Bihar SIR News: बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण पर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से किया सवाल

Bihar SIR News:  बिहार की अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद उठे विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।

न्यूज इंप्रेशन
Delhi: बिहार की अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद उठे विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची में किए गए बदलावों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला आगामी चुनावों से पहले चुनावी सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को बिहार के लिए अंतिम मतदाता सूची जारी की, जिसमें विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद मतदाताओं की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई गई है। ईसी के अनुसार, ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होने के बाद 21.53 लाख योग्य मतदाताओं को जोड़ा गया, जबकि 3.66 लाख अयोग्य मतदाताओं को हटाया गया। इस पुनरीक्षण के बाद अंतिम मतदाता सूची में लगभग 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज किए गए। हालांकि, विपक्षी दलों और याचिकाकर्ताओं ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।

एसआईआर के कारण मतदाताओं की संख्या में 7 प्रतिशत की कमी
विशेष रूप से एसआईआर प्रक्रिया के पहले चरण में लगभग 65 लाख नामों को हटाने पर चिंता व्यक्त की गई थी, जिन्हें मृत, स्थानांतरित या डुप्लीकेट प्रविष्टियों के रूप में चिन्हित किया गया था। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें एसआईआर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि अंतिम सूची, जिसमें 21 लाख से अधिक नए नाम शामिल हैं, की तुलना एसआईआर से पहले की मूल मतदाता सूची (जनवरी 2025) से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ईसीआई एक बटन के क्लिक पर ऐसा कर सकता है। भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर के कारण मतदाताओं की संख्या में 7 प्रतिशत की कमी हुई है, जिसमें अल्पसंख्यकों और महिलाओं का अनुपातहीन बहिष्कार हुआ है।

3.66 लाख हटाए गए मतदाताओं का विवरण प्रस्तुत करे

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह 3.66 लाख हटाए गए मतदाताओं का विवरण प्रस्तुत करे। कोर्ट ने इस बात पर भ्रम की स्थिति जताई कि क्या अंतिम सूची में शामिल किए गए 21.53 लाख नाम पहले हटाए गए 65 लाख नामों में से हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एसआईआर, जो 22 साल बाद बिहार में किया गया, मतदाता सूची को साफ करने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन इसने समस्या को और बढ़ा दिया है। इस पूरी कवायद में 7.89 करोड़ मतदाताओं से फॉर्म जमा करने को कहा गया था, जिसमें से 65 लाख मतदाता ड्राफ्ट सूची से हटा दिए गए थे क्योंकि वे मृत, शिफ्टेड, डुप्लीकेट या अप्राप्य पाए गए थे।

अवैधता पाई जाती है, तो पूरी कवायद को किया जा सकता है रद्द

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई में ईसीआई के स्पष्टीकरण के बाद एसआईआर प्रक्रिया की वैधता पर अंतिम निर्णय ले सकता है। कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली में कोई अवैधता पाई जाती है, तो पूरी कवायद को रद्द किया जा सकता है। यह मामला न केवल बिहार के चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी एक महत्वपूर्ण न्यायिक परीक्षण साबित होगा।

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