Bihar Election News: साम-दाम-दंड-भेद की नीति पर भाजपा 

Bihar Election News: बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा साम-दाम-दंड-भेद की नीति पर चलती दिखाई दे रही है। वह किसी भी कीमत पर बिहार विधानसभा का चुनाव जीत लेना चाहती है, जबकि सच्चाई यह है कि जनता उसके पक्ष में नहीं है।

 

अलखदेव प्रसाद ‘अचल’ 

न्यूज इंप्रेशन 

Patna: बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा साम-दाम-दंड-भेद की नीति पर चलती दिखाई दे रही है। वह किसी भी कीमत पर बिहार विधानसभा का चुनाव जीत लेना चाहती है, जबकि सच्चाई यह है कि जनता उसके पक्ष में नहीं है। जबकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए इस तरह का खेल सिर्फ विपक्षियों के साथ ही नहीं खेल रही है, बल्कि अपने एनडीए गठबंधन के साथ भी खेल रही है। इस खेल के तहत भाजपा प्रारंभ से गठबंधन में साथ रहे जदयू को भी एकनाथ शिंदे की तरह इस्तेमाल कर फेंक देना चाहती है। उसे सबसे बड़ी भूख यही है कि किसी तरह बिहार में हमारा अपना मुख्यमंत्री हो जाए। ताकि अपने अनुसार सारी व्यवस्थाएं कर लें। इसमें भाजपा कितना सफल हो पाती है,यह तो आने वाला समय ही बताएगा। वैसे अगर देखा जाए, तो जिस तरह से तेजस्वी या राहुल गांधी की चुनावी सभा में स्वाभाविक भीड़ उमड़ रही है, उससे जन सामान्य लोग भी यह अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार अगर मोदी सरकार ने कोई खेल नहीं खेला, तो बिहार में महागठबंधन की सरकार बनना तय है। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी सभा हो या फिर भी गृह मंत्री अमित शाह की, किसी और वरिष्ठ भाजपा मंत्री की सभा हो या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी सभा। उसमें सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए भाड़े पर पर ही सभा में लोगों को लाया जा रहा है। सरकारी वाहनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। फिर भी ढेरों कुर्सियां खाली रह जा रही हैं। कहीं कहीं तो भीड़ न होने की वजह से चुनावी सभा को कैंसिल करना पड़ रहा है। 

महागठबंधन के प्रति बिहार की जनता का अधिक रूझान 

वहीं महागठबंधन की चुनावी सभा में जो भीड़ उमड़ रही है, वह स्वाभाविक लग रही है। नेताओं का भाषण सुनने के लिए लोग टूट जा रहे हैं। जो यह साबित कर रहा है कि महागठबंधन के प्रति बिहार की जनता का अधिक रूझान है। बिहार की जनता का यह मंशा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार ही बने। जनता को यह विश्वास होने लगा है कि महागठबंधन की सरकार में बिहार का विकास होगा। क्योंकि नीतीश सरकार में स्कूलों के भवन तो है, पर पढ़ाई गायब है, अस्पताल के भवन तो हैं, पर जन सामान्य के लिए कोई सुविधा नहीं है। सरकारी दफ्तरों में सिर्फ लूट ही लूट मची है। बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहा है। मतलब पदाधिकारी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। इसलिए पदाधिकारी भी चाहते हैं कि नीतीश की ही सरकार रहे। दूसरा कारण यह भी है कि एनडीए के बड़े-बड़े नेता बड़े बड़े वादे तो कर रहे हैं, लेकिन यहां की जनता देखती आ रही है कि वादे सिर्फ जुमले ही साबित होते हैं। 

