Bihar News : बिहार के बदलाव का निर्भूल नक्शा
Bihar News : घुसपैठियों के जरिये भाजपा फिर खेलने जा रही है : हेट पॉलिटिक्स का कार्ड, इंडिया गठबंधन का संकल्प पत्र 2025
एच.एल. दुसाध
Bihar: जब यह आलेख पाठकों तक पहुंचेगा, उस समय तक 6 नवम्बर को होने वाले बिहार विधानसभा के पहले चरण के चुनाव प्रचार थम चुका होगा और मतदाता अगले दिन किस दल को वोट करेंगे इकी मानसिक प्रस्तुति ले रहे होंगे .6 अक्टूबर को दो चरणों में संपन्न होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियाँ अपने –अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई थी. वैसे तो बिहार की सत्ता पर कब्ज़ा जमाने का मुख्य मुकाबला मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है पर, जनसुराज भी कुछ-कुछ लोगों का ध्यान खींचने में समर्थ हुई है.किन्तु वह इंडिया और एनडीए के आसपास भी नहीं है. हमेशा चुनावी मोड में रहने वाले मोदी और अमित शाह सबसे पहले चुनाव प्रचार में कूदे और जैसा कि दुनिया जानती है, भाजपा हेट पॉलिटिक्स के बिना किसी चुनाव में उतर ही नहीं सकती, उसका अपवाद बिहार विधानसभा चुनाव भी होता नहीं दिख रहा है. मंडल की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से ही चुनाव दर चुनाव मुसलमानों के खिलाफ नफरत फ़ैलाने पर निर्भर रहने वाली भाजपा 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पुराना इतिहास दोहराते दिख रही है.अबतक के चुनावों में वह मुसलमानों को विदेशी आक्रान्ता , हिन्दू धर्म-संस्कृति का विध्वंशक, आतंकवादी, पाकिस्तानपरस्त, भूरि-भूरि बच्चे पैदा करने वाले जमात के इत्यादि के रूप में चिन्हित कर ध्रुवीकारण की राजनीति करती रही है, बाद में 2023 के कर्णाटक चुनाव से उसने उनको आरक्षण का हकमार वर्ग बताना शुरू किया. किन्तु आरक्षण का हकमार वर्ग नफरत के प्रसार में पर्याप्त कारगर न होते देख , उसने पैतरा बदलते हुए पिछले वर्ष झारखण्ड और इस वर्ष के दिल्ली विधानसभा चुनाव से मुसलमानों को ‘घुसपैठिया’ बताने का जो सिलसिला शुरू किया, उसे मोदी – शाह बिहार विधानसभा चुनाव में शिखर पर पहुंचाते नजर आ रहे है.अमित शाह ने अपनी शुरुआती प्रचार सभाओं में ‘सौ शहाबुद्दीन’ और ‘सौ बख्तियार खिलजी’ का उल्लेख कर संकेत कर दिया था कि भाजपा बिहार में हेट पॉलिटिक्स को एवरेस्ट सरीखी उंचाई देगी. मुसलमानों के खिलाफ नफरत फ़ैलाने के साथ मोदी-शाह की अगुवाई में भाजपा जंगलराज का हौव्वा खड़ा करने पर जोर दे रही है .हालाँकि इस बीच आरा में बाप-बेटे प्रमोद कुशवाहा और प्रियांशु कुशवाहा की गोली मारकर ; सिवान में दलित दारोगा अनिरुद्ध कुमार की गला रेत कर तथा मोकामा में दुलार चंद यादव की दुसाहसपूर्ण हत्या की घटनाएँ हो चुकी हैं पर,मोदी-शाह जंगलराज की रट लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 के घोषणापत्र की भांति ही फिर कारगर होगा: इंडिया गठबंधन का संकल्प पात्र 2025
