Bokaro News: फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 फरवरी को 2246 बूथों पर खिलाई जाएगी डीईसी व एल्बेंडाजोल की गोली, 11 फरवरी से 25 फरवरी तक घर-घर खिलाई जाएगी दवा
Bokaro News: सिविल सर्जन ने बताया कि सरकारी डाटा के अनुसार जिले की आबादी 26,94,104 है। इनमें 23,708,11 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का टारगेट है।
न्यूज़ इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro : यदि एक बार कोई व्यक्ति फाइलेरिया के संक्रमण से ग्रसित हो गया तो जीवन नरक बन जाती है, न जी सकता है और ना ही मर सकता है। शरीर में फाइलेरिया के संक्रमण होने पर व्यक्ति हाथीपांव, हाइड्रोसिल सहित अन्य बीमारी से पीड़ित हो जाता है। इस बीमारी से मुक्ति के लिए हर साल नियमित रूप से पांच साल दवा का सेवन जरूरी है। यह कहना है सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद का। सीएस शनिवार को सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे। जिले में दवा खिलाने का अभियान 10 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है जो 25 फरवरी तक चलेगा। उन्होंने कहा कि बोकारो जिले में फिलहाल 2081 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं। उन्होंने सजगता व हर साल डीईसी व एलबेंडाजोल दवा का सेवन करके ही इससे बचा जा सकता है। हर साल सरकार की ओर से अभियान के तहत दवाएं खिलाई जाती है। पांच साल दवा सेवन कर संक्रमण से बचा जा सकता है। दो दवाओं का कोई साइड इफेक्ट शरीर पर नहीं पड़ता है।
10 फरवरी को 2246 बूथों पर खिलाई जाएगी दवा
सिविल सर्जन ने बताया कि सरकारी डाटा के अनुसार जिले की आबादी 26,94,104 है। इनमें 23,708,11 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का टारगेट है। पहले दिन यानी 10 फरवरी को 2246 बूथों पर दवा खिलाई जाएगी। जिले के तीन अनुमंडलीय अस्पताल, आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 29 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 116 स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं 704 ग्राम/टोला की बूथ शामिल है। 11 से 25 फरवरी तक स्वाथ्य कर्मी, सेविका, सहायिक घर-घर जाकर अपनी मौजूदगी में दवा खिलाएंगी। जागरूकता के लिए हर स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। सीएस ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में दवा खिलाना सबसे बड़ा चैलेंज है। दवा खाने के नाम पर दरवाजा खटखटाने पर लोग दरवाजा नहीं खोलते, यह कहकर टाल देते हैं कि हमे कोई बीमारी नहीं है।
वीवीडी पदाधिकारी नहीं हुई शामिल
संवाददता सम्मेलन में जिला भीवीडी पदाधिकारी डॉ रेणु भारती के मौजूद नहीं होने पर कई पत्रकारों से सवाल दागा। जिस विभाग के पदाधिकारी का कार्यक्रम है, वहीं नादारद है। इस पर सीएस स्पष्ट जवाब नहीं दिए। कई ने कहा कि पेपर पर ही अभियान का टारगेट पूरा कर दिया जाता है। मौके पर डॉ अरविंद कुमार, आशीष सिन्हा सहित अन्य मौजूद थे।
दवा खाने में बरते सावधानी
एक साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक नहीं देनी है। एक साल से दो साल के बच्चे को डीईसी की खुराक नहीं देनी केवल एल्बेंडाजोल की आधी गोली पानी में घोलकर देना है। दो साल से पांच साल तक के बच्चे को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की 1-1 गोली की खुराक देनी है। छः साल से 14 साल तक के लोगों को डीईसी की दो गोली एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली की खुराक देनी है।15 साल से अधिक उम्र के लोगो को डीईसी की तीन गोली एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली की खुराक देनी है। उम्र के अनुसार दवा की सही खुराक का प्रयोग करें। भोजन के उपरांत ही दवा का सेवन करें। दवा खाने के उपरांत होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी लेने एवं देने का प्रयास करें। 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवा का सेवन नहीं कराएं। गर्भवती महिलाएं को फैलेरिया की दवा न दें। किसी भी स्थिति में खाली पेट या दवा सेवन ना करें। गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं दी जानी चाहिए।
फाइलेरिया बीमारी है क्या
फाइलेरिया एक परजीवी बीमारी है, जो धागा के समान दिखने वाले ‘फाइलेरिओडी’ नामक निमेटोड के कारण होता है। यह एक संक्रामक उष्णकटिबंधीय बीमारी है। यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलता है। जब एक संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो फाइलेरिया के परजीवी उसके रक्त में प्रवेश कर जाते हैं। ये परजीवी लसीका प्रणाली में रहते हैं, जो शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ निकालने में मदद करती है। समय के साथ, परजीवी लसीका प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन हो सकती है।
फाइलेरिया के लक्षण
* बुखार
* ठंड लगना
* सिरदर्द
* मांसपेशियों में दर्द
* जोड़ों में दर्द
* त्वचा में जलन
* लसीका ग्रंथियों में सूजन
* हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन)
* हाथी पांव (पैरों या हाथों में सूजन)
बचने के लिए करें
* मच्छरों से बचाव करें
* मच्छरदानी का प्रयोग करें
* पूरी बाजू के कपड़े पहनें
* मच्छरों को मारने वाले स्प्रे का प्रयोग करें
* साफ पानी में नहाएं
* अपने आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।