INDIA Allince Mega Rally 31 March : मोदी के हर तानाशाही की काट: राहुल का पाँच न्याय !
INDIA Allince Mega Rally 31 March: 31 मार्च को आयोजित इंडिया ब्लॉक की रामलीला मैदान वाली रैली सचमुच ऐतिहासिक रही। इस रैली ने लोगों को 1974 में रामलीला मैदान में आयोजित जयप्रकाश नारायण की उस रैली की याद ताजा कर दी जो इंदिरा गांधी की तानाशाही सत्ता के अंत का सबब बनी थी।
लेखकः एचएल दुसाध
(बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष)
न्यूज़ इंप्रेशन
दिल्लीः क्या नरेंद्र मोदी चुनाव को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्रित करने जा रहे हैं! यदि पिछले एक सप्ताह की चुनावी सरगर्मियों पर ध्यान दिया जाए तो साफ नजर आएगा कि उनकी मंशा चुनाव को भ्रष्टाचार पर केंद्रित करने की ही है। पिछले एक सप्ताह की सबसे बड़ी घटना दिल्ली के रामलीला मैदान में 31 मार्च को आयोजित इंडिया ब्लॉक की ‘तानाशाही हटाओ- लोकतंत्र बचाओ’ महारैली रही। लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन की यह पहली बड़ी रैली रही, जिसमें सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, तेजस्वी और अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला इत्यादि विपक्षी नेताओं की भारी जुटान हुई। इस रैली ने साबित कर दिया कि इंडिया गतगबंधन एकजुट है, जिसे लेकर गोदी मीडिया द्वारा पिछले कई माह से संदेह जाहिर किया जा रहा था। आम आदमी पार्टी द्वारा आयोजित ‘तानाशाही हटाओं- लोकतंत्र बचाओं’ रैली ने संदेश दे दिया कि भ्रष्टाचार के कथित मामले में जांच एजेंसियों की एकपक्षीय सक्रियता के बावजूद इंडिया गठबंधन के नेताओं के चुनावी जोश में कोई अंतर नहीं आया है। रैली का खास आकर्षण जेल में बंद हेमंत सोरेन और अरविन्द केजरीवाल के पत्नियों क्रमशः कल्पना सोरेन और सुनीता केजरीवाल की उपस्थिति रही।रैली को सबसे पहले संबोधित करने वाले उद्धव ठाकरे ने इनके सम्मान में कहादृ ‘कल्पना सोरेन और सुनीता केजरीवाल हमारी बहन हैं। जब इस तानाशाही सरकार के खिलाफ हमारी बहनें लड़ रही हैं तो हमारे जैसे भाई पीछे कैसे रह सकते हैं। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि आप अपने बैनर पर लगा दो कि भाजपा के साथ जो पार्टी है वो ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स है।‘
आपके केजरीवाल शेर हैं
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने रैली को संबोधित करते हुए कहा- ‘मोदी जी ने मेरे पति को जेल में डाल दिया, क्या उन्होंने ठीक किया? आपके केजरीवाल को ज्यादा दिन तक ये जेल में नहीं रख पाएंगे। आपके केजरीवाल शेर हैं। करोड़ों लोगों के मन में बसते हैं। ‘सुनीता केजरीवाल ने अरविंद का जेल से भेजी गई ये 6 गारंटियां भी पढ़ीं। पहला-पूरे देश में 24 घंटे बिजली। दूसरा-गरीबों को बिजली फ्री। तीसरी- हर गांव-मोहल्ले में शानदार सरकारी स्कूल। चौथा-हर गांव और 1 मोहल्ले में क्लिनिक, जिले में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल। पांचवीं- किसानों को एमएसपी और छठी- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा। वहीं भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा- ‘आज यहां उमड़ा जन सैलाब इस बात की गवाही दे रहा है कि लोकतंत्र को खत्म करने के लिए तानाशाही ताकतों ने अपने कदम बढ़ाए हैं, उसका अंत जनता इस चुनाव में कर देगी।‘
बीजेपी और आरएसएस जहर के जैसे
एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा- ‘इस सरकार (केंद्र सरकार) ने दिल्ली के सीएम, झारखंड के सीएम को गिरफ्तार किया है और विभिन्न राज्यों के कई अन्य नेताओं को भी जेल में डाल दिया है। यह कार्रवाई लोकतंत्र और संविधान पर हमला है। इसे (लोकतंत्र) बचाना हमारी जिम्मेदारी है।‘ मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘आप लोकतंत्र चाहते हैं या तानाशाही, ये आपको तय करना है। जो तानाशाही चाहते हैं, उनको देश से निकालना होगा। बीजेपी और आरएसएस जहर के जैसे हैं। अगर आप चाहते हैं कि इसको भी देख लेंगे, विष को चाट कर देखेंगे या पीकर देखेंगे, दोनों स्थितियों में जिंदा नहीं रहेंगे।