हमारी सरकार बनेगी तो मोहिउद्दीन नगर को मोहन नगर बना देंगे 

भाजपा का पहला तिकड़म यह रहा कि आनन फानन में चुनाव के ठीक पहले एसाईआर करवा कर मतदाता सूची से विपक्षी मतदाताओं का नाम हटाने की युगत लगाई। जिसमें कई मतदाताओं के नाम काट दिए गए। दिखावे के लिए तो लग रहा है कि एनडीए एकजुट है, पर ऐसा है नहीं। क्योंकि भाजपा को यह पसंद नहीं है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा चले। इसलिए भाजपा यह चाल चलने में लगी है कि बिहार में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे और भाजपा का ही मुख्यमंत्री हो। इसी षड्यंत्र के तहत भाजपा ने जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। उनलोग जदयू को कभी भी धता दे सकते हैं। इन सब के बावजूद एनडीए को बिहार में हार का डर सता रहा है। क्योंकि लगभग बीस वर्षों में न एक फैक्टरी लगवा सकी न बेरोजगारों के लिए कुछ सोच सकी। जबकि बिहार के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। बिहार के लाखों युवाओं को पलायन करना पड़ता है।एनडीए के नेताओं में अगर चुनावी हार का डर नहीं सताता, तो जनता को रिझाने के लिए कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, तो कभी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, यूपी के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक आदि को नहीं उतरती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री मंत्री अमित शाह को बार-बार चुनावी सभा को संबोधित और रोड शो करने बिहार नहीं आना पड़ता। परंतु सच यह भी है उन तमाम नेताओं की बातें यहां की जनता पर बेअसर ही होती दिख रही है। भाषणों का बेसर होने का कारण यह है एनडीए के नेताओं को यहां यह बोलना चाहिए था कि 5 वर्षों में हमारी सरकार ने क्या क्या किया। हमने जो वादे किये थे उसे पूरा कर दिए, इसलिए हम वोट मांगने आए हैं। उसके बजाय मोदी कट्टा और जंगलराज, अमित शाह घुसपैठिए की बात कर रहे हैं, योगी आदित्यनाथ हिंदू मुसलमान की बात कर रहे हैं कि हमारी सरकार बनेगी तो मोहिउद्दीन नगर को हम मोहन नगर बना देंगे अली नगर को आनंद नगर बना देंगे। परंतु यह नहीं बताते कि 20 वर्षों से बिहार में एनडीए की सरकार है, तो हम एक भी फैक्ट्री क्यों नहीं खुलवा सके ? बिहार के बेरोजगारों को बाहर क्यों जाना पड़ता है ?हम 5 किलो अनाज पर कब तक बिहारवासियों को ठगते रहेंगे? बिहार की जनता अब भाषणों को सुनना नहीं चाहती है, क्योंकि भाषण सुनते सुनते ऊब चुकी है।

मतलब खूंखार अपराधी बनना होगा

जदयू के एक खूंखार अपराधी अनंत सिंह पर दिन दहाड़े राजद नेता दुलारचंद यादव को गोली मारा जाना और उसपर गाड़ी चढ़ाकर मार डालना यह संकेत दे रहा है कि जो विरोध करोगे, उसे ऐसा ही अंजाम भुगतना होगा। जब अनंत सिंह जेल चला गया, तो वरिष्ठ मंत्री ललन सिंह जनता खासकर भूमिहारों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां हर व्यक्ति को अनंत सिंह बनना होगा। मतलब खूंखार अपराधी बनना होगा। जंगल राज जंगल राज का राग अलापने वालों को शर्म भी नहीं आती कि एक तरफ महाजंगल राज बना भी दिया है और जनता को यह भय दिखा रहे हैं कि अगर बिहार में राजद की सरकार बन जाएगी, तो जंगलराज आ जाएगा। उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा अपने क्षेत्र में पहुंचा।किस गांव से गुजर रहा था,उस सड़क पर जल जमाव था। इसलिए वहां की जनता ने विजय सिन्हा मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। धमकाने पर जनता ने गोबर फेंक दिया, इसपर विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार बनने दो, बुल्डोजर नहीं चलवा दिया, तो मेरा नाम विजय सिन्हा नहीं। अपने बाडी गार्ड से कहा कि तुमने गोली क्यों नहीं चलाई? प्रथम चरण के चुनाव के दिन कहीं से खबर आई कि मतदाता को यह कहकर वोट नहीं देने दिया गया कि आपका वोट पड़ गया है।ऐसा मुसलमानों और दलितों के साथ हुआ।एक जगह पर नदी पार मतदान केन्द्र पर जाना था।जब प्रशासन ने समझ लिया कि अधिकांश मतदाता राजद समर्थक हैं, तो उन्हें जाने ही नहीं दिया गया। जहां विपक्षी पार्टी के समर्थक मतदाता रहे,कई जगहों से यह सूचना आयी कि वैसे बूथों पर स्लो वोटिंग रही। मतलब भाजपा की तरफ से विपक्षियों को रोकने के लिए बहुत सारे उपाय किए गए।अब देखना है कि चुनावी परिणाम किस रुप में आता है? दूसरी तरफ महागठबंधन की ओर से राहुल और तेजस्वी संविधान बचाने की बात तो कर ही रहे हैं, साथ ही साथ युवाओं के लिए रोजगार की भी बात कर रहे हैं ।17 महीने की सरकार में नीतीश जी के साथ तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे, तो दबाव बनाकर करीब 5 लाख बेरोजगार युवाओं को नौकरी दिलवाने का भी काम किया था ।इसलिए यहां के युवाओं को ऐसा लग रहा है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो निश्चित रूप से राहुल और तेजस्वी की जोड़ी बिहार में कुछ नया करके जरूर दिखाएगी ।इसलिए भी लोग महागठबंधन के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। 

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