Aadivasi Sarna Dharam Chintan Shivir: 19 मई यानी रविवार को टैगोर हिल ओपेन स्पेस थियेटर मोरहाबादी रांची में आदिवासी सरना समाज के तत्वावधान में आदिवासी सरना समाज का धार्मिक-सामाजिक चिंतन शिविर का किया गया आयोजन। तीन प्रस्ताव का लिया गया निर्णय।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Ranchi: 19 मई यानी रविवार को टैगोर हिल ओपेन स्पेस थियेटर मोरहाबादी रांची में आदिवासी सरना समाज के तत्वावधान में आदिवासी सरना समाज का धार्मिक-सामाजिक चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। इस चिंतन शिविर में प्रकृति पूजक आदिवासी सरना समाज पर लगातार हमले और सरना झंडा, सरना धर्म से जुड़े प्रतीकों, चिन्हों का दुरुपयोग को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई। चिंतन शिविर में विभिन्न आदिवासी संगठनों व सरना समिति के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर से सरना धर्म और समाज समुदाय को मजबूत करने पर जोर दिया।
सरना धर्मावलंबियों पर हो रहा चौतरफा हमला इस अवसर पर आदिवासी चिंतक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासी सरना धर्मावलंबियों पर चौतरफा हमला हो रहा है। आज यह समाज विकट संकटों के दौर से गुजर रहा है। जंगल, जमीन, सम्मान पर चोट तो सदियों से जारी है। हमारी प्रकृति में आस्था, विश्वास, पहचान और धर्म सब पर चोट किया जा रहा है। सरना सदान मूलवासी मंच के अध्यक्ष सूरज टोप्पो ने कहा कि आज सरना धर्म इसके झंडे और इसके प्रतीकों/चिन्हों से खिलवाड़ किया जा रहा है। राजनीतिक कार्यक्रमों और अवांछित जगहों पर सरना झंडा, कलशा और रंपा-चंपा जैसे धार्मिक प्रतीक चिह्न का दुरुपयोग किया जा रहा है। आदिवासी समाज को किया जा रहा अपमानित कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा ने कहा कि आदिवासी सरना समुदाय की धार्मिक सामाजिक भावनाओं से खिलवाड़ करके संपूर्ण आदिवासी समाज को अपमानित किया जा रहा है। आदिवासी सरना समाज को इस पर चिंतन मनन करके निर्णय लेना चाहिए। वीर बिरसा मुंडा स्मारक समिति के अध्यक्ष अशोक मुंडा ने कहा कि सभी धर्मों की तरह आदिवासी सरना धर्म का भी सम्मान होना चाहिए। प्रकृति पूजक सरना आदिवासी सभी धर्मावलंबियों का सम्मान करते हैं। समाज सेवी संजय टोप्पो ने कहा कि इस चिंतन शिविर में सर्वसम्मति से एक समिति का गठन किया गया। जिसका नाम “आदिवासी सरना धर्म संरक्षण समिति“ रखा गया।
इन प्रस्तावों को लिया गया 1-सामुदायिक सार्वजनिक जगहों पर किसी भी तरह की धार्मिक-सांस्कृतिक और जमीन की अतिक्रमण पर अविलंब रोक लगाई जाए। 2- प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबी आदिवासी समुदाय के धार्मिक झंडे और इनके चिन्हों/प्रतीकों जैसे रंपा-चंपा, कलशा का प्रयोग किसी भी राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों और अवांछित जगहों जैसे किसी भी राजनेताओं-अधिकारियों के सम्मान और स्वागत में नहीं किया जाए। 3-प्रकृति पूजक सरना आदिवासियों की धार्मिक सामाजिक समुदाय के कायों के लिए चिन्हित जमीन जो किसी गांव- टोले की जमीनों, पहाड़, टोंगरी, नदी, जंगलों में वर्षों से स्थापित है। इससे सुरक्षित किया जाए।
शिविर में इन्होंने लिया हिस्सा
शिविर में 12 पड़हा कांके, नामकुम सरना समिति, आदिवासी युवा शक्ति, केंद्रीय पड़हा कांके, चिरोंदी सरना समिति, केंद्रीय सरना समाज अनगड़ा, बिरसा सेना, साधुलाल मुंडा, सहदेव मुंडा, अमित मुंडा, बहादुर मुंडा, अरुण पहचान, मोहन तिर्की, दरिद्र चंद्र पहान, जगेश्वर मुंडा, अशोक पहान, सधन उरांव, विकास तिर्की, शिवरतन मुंडा, सुनील होरो, मिथिलेश कुमार, शशि मुंडा, दिनेश मुंडा, सिकंदर मुंडा, विजय मुंडा, दिनकर कच्छप, राकेश दोहरा, विकास तिर्की, विक्की करमाली सहित अन्य मौजूद थे।