Political News: लोकतंत्र का चीरहरण

Political News: आजाद भारत में लोकतंत्र का जितना और जिस तरह से चीर हरण भाजपा सरकार में हो रहा है, वैसा शायद न कभी हुआ था और न कभी होगा। जिस तरह से खुलेआम संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

अलखदेव प्रसाद ’अचल’

न्यूज इंप्रेशन

Bihar : आजाद भारत में लोकतंत्र का जितना और जिस तरह से चीर हरण भाजपा सरकार में हो रहा है, वैसा शायद न कभी हुआ था और न कभी होगा। जिस तरह से खुलेआम संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिस तरह से संविधान की प्रतियां जलाई जा रही है, वह लोकतंत्र के चीर हरण का ही संकेत है। यूं कहा जाए कि लोकतंत्र के चीर हरण की सारी सीमाएं पार कर गई है। जिसे देश दुनिया के लोग भी अपनी खुली आंखों से देख रहे हैं। लोग सरकार के रवैयों पर थू थू भी कर रहे हैं। पर सरकार और सरकार के समर्थकों पर कोई असर नहीं पड़ पा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह कैसा लोकतंत्र है, जिसको हम लोकतंत्र कह भी रहे हैं। सरकार भी लोकतंत्र ही मान रही है। पर अधिकांश लोग यह महसूस भी कर रहे हैं कि यहां लोकतंत्र का चीर हरण हो रहा है। जबकि सरकार इसे रामराज्य करार दे रही है। सरकार इसे ही विश्व गुरु बनाने के कगार पर पहुंचने का दावा कर रही है। आखिर यह है क्या?

सरकार की सोची समझी साजिश का परिणाम

अगर इस पर आप गंभीरता से विचार करेंगे, तो यही पता चलेगा कि यह सब कुछ इस सरकार की सोची समझी साजिश का परिणाम है। सरकार जानबूझकर लोकतंत्र का चीर हरण कर करवा रही है। क्योंकि यह सब कुछ सरकार और सरकार के मातृ संगठन के एजेंडे में पहले से ही शामिल हैं। सरकार के इसी चाल को लोग समझ नहीं पा रहे हैं।अगर लोकतंत्र का चीर हरण हो रहा है, तो ऐसे ही नहीं हो रहा है? भले ही इस बात को अधिकांश लोग नहीं समझ रहे हों, परंतु जो बुद्धिजीवी, विद्वान लोग हैं, वे भली-भांति समझ रहे हैं। कुछ जो राजनीति दल के नेता हैं,जो सबकुछ समझने के बाद भी अगर सरकार के साथ हैं या सरकार के समर्थन में हैं, तो उनका मकसद सिर्फ सत्ता से चिपके रहना है।उनका मकसद सिर्फ सत्ता सुख भोगना है। अगर वैसे नेता अपनी जाति या समाज के हित की बातें करते हैं, तो समझिए सिर्फ छल रहे हैं। उनसे कुछ भी उम्मीद नहीं की जा सकती है।उन्हें न अपनी जाति की परवाह है,और न अपने समुदाय की परवाह है। वैसे नेता सब यह जानते हैं कि हम तो सत्ता सुख भोग रहे हैं न?

हिन्दू राष्ट्र बनाने के नाम पर सत्ता पर काबिज रहना है
साथियों, इस चीज को समझने के लिए आपको भाजपा और उसके मातृ संगठन आरएसएस को समझाना पड़ेगा। जिनके एजेंडे में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है। वैसे उनका मूल मकसद हिन्दू राष्ट्र बनाना भी नहीं है, बल्कि हिन्दू राष्ट्र बनाने के नाम पर सत्ता पर काबिज रहना है। अगर हिंदू राष्ट्र बनाने का जो उनका ख्वाब है, वह आम जनता के हित के लिए नहीं है ।वह अपने राजनीतिक हित के लिए है। क्योंकि वे जानते हैं कि जब हिंदू राष्ट्र बनेगा, तो भारतीय संविधान की जगह मनु स्मृति लागू होगा। फिर देश मनु स्मृति के अनुसार चलेगा और जब मनु स्मृति के अनुसार चलेगा, तो जो व्यवस्था कई सौ साल पहले थी। जिसमें क्या था? सवर्ण जातियों का जन सामान्य लोगों पर वर्चस्व था।जन सामान्य लोग उनलोगों के गुलाम थे। जानवर से भी बदतर जीवन जीने के लिए विवश थे।सवर्ण लोग बहुसंख्यकों पर राज किया करते थे। सवर्ण जातियां आज भी उसी तरह की व्यवस्था बनाकर बहुसंख्यकों पर राज करना चाहते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि इस संविधान के रहते हमलोग बहुजन लोगों पर राज नहीं कर सकेंगे। क्योंकि वर्त्तमान का भारतीय संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। इसीलिए आज की सरकार लोकतंत्र का चीर हरण जानबूझकर करवा रही है।

