Bokaro News: उपायुक्त ने कहा–गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से दहशत में ना आएं, अफवाहों से बचें, जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक करें
Bokaro News: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का ज्यादातर मामला महाराष्ट्र के पुणे में प्रकाश में आया है, राज्य के रांची जिले में मात्र एक संभावित मामला प्रकाश में आया है, जिसका ट्रैवल हिस्ट्री महाराष्ट्र रहा है।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro: उपायुक्त विजया जाधव ने शुक्रवार को गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) को लेकर गुगल मीट के माध्यम से डीएसडब्ल्यूओ, डीईओ, डीएसई, सभी बीडीओ,सीओ, एमओआइसी, एपीआरओ के साथ बैठक की। इस क्रम में उन्होंने शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस बाबत आहूत बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों से सभी को अवगत कराया। उपायुक्त ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से किसी भी तरह के दहशत (पैनिक) में नहीं आने की बात कहीं। कहा कि इस बीमारी का ज्यादातर मामला महाराष्ट्र के पुणे में प्रकाश में आया है, राज्य के रांची जिले में मात्र एक संभावित मामला प्रकाश में आया है, जिसका ट्रैवल हिस्ट्री महाराष्ट्र रहा है। इसलिए किसी भी तरह के अफवाह से बचें। उन्होंने बीमारी के लक्षण से सभी को जागरूक होने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने की बात कहीं।
लक्ष्ण मिले तो अभिभावकों को बताएं
डीसी ने शनिवार को जिले के सभी विद्यालयों में शिक्षकों, बच्चों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने को कहा है। ताकि वह पैनिक में नहीं आएं और अपने आस-पास के बच्चों/लोगों में इस तरह की बीमारी का कोई लक्षण दिखे तो वह अपने अभिभावकों को बताते हुए उनका उपचार नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल में कराएं। डीसी ने मामले में जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों व चिकित्सकों को अलर्ट मोड में रहने को कहा है। उन्होंने सिविल सर्जन डॉ एबी प्रसाद को बीमारी को लेकर आवश्यक दवाइयों का भंडारण सभी केंद्रों में सुनिश्चित करने को कहा। वहीं, जेएसएलपीएस के महिला समूहों, लोक प्रतिनिधियों को भी इस बीमारी के लक्षण, उपचार के प्रति जागरूक करने को कहा। ताकि वह भी अपने स्तर से ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जागरूक करें।इसके अलावा कई जरूरी दिशा-निर्देश दिया।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
यदि आपको दस्त, उल्टी, सर्दी या खांसी के साथ-साथ निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत निकटतम स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर जाएं।
-बाहों या पैरों में अचानक कमज़ोरी या सुन्नपन, साथ ही मांसपेशियों को हिलाने में कठिनाई।
-हाथों और पैरों में तेज़ी से कमज़ोरी बढ़ना।
-हाथों या पैरों में हाल ही में सुन्नपन, झुनझुनी या चुभन जैसी सनसनी होना।
-घुटनों या बाहों की मांसपेशियों में कम हरकत।
-चलते समय संतुलन खोना या समन्वय में कमी।
-बोलने, निगलने या साँस लेने में कठिनाई।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम को रोकने के लिए करें निम्नलिखित उपाय
जल सुरक्षा उपाय-
-सुनिश्चित करें कि आप जो पानी पीते हैं वह साफ – सुरक्षित है।
-पीने से पहले पानी को छान लें, इसे कम से कम बीस मिनट तक उबालें और पीने से पहले इसे ठंडा होने दें।
खाद्य सुरक्षा दिशा-निर्देश
-सब्जियों और फलों को सावधानी से साफ पानी से धोएँ।
-ताजा पका हुआ, घर का बना खाना खाएँ। जब भी संभव हो स्ट्रीट फ़ूड या खुले में रखे, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
-सुनिश्चित करें कि खाने से पहले पोल्ट्री और मांस पूरी तरह से पका हुआ हो।
-अधपका या कच्चा खाना खाने से बचें, खासकर अंडे और चिकन (मांसाहारी भोजन)।
-व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
-प्रकोप के दौरान बर्तन या भोजन साझा करने से बचें।
-कच्चे और पके हुए भोजन को अलग रखें।
-कच्चे मांस को संभालने के बाद रसोई की सतहों और बर्तनों को कीटाणुरहित करें।
हाथ धोने की आदत
-खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से धोएँ।
-भोजन को छूने से पहले हमेशा अपने हाथ साबुन से धोएँ।