Bihar News: भाजपा के स्वयंभू चाणक्य की सारी नीति हो रही है फैल, नीतीश ने चिराग को दिया झटका, एनडीए में दरार, अमित शाह के फैसले को नकार दिया

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। सीट बंटवारे को लेकर हुई खींचतान ने यह दर्शा दिया है कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। 

 

न्यूज इंप्रेशन 

Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। सीट बंटवारे को लेकर हुई खींचतान ने यह दर्शा दिया है कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। खासकर, जनता दल यूनाइटेड के मुखिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के कोटे की पाँच विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर गठबंधन के संतुलन को गंभीर चुनौती दी है। गठबंधन में तय हुए फार्मूले के अनुसार, भाजपा और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटें आवंटित की गई थीं, जो छोटे सहयोगी दलों जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को मिली 6-6 सीटों से काफी अधिक हैं। भाजपा द्वारा चिराग पासवान को अधिक सीटें दिए जाने को उनके दलितों के बीच वोट खींचने की क्षमता और 2024 के लोकसभा चुनावों में 100 फीसद स्ट्राइक रेट पर बड़ा दांव माना जा रहा था।

नीतीश अपने परंपरागत क्षेत्रों को छोड़ने को तैयार नहीं 

हालांकि, चिराग को मिली इस तरजीह ने नीतीश कुमार को असहज कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, चिराग पासवान की पार्टी ने जिन सीटों पर दावा किया था, उनमें से कई को जेडीयू अपने मजबूत गढ़ मानती है। नीतीश कुमार ने जवाबी हमला बोलते हुए चिराग के हिस्से की पाँच सीटों— मोरवा, गायघाट, राजगीर, सोनबरसा और एकमा— पर अपने उम्मीदवारों को सिंबल दे दिए। राजगीर और सोनबरसा के मौजूदा विधायकों (कौशल किशोर और रत्नेश सदा) को जेडीयू ने फिर से टिकट दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार अपने परंपरागत क्षेत्रों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इस घटनाक्रम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गठबंधन प्रबंधन रणनीति पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिन्हें आम तौर पर भाजपा के सबसे बड़े चुनाव रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता है। विश्लेषकों का मानना है कि शाह ने चिराग को बड़ी संख्या में सीटें देकर गठबंधन के भीतर एक संतुलन साधने की कोशिश की थी, ताकि नीतीश कुमार पर दबाव बना रहे। मगर, नीतीश के इस जवाबी कदम ने यह दिखा दिया है कि बिहार में उन्हें दरकिनार करना आसान नहीं है। भाजपा की तरफ से सब ठीक है का दावा करने के बावजूद, जेडीयू की इस कार्रवाई से गठबंधन के भीतर खुल्लम खुल्ला लड़ाई शुरू हो गई है। सिर्फ जेडीयू ही नहीं, सीट बंटवारे से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी असंतुष्ट हैं। उन्हें केवल छह सीटें मिलने से निराशा हुई है। खबर है कि कुशवाहा को अपनी पार्टी के हिस्से की महुआ सीट चिराग पासवान की पार्टी को दिए जाने से आपत्ति है, जिसके विरोध में उन्होंने दिल्ली जाकर अमित शाह से मिलने का निर्णय लिया और कहा कि एनडीए में जो फैसले लिए जा रहे हैं, उन पर कुछ पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी चिराग पासवान को मिली मखदुमपुर सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की धमकी दी है। यह तनाव 2020 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाता है, जब चिराग पासवान की पार्टी ने अलग चुनाव लड़कर जेडीयू को दर्जनों सीटों पर नुकसान पहुँचाया था। इस बार, हालांकि चिराग एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन नीतीश कुमार के आक्रामक रुख ने गठबंधन की एकजुटता को खतरे में डाल दिया है। सीटों के बंटवारे से उत्पन्न हुए इस गहरे असंतोष और गुटबाजी ने गठबंधन के प्रचार अभियान को भी धीमा कर दिया है। जैसे-जैसे नामांकन की तारीखें करीब आ रही हैं, भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने दो प्रमुख सहयोगियों, नीतीश और चिराग, के बीच पैदा हुई दरार को पाटने की है। अगर यह आंतरिक कलह नहीं सुलझती है, तो 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए एक विभाजित घर के तौर पर चुनाव में उतर सकता है।

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