बड़े बड़े पदों पर सवर्ण जाति के ही लोग
थोड़ी देर के लिए आप कहेंगे कि देश का प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सवर्ण तो नहीं है। बात तो सही है, पर उनलोग किसके हित के लिए कानून बनवा रहे हैं? भाजपा सरकार में किनका हित सध रहा है। यह वही सरकार है, जहां सवर्णों के आरक्षण के लिए 48 घंटों में कानून बन जाते हैं और दलितों और पिछड़ों को आरक्षण से बेदखल करने का प्रयास जारी है। सरकार उद्योगपतियों के हित के काम कर रही है। बड़े बड़े पदों पर सवर्ण जाति के ही लोग हैं। दलित और पिछड़े हैं भी परन्तु सिर्फ शोभा बढ़ाने भर के लिए हैं। यानी चाहे तुम जिस भी पद पर रहो, पर चलना तो होगा पीछे पीछे ही। जो हमारा भारतीय संविधान है, उसमें सभी लोगों को समान अधिकार है। सभी लोगों को समान मौलिक अधिकार प्राप्त है। शिक्षा लेने और धन अर्जित करने का समान अधिकार है ।इस संविधान के तहत ऊंच-नीच, छुआछूत का कोई भेदभाव नहीं है । देश में रह रहे सभी संप्रदाय के लोगों को समान अधिकार है। जबकि भाजपा सरकार और उसके मातृ संगठन समाज में ऐसा नहीं चाहती है। यही कारण है कि उसके लोग आज खुलेआम इस संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं और इस संविधान को मानने से इनकार कर रहे हैं।

सत्ता पर काबिज रहने के लिए है एनआरसी कानून

यहां लोकतंत्र का चीरहरण कई रूपों में किया जा रहे हैं। यहां रहने वाले किसी भी चीज खाने, कपड़ा पहनने के लिए स्वतंत्र हैं। सिर्फ सत्ता पर काबिज रहने के लिए एनआरसी कानून बनाए जा रहे हैं। देश के इस लोकतंत्र में जहां सरकार से जुड़े लोग बलात्कार भी कर रहे हैं, हत्या भी कर रहे हैं या और कोई कुकृत्य कर रहे हैं या देशद्रोह वाला काम कर रहे हैं, फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं अल्पसंख्यक, दलित या पिछड़े समुदाय के लोग अगर सरकार की नीतियों की खिलाफत कर रहे हैं, तो उन पर फर्जी मुकदमा चलाकर, उनके घरों पर बुलडोजर चलवाकर, उन्हें जेलों में ठूंसकर आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। आखिर यह क्या है? क्या इसे लोकतंत्र का चीर हरण नहीं कहा जाएगा?
भाजपा की वही सरकार है, जहां के सारे तंत्र सरकार की मुट्ठी में है।न न्यायपालिका स्वतंत्र है और न चुनाव आयोग। आज के इसी लोकतंत्र में सरकार के भय से सुप्रीम कोर्ट के जजों तक को सरकार के विरुद्ध फैसला सुनाने की हिम्मत नहीं हो रही है। चुनाव आयोग सरकार के इशारों पर नाच रहा है।ई डी, सीबीआई जैसी संस्थाएं तो सरकार के तोते बन चुके हैं।जिनका सरकार खुलेआम दुरुपयोग कर रही है।जिसे सभी लोग देख रहे हैं कि किस तरह सत्ता में रह रहे लोगों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है और विपक्षी नेताओं के घर जब मन तब भेज दिया जा रहा है।जिन नेताओं से सरकार को डर लग रहा है, उसे जेल की सलाखों में बंद कर दिया जा रहा है।यह लोकतंत्र का चीर हरण नहीं तो और क्या है?

पद व पैसे का प्रलोभन देकर तोड़ लिए जा रहे हैं विधायक

आज के इस लोकतंत्र में आप देख रहे हैं कि किसी राज्य में सरकार दूसरे राजनीतिक दल के लोग बना रहे हैं। यानी बहुमत दूसरे पार्टी का आ रहा है और उनके विधायकों को पद और पैसे का प्रलोभन देकर तोड़ लिए जा रहे हैं और एन -केन -प्रकारेण अपनी सरकार बनवा दी जा रही है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य इसके जीते जागते उदाहरण हैं। पिछले दिनों झारखंड में सत्ता का दुरुपयोग करते हुए वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डलवा दिया गया और उसकी पार्टी को भी सरकार से बेदखल करने का प्रयास किया गया।अभी हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की घटना को देखा जा सकता है। यह पहली बार देखा जा रहा है कि भाजपा विपक्ष के विधायकों को तोड़कर अपने पाले में ला रही है, फिर भी दलबदल कानून लागू नहीं हो रहा है। क्योंकि राज्यपाल तो भाजपा के ही हैं। क्या इसे लोकतंत्र का चीर हरण नहीं कहा जाएगा? ऐसा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में देखा जा सकता है। बिहार के राज्यपाल ने नीतीश कुमार को 9 वीं बार 24 घंटे के अंदर शपथ दिला दी, वहीं झारखंड में राज्यपाल ने कानूनी सलाह के नाम पर टाले रखा था। यह किस लोकतंत्र का हिस्सा कहेंगे?
यह सरकार विपक्ष मुक्त देश बनाना चाहती है
लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करना, सरकार की नाकामियों को उजागर करना, सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना विपक्ष या आम जनता का अधिकार होता है। पर इस सरकार में विरोध करने वालों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा करवा कर जेलों में बंद किये जा रहे हैं। उन्हें अर्बन नक्सल और न जाने क्या क्या आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। यह लोकतंत्र का चीरहरण नहीं तो और क्या है?
यह वही सरकार है। जिसे जिस विपक्षी पार्टी से खतरा महसूस हो रहा है, उसके प्रभावशाली नेता को या फिर उसके मुखिया पर झूठा इल्जाम लगाकर उसे जेल भेजवा दे रही है। जो साबित करता है कि यह सरकार विपक्ष मुक्त देश बनाना चाहती है। इसके लिए आम जनता को ही सोचना होगा। क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही सबसे अधिक शक्तिशाली होती है। जनता चाहे वोट से परास्त करे या प्रतिरोध से। अगर आम जनता नहीं सोचती है, तो हर बहुजन समाज को वही जिन्दगी जीने के लिए विवश होना पड़ेगा,जो कभी पूर्वज जिया करते थे।

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