जहां तक इंडिया गठबंधन का सवाल है , वह बहुत ही सकारत्मक तरीके से चुनाव लड़ रहा है. गाली – गलौच करने के बजाय वह नए बिहार के निर्माण का नक्शा दे रहा है. तेजस्वी यादव का हर घर में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की गारंटी , चुनाव का सबसे प्रभावशाली मुद्दा बन चुका है. इसीलिए महागठबंधन की चुनावी सभाओं में जहां रिकॉर्डतोड़ भीड़ जुट रही है, वहीं मोदी- शाह- चिराग इत्यादि की सभाओं में खाली-खाली कुर्सियां दिख रही है.यह सब देखकर अधिकांश विश्लेषक कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन चुनाव जीत रहा है, अगर नहीं जीत पाता है तो उसके लिए जिम्मेवार होगा चुनाव आयोग, जिसके जरिये भाजपा विगत कुछ चुनावों में वोट चोरी का भयावह खेल अंजाम दे चुकी है. सिर्फ वोट चोरी के जरिये ही एनडीए जीत सकता है, ऐसा बिहार का आम मतदाता भी मान रहा है. बहरहाल अबतक के चुनावी हालात साफ़ संकेत दे रहे हैं इंडिया गठबंधन विजेता बनकर उभरेगा और अगर ऐसा होता है तो निश्चय ही एक बड़ा फैक्टर साबित होगा महागठबंधन के घोषणापत्र के रूप में जारी ‘इंडिया गठबंधन का संकल्प – पत्र: 2025’, जिसे तेजस्वी – प्रण भी कहा जा रहा है. इंडिया गठबंधन के दलों के साझा संकल्प पत्र उप-समिति में शामिल डॉ. मनोज झा ,सुधाकर सिंह, प्रो. अनवर पाशा,प्रो. सुबोध मेहता(राजद), अमिताभ दुबे , करुणा सागर , शिवलाल ठाकुर(कांग्रेस),कॉ. मीना तिवारी, प्रो. अभ्युदय(सीपीआई एमएल), कॉ. सर्वोदय वर्मा (सीपीआई एम), प्रो. दिनेश सहनी,मो. नुरुल होदा( वीआईपी ), प्रो. एम जब्बार आलम , कॉ. रामबाबू कुमार(सीपीआई) द्वारा तैयार इंडिया का संकल्प- पत्र 2025 एक ऐसा घोषणापत्र है, जिसने घोषणापत्रों के मजाक बनते दौर में लोगों को उसी तरह घोषणापत्रों के प्रति गंभीर बनाया है, जैसे लोकसभा 2024 के चुनाव में 5 न्याय , 25 गारंटी और 300 वादों से युक्त कांग्रेस के ‘न्याय-पत्र’ ने बनाया था. तब न्याय-पत्र के रूप में जारी कांग्रेस के घोषणापत्र पर ‘खबरहाट’ के प्रदीप चौहान ने अपने विडिओ का कैप्शन बनाया था,’ लोगों की तकदीर बदलने वाला घोषणापत्र !’ ‘ कांग्रेस की गारंटियां करेंगी धमाल ‘ कहना था पत्रकार शरत प्रधान का. ‘ऐसा घोषणापत्र आज तक नहीं आया’ दावा किया था वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने! चर्चित राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार दुबे ने मना था कि कांग्रेस का घोषणापत्र एक क्रांतिकारी दस्तावेज है. वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा का कहना रहा कि यह घोषणापत्र चुनाव का ‘पंच तत्व ‘ साबित हो सकता है, यदि कांग्रेस इसे जनता तक पहुंचा सकी तो! सिर्फ विनोद शर्मा ही नहीं , उस घोषणापत्र को पढने वाले हर किसी का मानना रहा कि यदि कांग्रेस इसे जनता तक पहुंचा दे तो चमत्कार हो सकता है और कांग्रेस ने अधिक से अधिक लोगों तक अपने घोषणापत्र की बातो को पहुँचाने का प्रयास किया भी ! परिणाम सबको पता है मोदी के 400 पार जाने के मंसूबों पर बुरी तरह पानी फिर गया. वह तो गनीमत थी कि वह केचुआ की जोर से मोदी वोटों की चोरी नहीं, डकैती करने में सफल हो गए, नहीं तो कांग्रेस का न्याय पत्र इंडिया गठबंधन को केंद्र की सत्ता में ला दिया होता!
