Lucknow News: कैडर प्रशिक्षित लोग RSS और बीजेपी की साजिशों का करेंगे भंडाफोड़

 Lucknow News: कैडर प्रशिक्षित लोग RSS और बीजेपी की साजिशों का करेंगे भंडाफोड़

 

Lucknow News: देश का इतिहास गवाह है कि इनकी संप्रभुता में विदेशियों द्वारा हम बारम्बार ग़ुलाम बनाए गए हैं। इनके फ़रेब का पोस्टमार्टम करने लिए एक अनुशासित संगठन की आवश्यकता है। 

 

 गौतम राणे सागर

न्यूज इंप्रेशन 

Lucknow: क्षेत्रीय दलों की तानाशाही भाजपा को और अधिक मज़बूत करेंगी। बीजेपी के सत्ता संरक्षण मे RSS को पाखंडता फैलाने और छद्म रूप से देश की संपत्तियों को लूटने, शिक्षा का सत्यानाश करने का अनवरत अवसर मिलता रहेगा। देश का युवा बेरोजगार रहेगा और परजीवी लोग चीनी के बोरे जैसे पेट लेकर स्वर्ग और नरक का भय दिखाकर सीधे सादे लोगों को लूटेंगे। यह ऐसे फ़रेबी खटमल हैं जो पत्थरों में प्राण फूंकने का दावा करते है लेकिन अपने सबसे होनहार बच्चे जिसकी अकाल मृत्यु हो जाती है उसमें प्राण नही डाल सकते हैं। जीवन भर उसे खोने का मलाल उन्हें कचोटता रहता है लेकिन इनकी यह धूर्त विद्या यहां असफल हो जाती है क्यों ? यह न तो चरित्र और न ही वाणी से देश की एकता और अखंडता के प्रति निष्ठावान हो सकते हैं। देश का इतिहास गवाह है कि इनकी संप्रभुता में विदेशियों द्वारा हम बारम्बार ग़ुलाम बनाए गए हैं।

 इनके फ़रेब का पोस्टमार्टम करने लिए एक अनुशासित संगठन की आवश्यकता है। जिसके कार्यकर्ता वैचारिक तौर पर मज़बूत, कैडर प्रशिक्षित और अनुशासित हो। कार्यकर्ताओं के अनुशासित होने का यह मापदण्ड बिल्कुल नही है कि वह किसी सनकी नेता के ऊटपटांग आदेशों का अनुपालन करते रहे। पार्टी सम्पत्ति परियोजना नही अपितु देश के उन तमाम नागरिकों को जो सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अति पिछड़े ही नही अपितु वंचित हैं उन्हें देश में चल रही विकास की धारा से जोड़ने का संकल्प ले। वह दल जो चुनाव के दौरान घोषणा पत्र ज़ारी करने के बरअक्स वचन पत्र पेश करे। घोषणा पत्र झूठ का पुलिंदा होता है। सत्ता में पहुंचकर मुकरने पर उसके खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही नही हो पाती। वचन पत्र को कोर्ट में पेश कर वादा खिलाफी के तहत दण्डित किया जाए परिवाद दायर किया जा सकता है। हमें देश के मूलनिवासियों को न बिकने वाला समाज बनाना है। न तो वह ख़ुद बिके और न ही जिसे वह अपना नेता मान बैठे हैं उसे ख़ुद को बेचने की छूट दे। क्षेत्र से रात दिन मेहनत कर पार्टी को वट वृक्ष बनाने वाले क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों द्वारा प्रस्तावित प्रतिभागियों को ही चुनावी समर में उतारा जाय, प्रत्येक दलों को प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी चाहिए। देश के नागरिकों से एक अपेक्षा तो की ही जा सकती है कि ईमानदार होकर अपने नेता से पूछे कि आख़िर टिकट बेचने का जो पैसा वह वसूल रहे हैं किस बात का है? क्या मेरे वोट का सौदा किया गया है यदि वह जवाब न दे तो उनके द्वारा घोषित थैलीशाह उम्मीदवार का बहिष्कार करें।हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है। देश के सभी नागरिकों को नौकरी दी जा सकती है। जी हां! हमारे देश के छद्म नेता जो कि वास्तव में देश से गद्दारी करके स्विस बैंक में अकूत धन जमा कर रखे हैं उसे संसद में एक विधेयक के ज़रिए राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर सारा धन इंडिया में वापस मंगाकर देश के समस्त नागरिकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी मुफ़्त में उपलब्ध कराई जानी चाहिए। एक नैतिक जन प्रतिनिधि ही यह कर्मठता प्रदर्शित कर सकता है। यह न समझें कि केवल नेता बेईमान हैं, लोक सेवक जो कि ख़ुद को अफ़सर मानकर सम्मानित नागरिकों को धौंस देते हैं, उनसे रिश्वत लेते हैं उन्हें भी औकात पर लाने की जरूरत है। परियोजनाओं के सम्पूर्ण धनराशि का दो तिहाई तो यही डकार जाते हैं तब भी इनका भवसागर भरने की नाम ही नही लेता। जो दल गुंडों, लफंगों, माफियाओं और टैक्स चोर उद्योगपतियों के सहयोग से सत्ता में आयेगा वह इन पर अंकुश लगा ही नही सकता। देश के सभी नागरिकों को ग़रीबी से बाहर तभी निकाला जा सकता है जब उनके विकास के लिए स्पेशल प्लान बनाया जाए बेईमानों को उस योजना से दूर रखा जाए। योजना के सुचारू क्रियान्वयन में कोताही बरतने वाले लोक सेवक को सिर्फ़ बर्खास्त, सेवा निवृत से ही दण्डित ही नही किया जायेगा अपितु उन्हें जेल की हवा खाने के लिए निरुद्ध किया जायेगा। पुलिस कर्मी जो पब्लिक की समस्याओं के निदान के लिए विख्यात होने के बरअक्स अपनी हैवानियत के लिए कुख्यात हैं उन पर भी उन्हीं के हथकंडे फार्मूला 44 अपनाए जायेंगे। ताकि उनके दुर्व्यवहार से आम आदमी कितना पीड़ित होता है, परिणाम का स्वाद वह भी चख सकें। भारत दुनियां का सबसे समृद्धिशाली देश बनने की काबिलियत रखता है फ़िर शिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी कानून और व्यवस्था के नाम पर फिसड्डी क्यों हैं? भ्रष्ट नेता, बेईमान कर्मचारी और टैक्स चोर उद्योगपतियों की आपस की मिलीभगत ने देश को कंगाल बना रखा है। मुक्ति की याचना।

(गौतम राणे सागर, उप्र प्रभारी, बहुजन मुक्ति पार्टी)

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