Anand Marg DMS 2025: आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से 1 जनवरी को पुनदाग स्थित आनंदनगर में विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro: आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से 1 जनवरी को पुनदाग स्थित आनंदनगर में विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया। धर्म महासम्मेलन में देश-विदेश के भारी संख्या में सन्यासी व मार्गी शामिल हुए। बाबा नाम केवल कीर्तन की गूंज से पूरा माहौल आध्यात्मिक रहा। धर्म महासम्मेलन में भक्तों को संबोधित करते हुए आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने “जीवन का लक्ष्य“ विषय पर कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है। जिसे हमें प्राप्त करना है साधारणतः लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं, परंतु ऐसा नहीं है। आचार्य ने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता आदि गुरु शंकराचार्य के बारे में बोलते हुए कहा कि वह उद्भट ज्ञानी थे, फिर भी भक्ति को श्रेष्ठ कहा है। उन्होंने बताया की मोक्ष प्राप्ति के उपाय में भक्ति श्रेष्ठ है। भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है। पुरोधा प्रमुख ने कहा कि परमात्मा कहते हैं कि मैं भक्तों के साथ रहता हूं, जहां वे मेरा गुणगान करते हैं, कीर्तन करते हैं ’परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है, उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।