Bokaro : पेरियार ललई सिंह यादव की जयंती समारोह 10 सितंबर को मनाई जाएगी, बोकारो सहित दूसरे जिले के लोग लेंगे हिस्सा

Bokaro: अखिल भारतीय संत गाडगे संस्थान बोकारो की ओर से पेरियार ललई सिंह यादव की जयंती समारोह 10 सितंबर को सेक्टर चार बुद्ध विहार सभागार में मनाया जा रहा है। समारोह में बोकारो सहित दूसरे जिले के लोग लेंगे हिस्सा।

न्यूज इंप्रेशन, संवादाता

Bokaro : अखिल भारतीय संत गाडगे संस्थान बोकारो ( झारखंड ) के तत्वावधान में 10 सितंबर को सेक्टर 4 जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान के समीप स्थित “बुद्ध विहार“ के सभागार में परियार ललई सिंह यादव की जयंती समारोह सह अखिल भारतीय संत गाडगे संस्थान का प्रथम स्थापना सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी मीडिया प्रभारी सह संगठन के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की पूरी तैयारी पूरी हो गई है। सम्मेलन के मुख्य अतिथि पटना के जीएसटी पदाधिकारी अशोक यादव, उदघाटनकर्ता सेवानिवृत उपविकास आयुक्त एमएल दास होंगे।

बोकारो सहित दूसरे जिले के लोग लेंगे हिस्सा
सम्मेलन में भाग लेने के लिए बोकारो स्टील सिटी, गोमिया, फुसरो, बोकारो थर्मल के अलाव हजारीबाग, रांची, पटना कई लोग पधार रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर पेरियार ललई सिंह यादव, संत गाडगे महाराज के अलावा अन्य समाज सुधार की जीवनी तथा उनसे संबंधित पुस्तकें भी बिक्री के लिए स्टॉल पर उपलब्ध रहेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अरुण कुमार, संचालन ललन आनंदकर, भाषण सत्र के उद्घाटनकर्ता मनोज कुमार करेंगे। ना से पधारे जीएसटी अधिकारी अशोक यादव होंगे।

कौन है ललई सिंह यादव
ललई सिंह ने दलित, पिछड़े व वंचित वर्गो में चेतना जगाने के लिए होल टाइमर के रूप में आजीवन काम किया। उनकी अपनी छोड़ी बहुत जो जमीन थी उसे बेचकर पुस्तकों को प्रकाशन के लिए प्रेस लगाया। सन 1973 में जब पेरियार रामास्वामी नायकर नहीं रहे तो एक कार्यक्रम के अवसर पर दक्षिण भारत के लोगों ने ललई सिंह को सभा को संबोधित करने के लिए बुलाया। उनके ओजस्वीपूर्ण भाषण को सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग कहने लगे कि अब उन्हें दूसरा पेरियार मिल गया है। पेरियार ललई सिंह यादव का जन्म हिंदू धर्म के चतुर्वर्ण व्यवस्था के तहत शूद्र वर्ण में यादव जाति में हुआ था, मगर उन्होंने सन् 1967 ई. में ही हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। अपने नाम के ’यादव’ टाइटल को भी हटा दिया था सामाजिक व सांस्कृतिक क्रांति का वह महान योद्धा अपने जीवन के अंतिम दिन यानि 7 फरवरी सन् 1993 ई. तक बिल्कुल साधारण जीवन जीते हुए बगैर रुके, झुके और टुटे ब्राह्मणवाद के खात्मा एवं मानववाद की स्थापना में सतत् प्रयत्नशील रहा। वे अक्सर कहा करते थे कि ’सामाजिक अपमान गरीबी से ज्यादा खटकता है’। ’अखिल भारतीय संत गाडगे संस्थान’ ने अपने प्रथम स्थापना सम्मेलन में ही उस महान क्रांतिकारी योद्धा की जयंती मनाने का बीड़ा उठाया है।

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