Fund For Congress: कांग्रेस के लिए 400 करोड़ का फंड जुटाने का एक नायाब सुझाव!

Fund For Congress: कांग्रेस केंद्रित किताबों के जरिए 400 करोड़ का फंड जुटाने के विषय में एक सुझाव !

लेखकः एचएल दुसाध
(पत्रकार सह संस्थापक अध्यक्ष, बहुजन डाइवर्सिटी मिशन दिल्ली)

न्यूज इंप्रेशन
Delhi:    राहुल गांधी जी!
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस, दिल्ली
मान्यवर! कांग्रेस का बैंक एकाउंट फ्रीज़ किए जाने के बाद, जिस तरह आयकर विभाग ने चुनाव की घोषणा होने के बाद पाँच अलग-अलग वित्तीय वर्षों के टैक्स रिटर्न के कथित विसंगतियों के लिए 1823.08 करोड़ रुपये के भुगतान का नोटिस जारी किया, तभी अभूतपूर्व वित्तीय संकट की घड़ी में कांग्रेस के लिए अपने स्तर पर कुछ करने का मन बनाना शुरू कियाः और जब 31 मार्च को फिर आयकर विभाग की ओर से 1,745 करोड़ की नोटिस जारी हुई मैं यह सुझाव देने का निर्णय लिए बिना न रह सका। इस विषय में आपको याद दिला दूँ कि 13 जनवरी, 2024 की सुबह जब 10 जनपथ में डॉ अनिल जयहिन्द के सौजन्य से दलित-पिछड़े समाज के दो दर्जन लेखक/एक्टिविस्टों के मध्य मुझे भी आपसे मिलने का सौभाग्यलाभ हुआ, मैंने कांग्रेस पर केंद्रित अपनी 6 किताबें भेंट करते हुए विनम्रतापूर्वक एक खास बात आपको बताया था। वह यह कि इन किताबों के जरिए कांग्रेस पार्टी को 400 करोड़ का फंड सुलभ कराने के साथ पार्टी के पक्ष में समर्थन का सैलाब पैदा करने का मेरे पास एक परफेक्ट प्लान है। तब मेरी बात सुनकर आप कुछ विस्मित हुए थे, पर समयाभाव के कारण मैं इस विषय मे विस्तार से कुछ न कह सका! अब जबकि कांग्रेस पार्टी भारी आर्थिक संकट में फंस चुकी है, इस पत्र के जरिए अपना वह प्लान कुछ विस्तार के साथ रखने जा रहा हूँ!

मैं एक दलित लेखक- पत्रकार हूँ
प्लान सामने रखने के पहले बात दूँ कि मैं एक दलित लेखक- पत्रकार हूँ, जिसने सामाजिक बदलाव के मुद्दे पर 94 किताबें तैयार की है, जिनके सेट का मूल्य 60 हजार रुपये से अधिक का है। शायद ही विश्व इतिहास में यह कीर्तिमान किसी भी अन्य लेखक के साथ जुड़ा होगा। मेरी पहचान ‘डाइवर्सिटी मैन ऑफ इंडिया’ के रूप मे एक ऐसे लेखक की है जो बहुजन लेखकों के संगठन ‘ बहुजन डाइवर्सिटी मिशन’(बीडीएम) के जरिए दलित- बहुजन लेखक-एक्टिविस्टों को साथ लेकर 2007 से शक्ति के स्रोतों-आर्थिक, राजनीतिक,शैक्षिक और धार्मिक में सामाजिक और लाँगिक विविधता के लागू करवाने के लिए प्रयासरत है। इस क्रम में बीडीएम का विविधता केंद्रित दस सूत्रीय एजेंडा भाजपा, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ कई क्षेत्रिय दलों के चुनावी घोषणापत्रों में जगह पा चुका है। अगर झारखंड में 25 करोड़ तक के ठेकों में एसटी,एससी, ओबीसी के लिए आरक्षण लागू हुआ; अगर तमिलनाडु के 36,000 मंदिरों के पुजारियों की नियुक्ति में एससी,एसटी, ओबीसी और महिलाओं को आरक्षण लागू होने का आदेश जारी हुआ तो, इसका कुछ श्रेय साहित्य के द्वारा चलाए जा रहे बीडीएम के वैचारिक अभियान का भी है।

