसल होने की कामना करते हैं। आदिवासियों को अपनी रीति-रिवाज, सभ्यता और संस्कृति को बचाना अत्यंत ही आवश्यक है।
समाज के वयोवृद्ध से लेनी चाहिए शिक्षा
आदिवासी समन्वय समिति के जिला अध्यक्ष सेलेस्टीन कुजूर ने कहा कि अनुशासन में रहकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इसके लिए मिल जुलकर काम करना होगा। हमें समाज के वयोवृद्ध लोगों से शिक्षा लेनी चाहिए। मौके पर विभिन्न खोड़हा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में मोहन लोहरा, बिनोद लोहरा, किरानी उरांव, सरोज लोहरा, किरण उरांव, कलीन्दर महली, संतोष महली, महेंद्र उरांव, धनेश्वर उरांव, रामलाल राम, धनलाल उरांव, सुरेन्द्र उरांव, सुखमनी देवी, इन्द्र देव उरांव, नागेश्वर उरांव, भागेश्वर उरांव, मोती उरांव, सुनिता उरांव, मुखिया बिमला उरांव, रिंकी उरांव, पार्वती उरांव, आर्यन उरांव, रंथु उरांव, सुशीला उरांव, निर्मला उरांव, चन्द्र मनी उरांव, जीतू उरांव इत्यादि आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद थे।