Bhart Jodo Nyay Yatra: गांधी ने फिर किया सामाजिक और आर्थिक न्याय का उद्घोष

Bhart Jodo Nyay Yatra : पूर्णिया रैली में राहुल ने कहा कि देश में 500 बड़ी कंपनियों का लिस्ट निकाल लीजिए और ढूंढिए कि उनमें कितनों के मालिक और मैनेजर दलित, आदिवासी, पिछड़े हैं? कितने हास्पिटल दलित, आदिवासी, पिछड़ों के हैं? इसी तरह अखबारों और टीवी के कितने मालिक दलित, आदिवासी, पिछड़े हैं?

लेखक : एचएल दुसाध
(बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष)

न्यूज इंप्रेशन
Delhi : 30 जनवरी भारत के इतिहास का सर्वाधिक दुखद दिवस है। इसी दिन 1948 में जब बिड़ला भवन में महात्मा गांधी शाम की प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे, नाथूराम गोडसे नामक एक हिंदुत्ववादी ने शाम 5.17 बजे गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उसके बाद देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने वाले अहिंसा के पुजारी गांधी जी के बलिदान की याद में हर साल उनकी पुण्यतिथि (30 जनवरी) पर उन सभी शहीदों को याद किया जाता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण बलिदान कर दिए। शहीद दिवस के रूप में मनाए जाने वाले इस खास दिन को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नई दिल्ली के राजघाट पर गांधी जी को श्रद्धांजलि देते है। इस वर्ष भी तीस जनवरी को यह औपचारिकता पूरी हुई। इस बार पीएम नरेंद्र मोदी ने राजघाट पहुंचकर बापू को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ साथ राष्ट्रपति मुर्मू और उप राष्ट्रपति धनखड़ भी राजघाट पहुंचे और बापू को श्रद्धांजलि देकर उनका नमन किए। इस अवसर पर मोदी ने राष्ट्र को संदेश देते हुए कहा,’ मैं पूज्य बापू को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि देता हूँ, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। उनका बलिदान हमें देश के लोगों की सेवा और उनके लक्ष्यों को पूरा करने की प्रेरणा देता है।‘ बहरहाल जिस कॉंग्रेस पार्टी से जुड़कर गांधी जी ने अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने का ऐतिहासिक कार्य किया था, उस ने इस बार उनके बलिदान दिवस को भारत जोड़ों न्याय यात्रा के साये मे मनाया , जिसके जरिए नई सदी में आजादी दिलाने की एक नई लड़ाई लड़ी जा रही है।

न्याय यात्रा के समर्थन में यूपी के 844 ब्लॉकों में ध्वजवंदन कार्यक्रम
30 जनवरी को उत्तर प्रदेश के कांग्रेस मुख्यालय में बलिदान दिवस का खास आयोजन हुआ, जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने रांमधुन गाकर आजादी के बलिदानियों को स्मरण किया। प्रदेश प्रभारी अविनाश पाण्डेय ने कहा, ’पूज्य बापू जी के विचार और उनके कार्यों को सुनकर आज हमसब गौरवान्वित हैं। कोई भी समाज विचारों के बिना रह सकता। हम अपने गौरवशाली अतीत की नीव पर एक बेहतरीन भविष्य के निर्माण के लिए यहाँ एकत्रित हुए। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि प्रदेश मे तिरंगे के महत्व को घटाने का जो कुचक्र भाजपा एवं आरएसएस द्वारा रचा किया जा रहा है उसे दृष्टिगत रखते हुए 26 से 30 जनवरी तक भारत जोड़ों न्याय यात्रा के समर्थन में प्रदेश के 844 ब्लॉकों मे ध्वजवंदन कार्यक्रम का आज प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर समापन हो रहा है। बलिदान दिवस के अवसर पर ‘महात्मा गांधी के जीवन का संदेश’ शीर्षक से एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन हुया, जिसमें राम पुनियानी, अशोक पांडे, प्रो रविकांत, सीपी राय, सुरेन्द्र कुमार सिंह जैसे भारत विख्यात विद्वानों ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार रखें। संगोष्ठी मे ‘महात्मा गांधी की हत्या क्यों की गई?’ के लेखक अशोक पाण्डेय ने गोडसे से जुड़ी कई अनछुई बातों पर रोशनी डालते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा से लोगों को का हृदय परिवर्तन किया। जो हिंसा में भरोसा करते हैं उन्हें मरने की कला सीखनी होती है। प्रो रविकांत ने कहा कि लिखने-पढ़ने से बैर रखने वाले कुछ लोगों ने गांधी और अंबेडकर के बीच बैर की बात फैला रखी है। यही लोग पूना पैक्ट को भी लेकर भ्रांति फैला रखें हैं कि पूना पैक्ट से दलितों को कुछ नहीं मिल। जबकि खुद बाबा साहब अंबेडकर ने पूना पैक्ट को लेकर कुछ कमियों और सवालों के बावजूद भारी संतोष व्यक्त किया था। उन्होंने अम्बेडकरकर के प्रति गांधी जी के सकारात्मक रुख के कई अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाला। प्रो राम पुनियानी ने बताया कि मातम गांधी ने आजादी कि लड़ाई का नेतृत्व करने के साथ ही पूरी दुनिया मे सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की ताकत को भी रेखांकित किया, जिस पर चलते हुए कई अन्य देशों ने अपनी आजादी कि लड़ाई जीती।

