Bokaro Sadar Hospital: सदर अस्पताल के डॉ शिवानी व टीम ने बेरमो की महिला को दिया नया जीवन। प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल पहुंची महिला के शरीर में था 3.8 ग्राम हीमोग्लोबीन, प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा स्वस्थ्य।
रिपोर्ट : गीता कुमारी, न्यूज इंप्रेशन
Bokaro : सरकारी अस्पतालों के प्रति आमजनों का विश्वास कम होता जा रहा है. इस विश्वास को कायम रखने के लिए कुछ चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी लगातार प्रयास कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सदर अस्पताल (Bokaro Sadar Hospital) में गुरूवार को सामने आया। डॉ शिवानी दास, नर्स रेणु कुमारी व एतवारी ने बेरमो से तीन ग्राम हीमोग्लोबीन लेकर प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची उषा देवी (35 वर्ष) को नया जीवन मिला. टीम ने जोखिम उठा कर सामान्य प्रसव कराया. फिलहाल सदर के प्रसूता वार्ड में जच्चा व बच्चा दोनों स्वस्थ्य व मस्त है. कई अस्पतालों का लगाया चक्कर गुरूवार को प्रसव पीडा होने पर उषा के परिजन बेरमो के कई अस्पतालों में चक्कर लगाया. बेरमो के सरकारी अस्पताल में भी गये. हीमोग्लोबीन का स्तर 3.8 ग्राम देखने के बाद हर अस्पताल ने हाथ खड़ा कर लिया. उसके बाद परिजन सदर अस्पताल पहुंचे. प्रसव के बाद परिजनों में ख़ुशी अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार ने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शिवानी से इस मसले पर वार्ता की. सामान्य प्रसव कराने का निर्णय लिया गया. प्रसव के बाद ब्लड की व्यवस्था सदर ने की. डीएस डॉ कुमार ने टीम के सभी सदस्यों को बेहतर कार्य के लिए मिठाई खिलाई. ज्ञात हो कि महिला को पहले से दो बच्चे है. परिजनों में खुशी की लहर है. 3.8 ग्राम हीमोग्लोबीन में प्रसव कराना जोखिम भरा काम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि 3.8 ग्राम हीमोग्लोबीन के साथ प्रसव कराना काफी जोखिम भरा कार्य था. ऐसे में महिला की जान तक जा सकती थी. डॉ शिवानी ने जोखिम भरा सही निर्णय लिया. प्रसव के लिए टीम को बधाई दी. कहा कि आमजन बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरकारी अस्पताल पर भरोसा करें. चिकित्सकों पर भरोसा करें. बेहतर रिजल्ट मिलेगा.