बहरहाल 2024 में कांग्रेस के न्याय-पत्र पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था,’ दूसरी पार्टियाँ घोषणापत्र जारी करती हैं और भाजपा संकल्प पात्र ! संकल्प पत्र में जो वादा किया था वो पूरा करने में एड़ी – चोटी एक कर दिया. जब नीयत सही होती है तो नतीजे भी सामने आते हैं. दस साल में जो काम हुआ, वह सिर्फ ट्रेलर है, अभी बहुत कुछ करना है.’ खैर, तब कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के दस दिन बाद ही भाजपा का संकल्प पत्र आया था, जिसे लोगो ने बुरी तरह ख़ारिज कर दिया था. ख़ारिज करने का कारण यह था कि लोगों ने देख लिया था कि 2014 में भाजपा के संकल्प पत्र में विदेशों से काला धन लाकर प्रत्येक व्यक्ति के खाते में सौ दिन में 15 लाख जमा करने; हर साल युवाओं को दो करोड़ नौकरियां देने और सौ स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणाएं किस तरह जुमला साबित हुईं थीं . 2014 के घोषणापत्र को जुमला साबित होने के बाद लोगों ने भाजपा के घोषणापत्रों को ख़ारिज करने की आदत ही बना लिया. इसलिए इस बार बिहार में इण्डिया गठबंधन का संकल्प पत्र जारी होने के दो दो दिन बाद जो एनडीए का संयुक्त का संकल्प – पत्र जारी हुआ, उसे लोगों ने मोदी का एक और जुमला पत्र मानकर ख़ारिज का दिया! खुद भाजपा वाले इसके प्रति गंभीर नहीं थे, इसलिए इसे जारी करने की प्रक्रिया मिनटों में पूरी कर ली गई. इसके जारी होने के संग-संग स्वंय नीतीश कुमार भी मंच से उठकर चले गए थे. वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल दल के नेता एक साथ, एक मंच पर खड़े होकर घोषणापत्र को जारी करने के साथ मीडिया से मुखातिब हुए थे. क्योंकि उन्हें पता था , वह ऐसी चीज पेश कर रहे हैं , जो बिहार का भाग्य परिवर्तन करने वाला होगा और नये बिहार का निर्माण करेगा. घोषणापत्र लिखनेवाले साझा संकल्प पत्र उप-समिति में शामिल विद्वानों ने बहुत गंभीरता से इसे तैयार किया और वे इसए जरिये कैसा बिहार बनाने जा रहे है, उसका बुनियादी स्वरूप 32 पृष्ठीय संकल्प- पत्र के प्रस्तावना में ही तैयार कर दिया था .
संकल्प पात्र की प्रस्तावना
संकल्प – पत्र के पेज दो पर इसकी प्रस्तावना में लिखा गया है ,’ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 बिहार की जनता के लिए लोकतंत्र का महापर्व है. यह बिहार में सकारात्मक बदलाव का एक ऐतिहासिक अवसर है.इस ऐतिहासिक अवसर पर इंडिया गठबंधन बिहार की जनता के समक्ष अपना संकल्प पत्र प्रस्तुत करते हुए अपार जिम्मेवारी का अनुभव कर रहा है .विगत दो दशकों से बिहार की सत्ता में रही एनडीए सरकार ने आम जनता की अपेक्षाओं के साथ घोर अन्याय किया है.शिक्षा, स्वास्थ्य , कृषि, उद्योग, कानून- व्यवस्था , रोजगार , पलायन , भ्रष्टाचार ,अपराध, मंहगाई, बाढ़ और सुखाड़ – हर क्षेत्र में शासन की विफलता स्पष्ट है. सुशासन के नाम पर फैली कुव्यवस्था और बेलगाम अपराध व भ्रष्टाचार राज्य की प्रशासनिक प्रणाली को पंगु बना दिया है. लोकतान्त्रिक संस्थाएं कमजोर हुईं हैं और नीतिगत निर्णयों में पारदर्शिता , जवाबदेही और उत्तरदायित्व का पूर्ण अभाव है.
