Bokaro: आदिवासी हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली रवाना, 21 अगस्त को जंतर मंतर पर महाधरना 

Bokaro में आदिवासी हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना। 21 अगस्त को जंतर मंतर महाधरना में होंगे शामिल। बोकारो रेलवे स्टेशन पर कोल्हान के आंदोलनकारियों का किया गया स्वागत।

 

न्यूज़ इंप्रेशन, संवाददाता 

 

Bokaro: दिल्ली के जंतर मंतर पर 21 अगस्त को आदिवासी हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कार्यक्रम है। इसमें देशभर से आदिवासी हो समाज के लोग भाग लेंगे। कोल्हान के आंदोलनकारी आदिवासी हो समाज युवा महासभा के नेतृत्व में दिल्ली जाने के क्रम में बोकारो रेलवे स्टेशन पहुंचे पर समाज सेवी योगो पूर्ती के नेतृत्व में आंदोलनकारियों का स्वागत बोकारो हो समाज के लोगो ने किया।

दिल्ली जाने वालों का किया स्वागत

 इस दौरान जोरोंग जीत, जोरोंग जीत, हो हयम जोरोंग जीत। बिरसा मुंडा जोरोंग जीत, सिद्धु कानू जोरोंग जीत, पोटो हो जोरोंग जीत, लाखो बोदरा जोरोंग जीत के नारे लगाए गए। आंदोलनकारियों को जलपान हेतु बिस्कुट, पानी व चूड़ा आदि देकर दिल्ली के लिए विदाई दी गई। 

 विलुप्त होते जा रही है हो आदिवासी भाषाएं

मौके पर श्री पूर्ती ने कहा की आज दिन प्रतिदिन प्राचीन आदिवासी भाषाएं विलुप्त होते जा रही है। हो भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने पर भाषाई अस्मिता की पहचान पुख्ता होगी। सरकार भाषा के विकास के लिए अनुदान देती है जिससे उस भाषा को और लोकप्रिय किया जा सकता है। आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद उस भाषा में एकेडमिक एग्जाम दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा की भाषा के शामिल होने से आदिवासियों की प्राचीन महान सभ्यताएं विलुप्त होने से बचेगी। सिंधु जैसे सभ्यता में ‘वारङ चिति’ लिपि से लिखी गई है। प्राचीन सभ्यताओं में भी आदिवासी भाषाएं, ज्ञान व संस्कृतियां में मिलती है। स्वागत करने वालों में संजय गगराई, रेंगो बिरूवा, चंद्रकांत पूर्ती, झारीलाल पात्रों, संजय कुमार, दीपक सवाइयां, सुनील पिंगुवा, ननिका पूर्ती, निनिमाई, जयंती सिजूई, सरस्वती होनहागा, सुखमती आदि शामिल थे।

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