Captain Karamjit Singh Bakshi Martyr: वीर जवान कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव देह उनके पैतृक घर हजारीबाग पहुंचा, नम आंखों से लोगों ने दी विदाई
Captain karamjit Singh Bakshi Martyr: तिरंगे झंडे में लिपटे शहीद वीर जवान कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के पार्थिव देह को सेना ने पूरे सम्मान के साथ दी सलामी, उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक ने शहीद के घर जाकर ससम्मान श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उपायुक्त ने कहा–उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Hazaribag: हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय ने जम्मू के अखनूर सेक्टर के आतंकवादी हमले में शहीद हुए पंजाब रेजिमेंट के वीर जवान शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। शहीद जवान का पार्थिव शरीर गुरुवार को नई दिल्ली से हजारीबाग पैतृक घर पूरे सम्मान के साथ लाया गया।
पूरे देश को इन वीर जवानों पर है गर्व
इस मौके पर उपायुक्त नैंसी सहाय व पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह मौजूद थे। उपायुक्त ने तिरंगे झंडे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर के ताबूत के सामने ससम्मान नमन किया। उपायुक्त ने इस मौके पर कहा कि राष्ट्र सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवान कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी को सलाम है। पूरे देश को इन वीर जवानों पर गर्व है।
IED ब्लास्ट में जवान कैप्टन हो गए थे शहीद
जम्मू के अखनूर सेक्टर में LOC नियंत्रण रेखा के पास IED ब्लास्ट में हजारीबाग के वीर जवान कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी शहीद हो गए थे। आज उनकी अंतिम यात्रा में शहर के हजारों वासियों ने नम आंखों से विदाई दी। कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी अमर रहे के नारों से गूंज रहा था।
शाहिद का पार्थिव शरीर बुधवार शाम रांची एयरपोर्ट पहुंचा था
कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव शरीर बुधवार शाम करीब 6:30 बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचा। यहां राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर सेना की गाड़ी से रामगढ़ कैंट स्थित सेना की छावनी ले जाया गया। गुरुवार सुबह 7 बजे सेना की गाड़ी से पूरे सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को उनके पैतृक आवास हजारीबाग ले आया गया।
शहीद कैप्टन की 5 अप्रैल को होनी थी शादी
शहीद के पिता अजिन्दर सिंह बक्शी के अनुसार ने कैप्टन करमजीत की मंगेतर भी आर्मी में हैं। वे कैप्टन के पद पर रहते हुए मेडिकल डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे रही हैं। पांच अप्रैल को जम्मू से ही शादी होने वाली थी। 29 मार्च को हजारीबाग में शादी से जुड़ी रस्में निभाई जानी थीं।