Holi Festival: वसंत पर्व होली

MomHoli Festival: होली में बस होली खेलें, कभी न होवे रंग में भंग,

प्रस्तुति : ओमराज अज्ञानी

न्यूज इंप्रेशन

प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,

लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।
होली रंग अनंग पर्व है, जिसमें केवल जीवन की मस्ती
एक बार है मिली जिंदगी, इसे बनायें कभी न सस्ती
जीवन की खुशियों को बाँटें सब अपने हमजोली में,
प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।

प्रेम योग से सृष्टि अग्रसर, घृणा भाव न पनपे मन में,
वासंती मौसम के मद से मादकता है घुली पवन में,

प्रेम नशे में धुत्त हो नाचें सब अपनी अपनी टोली में,
प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।
रंग अबीर गुलाल उड़ायें, आसमान में भर दें रंग,

होली में बस होली खेलें, कभी न होवे रंग में भंग,

खान पान में प्यार भरा है, नहीं भांग की गोली में,

प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।

प्रेम जगत का मूल सत्य है, बाकी सब झूठे हैं फंदे

इस रहस्य को नहीं समझकर, भ्रम में फंस जाते हैं बंदे
प्रेम का धागा कभी न टूटे, भूल से हँसी ठिठोली में

प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।
रंग में डूबा बाहर का तन, तृप्त करे भीतर के मन को
होली का उद्देश्य यही है, भर दें रंग से शून्य गगन को,
पर कुदृष्टि न पड़े कभी भी मर्यादा की चोली में,

प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।

पीड़ित मानवता की सेवा में जीवन को अर्पण कर दें,
कभी अहम भर जाए मन में, झट से आत्मसमर्पण कर दें,
अंतिम यात्रा में है जाना सबको उड़न खटोली में,

प्यार के रंग को घोल, डालिए सरस भाव से होली में,
लेकिन यह भी ध्यान रहे कि कटुता नहीं हो बोली में।

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