न्याय यात्रा का भव्य आयोजन पूर्णिया में
बहरहाल राहुल गांधी के नेतृत्व मे चल रही भारत जोड़ों न्याय यात्रा के साये में इस बार काँग्रेसियों ने जो बलिदान दिवस मनाया, उस यात्रा का भव्य आयोजन इस बार पूर्णिया में हुआ, जहां सोशल मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक प्रायः दो लाख लोगों ने शिरकत किया। इसमें इंडिया गठबंधन से जुड़े कांग्रेस के भूपेश बघेल, रंजीत रंजन, माकपा माले के दीपांकर भट्टाचार्य सहित अन्य कई नेताओं ने भाग लिया। भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने पूर्णिया में कांग्रेस की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्णिया की धरती महान साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु, नक्षत्र मालाकार और अजित सरकार की धरती है। आज महात्मा गांधी का शहादत दिवस है। आजादी के महज 6 महीने बाद जिस विचारधारा के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी, वहीं ताकतें आज देश में राज कर रही हैं। ऐसे में, देश को बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा. राहुल गांधी जी ने नफरत के खिलाफ मोहब्बत का संदेश लेकर कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा की और इस बार की यात्रा मणिपुर से शुरू की है, जहां पिछले कई महीनों से भाजपा के शासन में राज्य संरक्षित हिंसा हो रही है। वहां के पीड़ितों के न्याय के पक्ष में यात्रा शुरू करने के लिए राहुल जी को बहुत-बहुत शुक्रिया। हम उनकी यात्रा की सफलता की कामना करते हैं और यहां उसके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए आए हैं। यह यात्रा जहां-जहां जाएगी हमारे पार्टी के नेता विधायक और कार्यकर्ता हर तरीके से मदद करेंगे।

