DPS News: डीपीएस बोकारो के पूर्व छात्र छात्र हिमांशु बने श्रम प्रवर्तन अधिकारी

DPS News: डीपीएस बोकारो के पूर्व छात्र छात्र हिमांशु वर्ष 2015 बैच का मेधावी छात्र रहे, उनका चयन श्रम प्रवर्तन अधिकारी के रूप में किया गया है।

न्यूज़ इंप्रेशन, संवाददाता

Bokaro: डीपीएस बोकारो से निकले एक और प्रतिभावान छात्र ने राष्ट्रीय स्तर पर इस विद्यालय का नाम गौरवान्वित किया है। वर्ष 2015 बैच का मेधावी छात्र रहे हिमांशु कुमार का चयन श्रम प्रवर्तन अधिकारी के रूप में किया गया है। जल्द ही उसकी पोस्टिंग की जाएगी।यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) परीक्षा में 224वीं रैंक लाकर हिमांशु ने यह उपलब्धि अर्जित की है। देश की सबसे कठिनतम परीक्षाओं में से एक संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में एक बार पुनः अपने विद्यालय से निकले छात्र की इस उपलब्धि पर डीपीएस बोकारो परिवार में हर्ष का माहौल है। प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार ने हिमांशु को बधाई देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास की कटिबद्धता के लगातार सार्थक परिणाम दिख रहे हैं। उन्होंने हिमांशु की सफलता को विद्यालय की उपलब्धियां का एक और नया अध्याय बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि हिमांशु न केवल पढ़ने-लिखने में तेज-तर्रार था, बल्कि सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भी बढ़कर हिस्सा लेता था।

डीपीएस बोकारो से सपनों को मिली उड़ान

हिमांशु ने एक खास बातचीत में कहा कि डीपीएस बोकारो से उसके सपनों को एक नई उड़ान मिली। गांव से यहां आने के बाद उसे करियर के विभिन्न आयामों के बारे में पता चला। विद्यालय में न केवल पढ़ाई, बल्कि संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के उद्देश्य से होने वाली भांति-भांति की गतिविधियों में भी उसने बढ़-चढ़कर भाग लिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता, गिटार-वादन खेलकूद आदि में भी वह शामिल हुआ। इसके परिणामस्वरूप उसके व्यक्तित्व का निखार हुआ। विद्यालय में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल उसके लिए काफी सहायक सिद्ध हुआ। उसने अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता करते हुए इस उपलब्धि का श्रेय उन्हें भी दिया है।

संघर्ष की घड़ी में परिवार बनी ताकत

हिमांशु ने कहा कि उसकी सफलता के पीछे उसके परिवार की भूमिका सबसे शक्तिशाली साबित हुई है। वर्ष 1999 में पिता स्व. अनिल कुमार के निधन के बाद उसे बहुत बड़ा झटका लगा था। लेकिन, उस कठिन परिस्थिति में माता विमला देवी ने किसी तरह उसे पढ़ा-लिखाकर इस मुकाम पर पहुंचाया। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हिमांशु के बड़े भाई ज्ञानदीप कुमार बिहार के नालंदा में युवा जदयू के नेता हैं, जबकि मंझले भाई सुधांशु कुमार एचपीसीएल, मुंबई में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। पूरे परिवार ने उसके सपनों को पूरा करने में ताकत की भूमिका निभाई।

रोजाना 10 घंटे करता था पढ़ाई

हिमांशु इन दिनों दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था और रोजाना लगभग 10 घंटे पढ़ाई करने की कड़ी मेहनत के बाद उसने यह कामयाबी पाई है। उसने बताया कि शुरू से ही वह इस क्षेत्र में जाना चाहता था। साइंस (पीसीएम) स्ट्रीम के विद्यार्थी के तौर पर डीपीएस बोकारो से 2015 में 91 फीसदी से अधिक अंकों से पास होकर उसने आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। वहां उच्च शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी में लग गया। उसकी इस कामयाबी से उसके मूल निवास स्थान नालंदा (बिहार) के बिंद प्रखंड अंतर्गत उतरथु गांव में भी खुशी का माहौल है।

गांधी और स्वामी विवेकानंद हैं आदर्श

हिमांशु ने बताया कि वह राष्ट्रपिता महात्मा के अहिंसात्मक आदर्शों और स्वामी विवेकानंद जी के सिद्धांतों से काफी प्रेरित रहा है। असफलता से घबराकर हताश होने वाले तथा भटकाव की ओर बढ़ जाने वाले युवाओं को अपने संदेश में हिमांशु ने कहा कि कोई भी परीक्षा जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं होती, बल्कि वहीं से एक नई शुरुआत होनी चाहिए। और कड़ी मेहनत करनी चाहिए, तभी कामयाबी मिल सकेगी। उसने यह भी कहा कि इस प्रकार की स्थिति में संबंधित छात्र को करियर विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के साथ-साथ अभिभावकों की ओर से भी सहयोग एवं समुचित दिशा-निर्देशन की आवश्यकता है।

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