1997 से लेखन में उतरने के बाद अम्बेडकरवादी आंदोलनों से जुड़ गया

वैसे तो मैंने भारी जोखिम ले कर पश्चिम बंगाल में 1995 तक कांग्रेस के लिए सक्रिय राजनीति किया पर, 1997 से पूर्णकालिक तौर पर लेखन में उतरने के बाद अम्बेडकरवादी आंदोलनों से जुड़ गया। किन्तु, जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने फरवरी, 2023 में रायपुर के अपने 85वें अधिवेशन में सामाजिक न्याय का पिटारा खोला और जिस तरह आप कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉन के रूप में उभरे, मेरा सम्पूर्ण लेखन और चिंतन कांग्रेस और आप पर केंद्रित हो गया। इस क्रम में 2023 में कांग्रेस से जुड़ी मेरी 6 किताबें प्रकाशित हुईंः
1-राहुल गांधी : कल, आज और कल(पृष्ठ- 184, मूल्य- 230 रुपये)
2-सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉन : राहुल गांधी (पृष्ठ-120, मूल्य 140 रुपये)
3-राहुल गांधी : सामाजिक न्याय की राजनीति के नए मसीहा (पृष्ठ-48, मूल्य-60 रुपये)
4-रियल मदर इंडिया : सोनिया गांधी(पृष्ठ- 104, मूल्य- 125 रुपये)
5-सोनिया युग की कांग्रेस (पृष्ठ- 204, मूल्य- 240) एवं 6-2024ः भाजपा-मुक्त भारत (पृष्ठ-142, मूल्य-170 रुपये)!
मान्यवर, मैंने 2023 में कांग्रेस के पक्ष में जो छह किताबें तैयार की, उनमें दो किताबें-एक, ‘सोनिया युग की कांग्रेस’ तथा दूसरी, ‘राहुल गांधीः सामाजिक न्याय की राजनीति के नए मसीहा’-कांग्रेस के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। ‘सोनिया युग की कांग्रेस’ जहां आजादी के बाद की कांग्रेस के सम्पूर्ण उपलब्धियों से जनता को अवगत करनें मे समर्थ है, वहीं ‘राहुल गांधीः सामाजिक न्याय की राजनीति के नए मसीहा’ सामाजिक न्याय समर्थक के रूप में जननायक राहुल गांधी की छवि को प्रतिष्ठित करने मे सक्षम है। इन दोनों किताबों को यदि 5-5 हजार प्रतियां एक-एक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचा कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जागरूक लोगों में वितरित किया जाएं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में न सिर्फ कांग्रेस के पक्ष मे भारी समर्थन पैदा हो सकता है, बल्कि 400 करोड़ से अधिक का फंड भी आ सकता है, ऐसा मेरा दावा है। ऐसा कैसे संभव है, उसका अर्थशास्त्र बताता हूँ!

