Bokaro News: तेलमच्चो ब्रिज के समीप आयोजित आयोजित ‘देवनद-दामोदर महोत्सव-2025’ में शामिल होने बोकारो पहुंचें राज्यपाल
Bokaro News: तेलमच्चो ब्रिज के समीप आयोजित आयोजित ‘देवनद-दामोदर महोत्सव-2025’ में शामिल हुए राज्यपाल, बोकारो परिसदन उपायुक्त अजय नाथ झा, एसपी हरविन्दर सिंह समेत अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में पुलिस जवानों द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro: झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के बोकारो आगमन पर बोकारो परिसदन उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविन्दर सिंह समेत अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों की उपस्थिति में पुलिस जवानों द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इससे पूर्व सभी ने पुष्प गुच्छ देकर माननीय राज्यपाल का स्वागत किया।राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय व विधायक बोकारो श्वेता सिंह ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बोकारो परिसदन परिसर में पौधारोपण किया।
राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया
राज्यपाल जिले के चास प्रखंड में युगान्तर भारती संस्था द्वारा तेलमच्चो, ब्रिज के समीप आयोजित देवनद-दामोदर महोत्सव-2025 में शामिल होने के लिए बोकारो आएं थे। राज्यपाल को जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। मौके पर जिला व अनुमंडल स्तर के सभी प्रशासनिक पदाधिकारी उपस्थित थे।
पर्यावरण प्रदूषण आज एक वैश्विक चिंता का विषय है : राज्यपाल का संदेश
सबसे पहले मैं आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। यह संयोग अत्यंत शुभ है कि आज जब विश्व पर्यावरण दिवस के साथ हम भारतीय अपनी सनातन परंपरा के अनुरूप गंगा अवतरण को भी स्मरण कर रहे हैं। यह दिवस प्रकृति और परंपरा दोनों के प्रति हमारे दायित्वों की याद दिलाता है। पर्यावरण प्रदूषण आज एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। यह विचारणीय है कि हम किस प्रकार विकास की राह पर अग्रसर होते हुए प्रकृति और पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखें। झारखंड प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर राज्य है। यहाँ के वन, पर्वत, जलप्रपात और नदियाँ केवल दृश्य सौंदर्य नहीं, बल्कि जीवनदायिनी हैं। इनका संरक्षण हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व है। आज का आयोजन ‘देवनद-दामोदर महोत्सव’ न केवल हमारी सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरणीय जागरूकता का भी सशक्त माध्यम है। मैं युगान्तर भारती संस्था को बधाई देता हूँ, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण को एक जन-आंदोलन का स्वरूप दिया। दामोदर नदी केवल एक नदी नहीं, बल्कि झारखंड की जीवनरेखा है। इसने वर्षों से इस क्षेत्र की औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को आधार दिया है। बोकारो स्टील प्लांट, चन्द्रपुरा एवं तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन जैसे अनेक प्रतिष्ठान दामोदर के किनारे स्थापित हैं। लेकिन औद्योगिक विकास की दौड़ में दामोदर नदी को भारी प्रदूषण का भी सामना करना पड़ा। ऐसे समय में सरयू राय जैसे जागरूक जनप्रतिनिधि के नेतृत्व में युगान्तर भारती ने एक प्रभावी पहल की। प्रदूषक इकाइयों पर दबाव बना, प्रशासन को सजग किया गया। इसका सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि अब दामोदर का जल कई स्थानों पर साफ दिखाई देने लगा है। मैं उन सभी लोगों को बधाई देता हूं जिन्होंने इस अभियान में भागीदारी निभाई। यह समझना आवश्यक है कि नदियों की स्वच्छता केवल शासन या संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। एक समय गंगा नदी भी बहुत प्रदूषित हो गई थी, लेकिन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ‘नमामि गंगे परियोजना’ के माध्यम से गंगा नदी की स्वच्छता हेतु व्यापक कार्य किए गए। लोग भी स्वच्छता को लेकर जागरूक हुए। साथियों, भारत में नदियां केवल जल स्रोत नहीं हैं, वे पूज्यनीय हैं। ‘दामोदर’ स्वयं भगवान विष्णु का नाम है। इस महोत्सव के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि नदियों की पूजा केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। यहाँ दामोदर की पूजा सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आस्था और संरक्षण का संकल्प है। यह सुखद है कि हर वर्ष गंगा दशहरा के दिन हजारों लोग दामोदर महोत्सव में सम्मिलित होते हैं और दामोदर को स्वच्छ रखने का संकल्प लेते हैं। यही जन-भागीदारी किसी भी अभियान की सबसे बड़ी शक्ति होती है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि केवल औद्योगिक नहीं, नागरिक प्रदूषण भी नदियों को गंदा कर रहा है। बस्तियों और नगरों से निकलने वाला जल-मल, प्लास्टिक और अन्य कचरे बिना किसी समुचित व्यवस्था के नदियों में जा रहा है। जब तक हम जल-मल प्रबंधन और कचरा निस्तारण की पुख़्ता व्यवस्था नहीं करेंगे, तब तक नदियाँ पूर्णतः स्वच्छ नहीं हो सकतीं। मैं यह भी उल्लेख करना चाहूँगा कि आज विश्व प्लास्टिक प्रदूषण से त्रस्त है। नदियाँ, समुद्र और भूमि, सब पर इसका असर स्पष्ट है। इसी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम दी है- “प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना”। हमें अपने दैनिक जीवन में पॉलिथीन और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बचना होगा और इसके स्थान पर जूट, कपड़े व पुनः उपयोग योग्य वस्तुओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। मैं यह भी सुझाव देना चाहूंगा कि राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालय परिसरों और सार्वजनिक स्थलों को “नो प्लास्टिक ज़ोन” घोषित किया जाए, ताकि आनेवाली पीढ़ियां एक स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें। हमारे ग्रंथों में कहा गया है – “जल ही जीवन है”। सभ्यताओं का उद्गम नदियों के तटों पर हुआ है। यदि नदियाँ नहीं बचेंगी तो जीवन संकट में पड़ जाएगा। इसीलिए यह कहा जाना अनुचित नहीं होगा कि “नदी नहीं तो हम नहीं।” मैं इस संदर्भ में एक और सांस्कृतिक दृष्टांत रखना चाहूँगा कि गंगा दशहरा जहाँ जल की महत्ता का उत्सव है, वहीं उसका अगला दिन निर्जला एकादशी है, जो संयम और संरक्षण का प्रतीक बनता है। यह हमारे ऋषियों की प्रकृति-आधारित वैज्ञानिक सोच को दर्शाता है। अंत में, मैं सभी नागरिकों, युवाओं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं, औद्योगिक प्रतिष्ठानों और प्रशासन से आह्वान करता हूँ कि वे केवल दामोदर ही नहीं, बल्कि देश की सभी नदियों की स्वच्छता, सुरक्षा और पुनर्जीवन के लिए आगे आएँ।