Biju Janta Dal Crisis: लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज बीजू जनता दल की कद्दावर नेता और संबलपुर की पूर्व विधायक डॉ. रासेश्वरी पाणिग्रही ने इस्तीफा दे दिया है। इससे बीजद को यहां तगड़ा झटका लगा है।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
New Delhi: लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज बीजू जनता दल की कद्दावर नेता और संबलपुर की पूर्व विधायक डॉ. रासेश्वरी पाणिग्रही ने इस्तीफा दे दिया है। इससे बीजद को यहां तगड़ा झटका लगा है। पार्टी में हो रहे बिखराव का सबसे अधिक नुकसान बीजद के महासचिव और संबलपुर से लोक सभा उम्मीदवार प्रणब प्रकाश दास उर्फ बॉबी दास को होगा। वहीं केंद्रीय मंत्री और संबलपुर से भाजपा उम्मीदवार धर्मेन्द्र प्रधान को फायदा मिलता नजर आ रहा है। डॉ रासेश्वरी पाणिग्रही द्वारा बीजद छोड़ने का उनका फैसला ऐसे समय में आया है, जब केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, और बीजद संबलपुर क्षेत्र में अपना आधार बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।
बीजद का सबसे मजबूत चेहरा है माना जाता 2014 में लगभग 10,000 वोट से जीत दर्ज करने वाली डॉ पाणिग्रही पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से 4,380 वोटों के कम अंतर से हार गई थीं, लेकिन उन्हें जिले में बीजद का सबसे मजबूत चेहरा माना जाता है। उनके मजबूत संगठनात्मक कौशल और बीजद के जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ गहरे संबंध के कारण उनके पार्टी छोड़ने से बीजद की न केवल संबलपुर विधानसभा में, बल्कि आसपास की अन्य सीटों पर भी असर पड़ेगा। जनाधार वाली नेता डॉ. पाणिग्रही एक कद्दावर राजनीतिक परिवार से आती हैं और इनके राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि झारसुगुड़ा के सबसे मजबूत नेता रहे दिवंगत बीजद विधायक और स्वास्थ्य मंत्री नब दास भी इसी परिवार की छाया में राजनीति में आगे बढ़े।
मां कू सम्मान के नारे पर भी उठने लगे हैं सवाल माना जा रहा है कि डा. पाणिग्रही को टिकट नहीं दिए जाने से न केवल क्षेत्र पर बीजद की पकड़ कमजोर हो गई है, बल्कि पार्टी की “मां कू सम्मान“ के नारे पर भी सवाल उठने लगे हैं। डॉ पाणिग्रही के अलावा, आठमालिक के मौजूदा विधायक और गोंड समुदाय के प्रमुख नेता रमेश साई ने भी पार्टी में कथित अनुचित व्यवहार के कारण इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसी तरह, कुचिंडा में आदिवासी समुदाय से आने वाले विधायक किशोर नायक को नजर अंदाज कर, दूसरे दल के चेहरे को जगह दी गई है।
चुनावी नैया, पानी में उतरते ही भंवर में फंस गई दो मजबूत आदिवासी विधायकों के एक साथ पार्टी में हाशिए पर धकेलने से पार्टी की आदिवासी रणनीति पर भी सवाल उठने लगे हैं। आदिवासी मतदाताओं के बीच बीजद की पकड़ न केवल कमजोर हुई है, पश्चिमी उड़ीशा में उसकी रणनीति और राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठने शुरु हो गए हैं। अपने मजबूत जमीनी पकड़ और राजनीतिक कौशल के लिए जाने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के प्रवेश ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। प्रधान की बढ़ती लोकप्रियता, “मोदी गारंटी“ और “मिट्टी के बेटे“ का असर, व अपने प्रभावी व्यक्तित्व से संबलपुर लोकसभा क्षेत्र में प्रधान ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। पार्टी में हो रहे बिखराव का सबसे अधिक नुकसान बीजद के महासचिव और संबलपुर से लोक सभा उम्मीदवार प्रणब प्रकाश दास उर्फ बॉबी दास को होगा। संबलपुर से 350 किलो मीटर दूर जाजपुर के विधायक प्रणब दास के लिए संबलपुर क्षेत्र में बढ़ती “मोदी लहर“ के सामने टिके रहना वैसे ही एक कड़ी चुनौती थी, पार्टी में मची खलबली से उनकी चुनावी नैया, पानी में उतरते ही भंवर में फंस गई है। प्रधान की रणनीति और बढ़ते जनसमर्थन के आगे बीजद ताश के पत्तों की तरह ढहती दिख रही है। बीजद ने लगभग दो सप्ताह पहले दास की उम्मीदवारी की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी के कई राजनीतिक दाव उलटे पड़े है, साथ ही धर्मेंद्र प्रधान के मजबूत राजनीतिक प्रबंधन के कारण बीजद का लोकसभा सीट के लिए चुनाव अभियान अधर में लटक गया है। जहां लोक सभा चुनाव में प्रधान की बड़ी जीत लगभग तय दिख रही है, वहीं बीजद के लिए बड़ी चुनौती उन विधान सभा सीटों को बचाकर रखना होगा, जो उसने 2019 विधानसभा चुनाव में जीती थीं।