सोनिया युग के कांग्रेस की कीमत 240 रुपये है। इसकी 5000 प्रतियों की कुल कीमत 240×5000 =12,00,000 (बारह लाख) होती है और इसकी प्रति कॉपी लागत 45 रुपये आएगी अर्थात 45 x 5000= 2,25,000 (दो लाख,पच्चीस हजार) छपाई में खर्च आएगा। अतः 5000 प्रतियों से शुद्ध आय 12,00,000- 2,25,000=9,75,000 (नौ लाख पिचहत्तर हजार) होगी। इसी तरह ‘राहुल गांधीः सामाजिक न्याय की राजनीति के नए मसीहा’ की कीमत 60 रुपये है, जिसके 5000 प्रतियों की कुल कीमत : 3,00,000 (तीन लाख) होगी। इसकी प्रति कॉपी लागत 20 रुपये आएगी अर्थात 20 x 5000=1,00,000 (एक लाख) लागत पाँच हजार प्रतियों की आएगी। इससे शुद्ध लाभ 3,00,000- 1,00,000= 2 लाख होगा। अब यदि इन दोनों किताबों की 5-5 हजार प्रतियां एक विधानसभा क्षेत्र में जाती है तो 9,75,000 प्लस 2,00,000= कुल 11 लाख, पिचहत्तर हजार का फंड एक विधानसभा क्षेत्र से आ सकता है। देश में कुल 4100 विधानसभा क्षेत्र हैं। मान कर चल जाय कि 4000 विधानसभा क्षेत्रों तक ही में 5-5 हजार करके दोनों किताबों पहुचती हैं तो 11, 75,000 Û 4000= 470,00,00, 000 (चार सौ सत्तर करोड़) का फंड कांग्रेस के लिए पूरे देश से आ सकता है।

दोनों किताबों के प्रकाशन का पूरा अधिकार

इन दोनों किताबों के प्रकाशन का पूरा अधिकार मैं कांग्रेस को दे दूंगा : मुझे इसमे से एक पैसा भी नहीं चाहिए। मेरी ओर से पूरा अधिकार मिलने के बाद कांग्रेस को किताबें अपनी ओर से छपवा कर, फुल रेट में इसे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के कुछ पार्टी हितैषी सक्षम लोगों के जरिए वितरित करवानी होगी। इसके लिए कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को निर्देश देना होगा कि वे विधानसभा प्रभारी को अपने विधानसभा सभा क्षेत्र के कुछ सक्षम कांग्रेस हितैषियों के जरिए दोनों किताबों का 5-5 हजार कॉपी क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मध्य फ्री में वितरित करवाएं। वर्तमान मे कांग्रेस की जैसी हवा है, इशारा मिलते ही खुशी दृ खुशी दो-चार लोग मिलकर कुल 5-5 हजार प्रतियां वितरित करवा सकते हैं। इस तरह कांग्रेस को एक विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 10-11 लाख का फंड मिल सकता है।फंड के साथ ये किताबें जब कार्यकर्ताओं को फ्री मे मिलेगी, वे इनके जरिए बड़े मतदाता तैयार कर लेंगे। ये किताबें कांग्रेस कार्यकर्ताओं को वैचारिक रूप से इतना समृद्ध कर देंगी कि उनके सामने दूसरी पार्टी के वर्कर टिक ही नहीं पाएंगे। आजादी के बाद देश के नवनिर्माण में अकेले कांग्रेस की भूमिका 90 प्रतिशत है। देश में दलित-आदिवासियों का जो उत्थान हुआ है, उसमें कांग्रेस का ही सम्पूर्ण योगदान है। लेकिन देश के दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक मण्डल उत्तरकाल में विरोधियों के अपप्रचार के चलते कांग्रेस के ऐतिहासिक योगदान को प्रायः भूल चुके हैं। ये किताबें बतायेंगी कि देश का जो विकास हुआ है , वह कांग्रेस की नीतियों के चलते हुआ है और राहुल गांधी पप्पू नहीं, सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉनः नए मसीहा हैं! मेरी किताबों के जरिए 400 करोड़ से अधिक का फंड हासिल करने के लिए कांग्रेस को एक समिति बनानी पड़ेगी जो इन का बांग्ला, पंजाबी, मराठी, तमिल, तेलगू इत्यादि विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराने के साथ इनके प्रकाशन और वितरण का काम सुचारु रूप से देख सकेः इस काम में मेरी ओर से फ्री सेवा उपलब्ध रहेगी।

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