‘ इन्हीं की तरह मंच पर बैठे सीताराम येचुरी, डी. राजा, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला इत्यादि ने भी मोदी की तानाशाही और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर सवाल दागे। इनमें सबसे उत्तेजक सम्बोधन राहुल गांधी का रहा। राहुल गांधी ने कहा- ‘इंडिया गठबंधन के सभी नेता जो यहां आए हैं, उनके साथ मैं केजरीवाल जी और सोरेन जी का भी नाम लेना चाहता हूं जो यहां नहीं है, लेकिन दिल से हमसे जुड़े हैं। आज कल आईपीएल के मैच चल रहे हैं। जब बेईमानी से अंपायर पर दबाव डालकर प्लेयर खरीदे जाते हैं, उसे मैच फिक्सिंग कहते हैं। हमारे सामने लोकसभा चुनाव हैं। इसमें मैच फिक्सिंग हो रही है। मैच किसने फिक्स किए-नरेंद्र मोदी ने। मैच शुरू होने से पहले हमारी टीम से दो खिलाड़ियों को अरेस्ट करके अंदर कर दिया। तो नरेंद्र मोदी जी इस चुनाव से पहले मैच फिक्सिंग की कोशिश कर रहे है। उनका 400 का नारा, बिना मैच फिक्सिंग के, बिना सोशल मीडिया और मीडिया पर दबाव डाले 180 से ज्यादा नहीं हो पा रहा है।‘
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि ये सरकार (मोदी सरकार) किसी पार्टी के खाते फ्रीज कर देती है, किसी को जेल भेज देती है। इनको लगता है कि डंडे से देश चला लेंगे। ये देश किसी के बाप की जागीर नहीं है, ये देश 140 करोड़ लोगों का है।‘
भाजपा के तानाशाही विचारधारा कहीं भी पनपने नहीं देंगे
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा- ‘जिस जमीन की वजह बताकर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया, उसका किसी भी किताब में जिक्र नहीं है। हेमंत सोरेन ने झारखंड के दलित, पिछड़ा वर्ग को ऊपर उठाने का काम शुरू किया तो भाजपा के पेट में दर्द हो गया। हमारे पूर्वजों ने भी इसी तरह झारखंड में लड़ाई लड़ी। आज यहां से पूरे भारत में संदेश जाएगा कि हम सब एक हैं। भारतीय जनता पार्टी की तानाशाही की विचारधारा हम कहीं भी पनपने नहीं देंगे।‘ रैली के अंत में प्रियंका वाड्रा ने इंडिया गठबंधन की 5 मांगें भी रखीं-‘
1. भारत के चुनाव आयोग के इलेक्शन में सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने चाहिए।
2. चुनाव आयोग को विपक्षी दलों के खिलाफ ईडी,सीबीआई और इनकम टैक्स की कार्रवाई को रोकना चाहिए। 3. हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल की तत्काल रिहाई की जाए।
4. विपक्षी पार्टियों को वित्तीय रूप से कमजोर करने की कोशिशें बंद हों।
5. भाजपा को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए जो फंड मिला है, उसकी एसआईटी जांच होनी चाहिए।‘
रामलीला मैदान वाली रैली सचमुच ऐतिहासिक रही
कुल मिलाकर इंडिया ब्लॉक की रामलीला मैदान वाली रैली सचमुच ऐतिहासिक रही। इस रैली ने लोगों को 1974 में रामलीला मैदान में आयोजित जयप्रकाश नारायण की उस रैली की याद ताजा कर दी जो इंदिरा गांधी की तानाशाही सत्ता के अंत का सबब बनी थी। इस रैली के जरिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों का दुरपयोग और राजनीतिक भ्रष्टाचार का संदेश पूरे देश तक गया। किन्तु इस बेहद कामयाब रैली को भाजपा की ओर से भ्रष्टाचारियों की रैली बताने की कोशिश की गई। इस रैली पर अपनी राय देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘इंडिया’ के नेताओं के पास भ्रष्टाचार के अलावा देने को कुछ नहीं है।‘ भाजपा के अन्य छोटे बड़े नेता-प्रवक्ता भी मोदी का अनुसरण करते हुए इसे ‘परिवार बचाओ, भ्रष्टाचार छिपाओ’ रैली करार दिए। इन पक्तियों को लिखे जाने का दौरान शराब नीति घोटाले से जुड़े आरोप में छह महीने से जेल मे बंद ‘आप’ नेता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह को जमानत मिल चुकी है। उनके जेल से बाहर आने पर आम आदमी पार्टी सहित इंडिया गठबंधन ने भारी राहत की सांस ली है। इस बात को ध्यान मे रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है,’ मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना बंद नहीं करेगा। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ दो ही विकल्प बंचे हैं- जेल या बेल!’