बिहार, जो कभी देश में सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की प्रेरणा हुआ करता था, आज विकास के हर पैमाने पर सबसे निचले पायदान पर खड़ा है. राज्य की जनता आर्थिक अवसरों के लिए पलायन को मजबूर है और बिहार एक पलायन – प्रदेश बनकर रह गया है. सामाजिक असमानता लगातार गहराती जा रही है . दलित, पिछड़ा , अतिपिछडा , महिला और अल्पसंख्यक वर्गों पर उत्पीड़न और अत्याचार में बढ़ोतरी होती जा रही है. नीतीश कुमार की सरकार के पास राज्य को इस दुर्दशा से निकालने के लिए न तो कोई कारगर उपाय एवं दृष्टि है और न ही इच्छाशक्ति. एनडीए सरकार की बागडोर अब सरकार के मुखिया के हाथ में न होकर अफसरशाही और राजनीतिक दलालों के हाथ में बंधक बनी हुई है , जिसके कारण बिहार की जनता गहरे संकट में है. यहाँ तक कि राज्य के गरीब-गुरबा और दबे-कुचले अवाम के वोट अधिकार को छीनकर, उन्हें तमाम नागरिक अधिकारों एवं सुविधाओं से वंचित करने की साजिश की जा रही है. इंडिया गठबंधन इस स्थिति को बदलने के लिए दृढ संकल्पित है. इंडिया गठबंधन की सरकार सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय को समान महत्त्व देगी . हमारी सरकार राज्य के हर वर्ग एवं समुदाय के जनतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए कटिबद्ध होगी .हमारा यह संकल्प पत्र केवल एक सामान्य चुनावी दस्तावेज नहीं, बल्कि समृद्ध , न्यायपूर्ण और खुशहाल ‘ नए बिहार ‘ के निर्माण की दिशा में हमारा संकल्पित , ठोस और ऐतिहासिक कदम है.’
प्रस्तावना के बाद समृद्ध , न्यायपूर्ण और खुशहाल ‘ नए बिहार ‘ के निर्माण के लिए गठबंधन के पास क्या कार्यक्रम है ,इसका जिक्र ‘मुख्य बिन्दु’ शीर्षक से पृष्ठ 3 से 5 तक किया गया है, जिसके उन 25 बातों का उल्लेख है, जिसके जरिये गठबंधन खुशहाल बिहार का संकल्प पूरा करेगा! संकल्प पत्र में इन्हीं 25 बातों का विस्तार 6 से 29 पृष्ठ तक रोजगार एवं युवा, दिव्यांग वर्ग, शिक्षा सुधार , जन स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुधार , महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय एवं वंचित समुदाय , कानून व्यवस्था सुधार : अपराध-मुक्त बिहार, कृषि- किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मजदूर वर्ग, भूमिहीन – बेघर और गरीब, वृद्ध- विधवा और दिव्यांगजन की सामाजिक सुरक्षा, उद्योग एवं स्वरोजगार, ग्रामीण एवं शहरी विकास , सांप्रदायिक सौहार्द एवं अल्पसंख्यक अधिकार रक्षा , पूर्व सैनिक , फुटपाथी और छोटे दूकानदारों की आजीविका सुरक्षा , जल संसाधन , बाढ़ – सुखाड़ नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण, अन्य/विविध शीर्षक से हुआ है. 30 वें पृष्ठ पर ‘ समापन घोषणा ‘ शीर्षक से कहा गया है,’ बिहार के मेहनतकश दलित, अतिपिछडे, वंचित , किसान युवा , महिलाएं , अल्पसंख्यक, आदिवासी , मजदूर और समाज के सभी दबे-कुचले वर्गों के अधिकारों की गारंटी देने वाला यह नया बिहार का संकल्प पत्र – न्याय , समानता और लोकतंत्र की मजबूत नीव पर आधारित है. यह संविधान सम्मत सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास में इन वर्गों की उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के दृढ संकल्प को पुनः दोहराता है. आइये , हम सब मिलकर बदलाव और न्यायपूर्ण नए बिहार के निर्माण का संकल्प लें – इंडिया गठ बंधन समन्वय समिति, बिहार!