आर्थिक व सामाजिक न्याय कि भरी हुंकार
1990 में मण्डल कि रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद यूं तो सामाजिक न्याय राजनीतिक और बौद्धिक गलियारों में विमर्श का बड़ा विषय बना। पर, अधिकांश नेता और बुद्धिजीवी सामाजिक न्याय को सरकारी नौकरी, शिक्षा और प्रमोशन मे आरक्षण तक सीमित रखें। किन्तु यह रह राहुल गांधी है जो सामाजिक न्याय के दायरे को लगातार विस्तार देते हुए नौकरियों से आगे बढ़कर धन और संपदा मे बंटवारे की बात किए जा रहे हैं। पूर्णिया रैली में उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में 500 बड़ी कंपनियों का लिस्ट निकाल लीजिए और ढूंढिए कि उनमें कितनों के मालिक और मैनेजर दलित, आदिवासी, पिछड़े हैं? कितने हास्पिटल दलित, आदिवासी, पिछड़ों के हैं? इसी तरह अखबारों और टीवी के कितने मालिक दलित, आदिवासी,पिछड़े हैं? कुल मिलाकर उन्होंने आर्थिक और सामाजिक न्याय कि जो हुंकार भारी है, उसकी अनुगूँज दूर तक सुनाई पड़ेगी। राहुल गांधी ने पूर्णिया में लगभग आधे घंटे के अपने भाषण में कहा, ‘हमारा उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह से न्याय सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय के लिए हम जाति जनगणना का आह्वान करते हैं जो समाज के एक्सरे की तरह है। एक बार ऐसा हो जाए। हो गया तो हम एमआरआई के लिए जा सकते हैं।‘ आपको (लोगों को) यह समझने की जरूरत है कि कांग्रेस और राजद (महागठबंधन के सबसे बड़े घटक) द्वारा जाति सर्वेक्षण सुनिश्चित करने के बाद नीतीश कुमार खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे थे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें बाहर निकलने का रास्ता दे दिया।’

सामाजिक न्याय की लड़ाई में नीतीश की आवश्यकता नहीं
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गांधी ने नीतीश के अचानक पाला बदलकर महाठगबंधन से भाजपा नीत राजग में चले जाने पर उनपर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘थोड़ा सा दवाब पड़ता है और वह..उन्होंने कहा, ‘महागठबंधन बिहार में सामाजिक न्याय के लिए लड़ेगा। हमें उसके लिए नीतीश कुमार की आवश्यकता नहीं है, हमें उनकी बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।’ रैली के तुरंत बाद राहुल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘सामाजिक और आर्थिक न्याय आज समय की मांग है और जातिगत जनगणना उस दिशा में पहला कदम। भाजपा नहीं चाहती कि ऐसा हो, क्योंकि वह देश को चलाने में वंचितों की भागीदारी के खिलाफ़ रही है। हमने नीतीश जी से साफ कह दिया था कि आपको जातिगत जनगणना करनी होगी, इस पर हम आपको कोई छूट नहीं देंगे। ’उन्होंने आगे कहा, ‘दबाव में आकर नीतीश ने मूल रूप से ‘सामाजिक न्याय’ के खिलाफ रही भाजपा से समझौता कर लिया है। वो डर गए पर हम नहीं डरने वाले। हम देश का एक्सरे कर के रहेंगे क्योंकि इसके बिना समस्याओं का सही इलाज नहीं हो सकता है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा का उद्देश्य न्याय और सामाजिक न्याय है। यह हमारा संकल्प है और हम हर हाल में इसे पूरा करेंगे, हमें नीतीश की कोई जरूरत नहीं है।‘उन्होंने अपने सम्बोधन का समापन इन शब्दों मे किया,’ आर्थिक और सामाजिक न्याय सबसे बड़ा मुद्दा है। यदि आप हिंदुस्तान का भविष्य अच्छा बनाना चाहते हैं तो देश कि जनता को आर्थिक और सामाजिक न्याय देना ही होगा!
और अंत में! राहुल गांधी जिस तरह भारत जोड़ों यात्रा मे आर्थिक और सामाजिक न्याय का मुद्दा उठा उठा रहे है,उससे लोकसभा चुनाव का उस सामाजिक न्याय के पिच पर केंद्रित होता दिख रहा है, जिस पर हारने के लिए हमेशा भाजपा अभिशप्त रही है। किन्तु इस बार गांधी जी के शहादत दिवस पर जिस तरह भाजपा ने चंडीगढ़ के मेयर चुनाव मे सत्य और लोकतंत्र का गला घोंटते हुए 8 वोट रद्द करवाते हुए कांग्रेस और आप के 20 पार्षदों के मुकाबले अपने 16 पार्षदों के जरिए मेयर पद कब्जा लिया है, वह इंडिया के लिए एक बड़ी चुनौती है। इंडिया मोदी को चुनाव मे शिकस्त देकर भी विजयी बन पाएगी, चंडीगढ़ के मेयर चुनाव इस पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है!

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