प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फ्रन्ट फुट पर खेलते हुए
कुल मिलकर साफ दिख रहा है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फ्रन्ट फुट पर खेलते हुए, इसे प्रधान मुद्दा बना चुके हैं। जिस तरह चुनावी बॉन्ड का घोटाला सामने आया है; जिस तरह भाजपा को वाशिंग मशीन और मोदी को वाशिंग पाउडर बताते हुए संदेश दिया जा रहा है कि मोदी भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने के बजाय अपना संगी बनाते जा रहे हैं, उससे उनकी जगह कोई और होता तो बचाव की मुद्रा अख्तियार कर लेता। लेकिन मोदी आक्रामक अंदाज में इसी मुद्दे पर चुनाव को केंद्रित करते नजर आ रहे हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें लगता है, जिस तरह मीडिया उनके पक्ष में है; जिस तरह भाजपा का विशाल संगठन उनके साथ है, विपक्ष इस मुद्दे पर उन्हें शिकस्त नहीं दे पाएगा। ऐसे में विपक्ष को कोशिश करनी चाहिए कि वह वह भ्रष्टाचार के नाम पर बिछाए जा रहे मोदी के जाल में न फंसे। वह ऐसे मुद्दे उठाए जिसकी काट मोदी के लिए आसान न हो। वैसे भी मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार इत्यादि रूटीन मुद्दे हैं जो प्रायः हर चुनाव में उठाए जाते रहे हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार काफी हद तक घिसा-पीटा मुद्दा है। अब वह दौर काफी पीछे छूट चुका है, जब चुनावी बॉन्ड के मुकाबले बोफोर्स के काफी छोटे भ्रष्टाचार के संदेह में राजीव गांधी की सत्ता चली गई थी।आज पक्ष हो या विपक्ष : हर किसी के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग हैं। इसीलिए 2019 में रफायल मुद्दा अपेक्षित प्रभाव छोड़ने में पूरी तरह व्यर्थ रहा। ऐसे में गोदी मीडिया और सत्ता के प्रबल समर्थन से पुष्ट भाजपा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पराजित करना विपक्ष के लिए बहुत ही कठिन काम है।
मोदी के पास पिछले दस सालों की ऐसी उपलब्धियां नहीं
वर्तमान में मोदी के पास पिछले दस सालों की ऐसी उपलब्धियां नहीं हैं, जिनकी जोर से अवाम के बीच वोट मांगने जाएं। जबकि कांग्रेस पार्टी ने पाच न्यायः ‘भागीदारी न्याय’, ‘ किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’ ‘युवा न्याय’ और ‘श्रमिक न्याय’ के जरिए ऐसा सकारात्मक मुद्दा विपक्ष को सुलभ कर दिया है, जिसकी काट मोदी के लिए संभव ही नहीं है। किसान न्याय के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी; नारी न्याय के तहत आधी आबादी को सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने तथा बीपीएल परिवार की एक महिला को साल मे एक लाख रुपये देने; युवा न्याय के तहत 30 लाख सरकारी नौकरियों देने और युवाओं के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये देने का वादा; श्रमिक न्याय तहत 400 रुपये की न्यूनतम मजदूरी के साथ हिस्सेदारी न्याय के तहत अवसरों और संसाधनों के बंटवारे मे जितनी आबादी दृउतना हक की पॉलिसी लागू करने जैसा एजेंडा है, जिसकी जोर से चुनाव को बड़ी आसानी से उस सामाजिक न्याय पर केंद्रित किया जा सकता है, जिस पर भाजपा हमेशा हार वरण करने के लिए अभिशप्त रहती है। भारी आफ़सोस की बात है कांग्रेस का पाँच न्याय जैसा अचूक हथियार इस्तेमाल करने में विपक्ष कोताही बरत रहा है। शिवाजी पार्क की रैली में भी विपक्ष के नेता पाँच न्याय के प्रति बेरुखी दिखाए : वही हाल रामलीला मैदान में भी रहा। रामलीला मैदान में कम से कम तेजस्वी और अखिलेश यादव जैसे सामाजिक न्यायवादियों से लोग उम्मीद कर रहे थे कि वे जितनी आबादी- उतना हक की बात करेंगे। पर, जहां तेजस्वी अपने सम्बोधन को नौकरियों/ बेरोजगारी पर केंद्रित रखे, वहीं अखिलेश यादव बात पीडीए की जरूर किए पर, एक बार फिर वह बताने में असमर्थ रहे कि उनकी नजरों में क्या है पीडीए की समस्या तथा क्या है उसका इलाज! लेकिन तेजस्वी- अखिलेश इत्यादि भले ही जितनी आबादी- उतना हक की अनदेखी करेंः राहुल गांधी पाँच न्याय और जाति जनगणना की बात उठाना नहीं भूलते और रामलीला मैदान में भी नहीं भूले! खबर है कि राहुल गांधी पाँच न्याय को जन-जन तक पहुचाने के लिए विशेष अभियान चलाने जा रहे हैं। ऐसे में अगर पाँच न्याय और 25 गारंटी का एजेंडा जन-जन तक पहुंच जाता है, तब मोदी की तानाशाही सत्ता से देश को निजात मिल सकती है,इसके प्रति आँख मूँद कर आश्वस्त हुआ जा सकता है!