संकल्प पत्र की सबसे क्रांतिकारी घोषणा : 25 करोड़ तक के सरकारी ठेकों में आरक्षण
वास्तव में दलित, अतिपिछडे, वंचित , किसान युवा , महिलाएं , अल्पसंख्यक, आदिवासी , मजदूर और समाज के सभी दबे-कुचले वर्गों के अधिकारों की गारंटी देने वाले इस संकल्प पत्र में जिस तरह इन वर्गों को सामाजिक न्याय सुलभ कराने और आर्थिक विकास में उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का जो संकल्प दोहराया गया है, वह अभूतपूर्व है. इंडिया गठबंधन सत्ता में आने पर 20 दिनों के अन्दर अधिनियम ला कर हर परिवार में कमसे कम एक एक सदस्य को नौकरी देने;सभी जीविका दीदियों को स्थायी करने एवं उनको 30 हजार प्रतिमाह वेतन देने; माई-बहन योजना के तहत प्रतिमान 2,500 आर्थिक सहायता देने ; नवोदय विद्यालय के तर्ज पर प्रत्येक अनुमंडल में कर्पूरी ठाकुर आवासीय विद्यालय की स्थापना करने, शिक्षा के क्षेत्र में संविदा प्रणाली समाप्त करने, 100 महिला कॉलेज खोलने, पटना में सावित्रीबाई फुले-फातिमा शेख विश्वविद्यालय की स्थापना करने; पटना विश्व विद्यालय को केन्द्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा दिलाने ; हर ग्रेजुएट एवं पोस्ट –ग्रेजुएट को 2 से 3 हजार बेरोजगारी भत्ता देने; संविदा कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से स्थाई करने, आउट सोर्सिंग प्रणाली समाप्त करने इत्यादि जैसी घोषणाएं मतदाताओं को अवश्य ही उद्वेलित करेंगी , ऐसा संकल्प पत्र की समीक्षा करने वाले अधिकांश विश्लेषकों का मानना है. किन्तु यदि यह जानने का प्रयास हो कि इंडिया गठबंधन के ऐतिहासिक संकल्प पत्र की सबसे क्रांतिकारी घोषणा क्या है तो इस लेखक का जवाब होगा ‘ सामजिक न्याय और वंचित समुदाय; शीर्षक से पेज 14 वें पर कही गई बिंन्दु नंबर 17 की यह घोषणा ,’ 25 करोड़ तक सरकारी ठेकों/आपूर्ति कार्यो में अतिपिछडा , अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के 50 % आरक्षण का प्रावधान किया जायेगा !’ वास्तव में ठेकों में आरक्षण संकल्प पत्र की सबसे क्रांतिकारी घोषणा है, क्योंकि आने वाले दिनों में यह वंचित समुदायों को आर्थिक न्याय सुलभ कराने में सबसे अचूक हथियार साबित होने जा रहा है.
मध्य प्रदेश से कांग्रेस ने किया एक नई आर्थिक क्रांति का आगाज़
स्मरण रहे पिछली सदी के शेष दिनों में जब नवउदारवादी को हथियार बनाकर अटल बिहारी वाजपेयी विनिवेश मंत्रालय गठित कर सरकारी कंपनियों को अंधाधुन बेचने लगे , तब आरक्षण के खात्मे से भयाक्रांत दलित – पिछड़ों के ढेरों संगठन निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग उठाने लगे. उन्हें लगता था कि आने वाले दिनों में जब सरकारी कंपनियों का निजीकरण होगा , तब उसमें यदि आरक्षण लागू हो जाए तो नौकरियों पर निर्भर रहने वाला दलित समाज बंच जायेगा. वैसे समय में चर्चित दलित चिन्तक चंद्रभान प्रसाद एक अलग विचार लेकर सामने आए! उन्होंने आरक्षित वर्गों को आह्वान करते हुए कहा,; थिंक बियॉन्ड रिजर्वेशन अर्थात नौकरियों से आगे बढ़कर उद्योग – व्यापार में हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ो!’ उनका मानना था कि आने वाले दिनों में शासक वर्गों की साजिश और टेक्नोलॉजी के कारण नौकरिया बहुत सिमित हो जाएँगी. वैसे में जब दलितों को नौकरियों से आगे बढ़कर सप्लाई, डीलरशीप , ठेकेदारी, फिल्म -मीडिया इत्यादि में हिस्सेदारी मिलेगी ,तो ही दलित समाज अपना वजूद बचा पायेगा. इसके लिए उन्होंने बार-बार अमेरिका का मिसाल दिया, जहाँ नौकरियों के साथ डीलरशिप ,सप्लाई, ठेकेदारी, फिल्म- मीडिया इत्यदि अर्थोपार्जन की समस्त गतिविधियों में आरक्षण है. चंद्रभान प्रसाद के आर्थिक क्रांति का यह नया सूत्र मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को आकर्षित किया और उन्होंने दलित- आदिवासियों को उद्योग- व्यापार में भागीदार बनाने के मुद्दे पर 2002 के 12 -13 जनवरी को भोपाल में एक ऐतिहासिक सम्मलेन कराया , जहां से डाइवर्सिटी केन्द्रित भोपाल घोषणापत्र जारी हुआ, जिसमें दलित-आदिवासियों को सप्लाई, डीलरशिप, ठेकेदारी इत्यादि में आरक्षण देने की बात कही गई थी. दिग्विजय सिंह ने भोपाल घोषणापत्र के जरिये कांग्रेस की ओर से न सिर्फ आर्थिक क्रांति नया सूत्र राष्ट्र के समक्ष रखा, बल्कि 27 अगस्त को सप्लाई में आरक्षण लागू कर, उस क्रांति का आगाज भी कर दिया. मध्य प्रदेश में सप्लाई में आरक्षण लागू होने के बाद दलित एक्टिविस्टों को लगा , अगर ठीक से प्रयास हो तो अमेरिका की तरह भारत में भी अर्थोपार्जन की समस्त गतिविधियों में आरक्षण लागू हो सकता है!
ऐसे तैयार हुई ठेकों में आरक्षण की जमीन
मध्य प्रदेश में सप्लाई में आरक्षण लागू होने के बाद विभिन्न प्रदेशो के दलित अपने- अपने राज्यों में ठेकेदारी,सप्लाई इत्यादि में आरक्षण लागू करवाने की लड़ाई में उतरे. इसमें चंद्रभान प्रसाद के अतिरक्त आरके चौधरी, डॉ. उदित राज इत्यादि जैसे कई लोग प्रयास चलाए, लेकिन वे कुछ वर्ष बाद ही थक-हारकर बैठ गए. ऐसे में 2007 से इस लेखक के नेतृत्व में बहुजन डाइवर्सिटी मिशन(बीडीएम) जैसे लेखकों ने संगठन ने कुछ परिवर्तन के साथ डाइवर्सिटी लागू करवाने का झंडा थाम लिया. बीडीएम ने अपनी लड़ाई में बदलाव यह किया कि वह लड़ाई का दायरा सप्लाई,डीलरशिप, ठेकेदारी से आगे बढ़ाकर फिल्म-टीवी,पार्किंग-परिवहन, विज्ञापन निधि सहित शक्ति के समस्त स्रोतों तक प्रसारित कर दिया और इसके लाभार्थी वर्ग के रूप में एससी,एसटी के साथ ओबीसी, धार्मिक अल्पसंख्यको और सवर्णों के स्त्री-पुरुषों तक को शामिल कर लिया. बाद में 2009 में उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने 25 लाख तक के ठेकों में एससी-एसटी के लिए 23% आरक्षण लागू किया. मायावती का यह काम ऐतिहासिक था,क्यों बाबा साहेब ने 1942 में दलितों के लिए पीडब्ल्यूडी के ठेकों में आरक्षण का जो सपना देखा था, वह प्रयास 67 साल बाद मायावती के जरिये मूर्त रूप धारण किया. मायावती सरकार के बाद कई राज्य सरकारें छोटे-छोटे पैमाने पर यह लागू करती रहीं. किन्तु बड़े पैमाने पर 2020 में इसे लागू करने के लिए सामने आई हेमंत सोरेन सरकार! सोरेन सरकार ने अपने राज्य : झारखण्ड में 25 करोड़ तक के सरकारी ठेकों में एसटी,एससी के साथ ओबीसी को प्राथमिकता देने का एलान किया.इसके बाद 2021 में तमिलनाडू की एमके स्टॅलिन सरकार ने वहां के 36,000 मंदिरों के पुजारियों की नियुक्ति में दलित, आदिवासी, ओबीसी और महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने की घोषणा किया .यह बात और है कि वहां के ब्राह्मण इस आरक्षण के खिलाफ कोर्ट में चले गए और मामला स्थगित हो गया. हेमंत सोरेन सरकार के बाद अब बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने अपने संकल्प पत्र में सत्ता में आने पर 25 करोड़ तक के ठेकों में वंचित जातियों के लिए आरक्षण लागू करने की घोषणा कर दी है. ऐसे में अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आकर ठेकों में आरक्षण लागू कर देता है तो इसका असर सुदूर प्रसारी होगा. उसके बाद ऐसा हो सकता है कि ठेकों के साथ सप्लाई, डीलरशिप, पार्किंग ,परिवहन, फिल्म-टीवी इत्यादि सहित अर्थोपार्जन की समस्त गतिविधियों में आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो जाए और जिस दिन ऐसा हो जायेगा ,हजारों साल के जड़ भारतीय समाज में एक महाक्रांति घटित हो जाएगी .इसीलिए कहता हूँ इंडिया गठबंधन के संकल्प पत्र का सबसे क्रांतिकारी एलान ठेकों में आरक्षण है. यदि महागठबंधन के नेता ठीक से ठेकों में आरक्षण और उसके सुदूर प्रसारी इम्पैक्ट से लोगों को अवगत करा दें तो यह मुदा ही महागठबंधन को सत्ता में लाने के लिए काफी होगा !
तेजस्वी यादव का एलान: 14 जनवरी को महिलाओं को देंगे 30 हजार की एकमुश्त राशि
बहरहाल जब यह लेख प्रेस में जाने की स्थिति में आया,एक ऐसी घोषणा सामने आई, जिससे इंडिया गठबंधन की सम्भावना शर्तिया तौर पर बेहतर होगी. पहले चरण के चुनाव प्रचार के थमने के कुछ घंटा पहले तेजस्वी यादव ने घोषणा किया है कि सरकार बनते ही ‘माई- बहिन’ योजना के तहत 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन प्रतिमाह 2 500 के हिसाब एक साल का 30,000 रुपया महिलाओं के खाते जमा कर देंगे.’ तेजस्वी यादव की यह घोषणा निश्चय ही एनडीए के नहले पर दहला साबित होगा और इंडिया गठबंधन के सत्ता में आने के आसार पहले से ज्यादा बढ़ जाएंगे!
(लेखक : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ओबीसी विभाग) के एडवाइजरी कमेटी के सदस्य हैं)
