Sankalp Patra: मोदी के चला-चली का जुमला पत्र है !

Sankalp Patra: आम से खास लोगों में यह धारणा घर कर चुकी थी कि चुनावी घोषणापत्र वास्तविकता के धरातल पर चुनाव में किसी बड़े परिवर्तन का सबब नहीं बनते और चुनावों में उनकी भूमिका भोजन में अचार या पापड़ जैसी होती है जो अगर थाली में न हों तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

लेखकः एचएल दुसाध

( बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष )

न्यूज़ इंप्रेशन

Lucknow: एक ऐसे दौर में जबकि घोषणापत्रों को लेकर आम से खास लोगों में यह धारणा घर कर चुकी थी कि चुनावी घोषणापत्र वास्तविकता के धरातल पर चुनाव में किसी बड़े परिवर्तन का सबब नहीं बनते और चुनावों में उनकी भूमिका भोजन में अचार या पापड़ जैसी होती है जो अगर थाली में न हों तो भी कोई फर्क नहीं पड़ताः 5 अप्रैल को जारी पाँच न्याय, 25 गारंटियों और तीन शताधिक वादों से युक्त कांग्रेस के घोषणापत्र ने इस धारणा को छिन्न-भिन्न कर दिया। कांग्रेस के घोषणा पत्र ने ऐसा जलजला पैदा किया कि यह लोकसभा चुनाव के विमर्श के केंद्र में आ गया। तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने एक स्वर में इसे क्रांतिकारी करार दिया है। किसी ने इसे ‘लोगों की तकदीर बदलने वाला घोषणापत्र’ कहा तो किसी ने इसे ‘क्रांतिकारी दस्तावेज’ बताया। कुछ ऐसे भी राजनीतिक विश्लेषक रहे जिनका कहना रहा कि ऐसा घोषणापत्र आजतक नहीं आया! कइयों का तो कहना रहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा खत्म करने की बात कर, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के जरिए भाजपा की ताबूत में आखिरी कील ठोक दिया है। बहरहाल आर्थिक-राजनीतिक मामलों के जानकार अगर कांग्रेस के घोषणापत्र को क्रांतिकारी दस्तावेज करार दिए तो गलत नहीं किए। कारण, 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति तथा हर ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी युवाओं को प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये प्रतिवर्ष की गारंटी; न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत कानूनी दर्ज़ा देने तथा किसानों के ऋण माफ़ करने; न्यूनतम वेतन 400 रुपये प्रति दिन सुनिश्चित करने के साथ आधी आबादी को सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण और बीपीएल परिवार की महिला को साल में एक लाख अर्थात प्रति माह 8333 रुपये देने जैसी गारंटियों ने इसे सचमुच में क्रातिकारी स्वरूप प्रदान कर दिया था। विशेषकर भागीदारी न्याय के तहत आरक्षण की निर्दिष्ट 50 प्रतिशत की सीमा खत्म करने तथा जितनी आबादी-उतना हक की गारंटी ने सदियों के सामाजिक-आर्थिक अन्याय के शिकार तबकों में इसे लेकर अभूतपूर्व उन्माद पैदा कर दिया। इन सब बातों का असर यह हुआ कि लोग भारी कौतूहल के साथ भाजपा के संकल्प-पत्र की प्रतीक्षा करने लगे।
भाजपाइयों के समझ के बाहर है जुमला पत्र
लेकिन भाजपा ने घोषणापत्र जारी करने में जल्दीबाजी नहीं दिखाया। इस बीच इंडिया गठबंधन से जुड़े वाम दलों, सपा और राजद इत्यादि का भी घोषणापत्र जारी हो गया। इन दलों के भी घोषणापत्रों में ऐसी बहुत सी बातें थीं, जो कांग्रेस के घोषणापत्र की भांति ही क्रांतिकारी थी। सभी ने ही अपने घोषणापत्रों में सीएए को हटाने, एमएसपी लागू करने, युवाओं और महिलाओं का भविष्य सुधारने सहित सामाजिक न्याय के प्रति गहरी प्रतिबद्धता जाहिर की थी। बहरहाल भाजपा की ओर से ज्यों-ज्यों घोषणापत्र जारी करने में बिलंब होता गया, त्यों-त्यों राजनीतिक विश्लेषकों के कौतूहल में इजाफा होते गया। लोग कयास लगाने लगे कि कांग्रेस के घोषणापत्र के नहले पर दहला मारने की तैयारियों में ही भाजपा घोषणापत्र जारी करने में बिलंब कर रही है।अंततः भारी इंतजार के बाद जब आंबेडकर जयंती के दिन भाजपा ने अपना घोषणापत्र जारी कियाः देश के आम जन से लेकर बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक तक हक्के-बक्के रह गह गए और इस पर इनकी जो राय आई, उसका यूट्यूब चैनलों के वीडियों के शीर्षकों में इस तरह प्रतिबिंबित हुआ। ‘भाजपा के नए घोषणापत्र जारी करते ही उड़ गईं धज्जियांः ए तो जुमलापत्र निकला‘ ‘मोदी के मैनीफेस्टो का पोस्टमार्टमः युवाओं को कैसे बना गए उल्लू’; ‘भाजपाइयों के समझ के बाहर है जुमला पत्र। बीजेपी के घोषणापत्र ने दिए बड़े संदेशः पटलता दिख रहा है चुनाव’! इसी तरह का कैप्शन अधिकांश यूट्यूब चैनलों ने बनाया जो इस बात का सकेतक है कि भाजपा के घोषणापत्र ने राजनीतिक विश्लेषकों को बुरी तरह निराश ही नहीं, हैरान भी किया। स्थापित राजनीतिक विश्लेषकों की टिप्पणियों के साथ चैनल देखने वाले दर्शकों का भाजपा के घोषणापत्र पर जो कमेन्ट रहा, वह निश्चय ही भाजपा की नींदें हराम कर देगा!

बीजेपी का घोषणापत्र नहीं, नरेंद्र मोदी का जुमला
एक दर्शक का कमेन्ट रहा,’ 10 साल पहले जिस इंसान के पास देश की हर समस्या का समाधान था, अब वही इंसान सबसे बड़ी समस्या बन गया है।‘’ बीजेपी के घोषणापत्र नें उसकी पोल खोल दी है कि वह हारने वाली है। हमें लगता है कांग्रेस के पूर्ण बहुमत की सरकार देखेंगे ! ’’बीजेपी का घोषणापत्र नहीं, नरेंद्र मोदी का जुमला है। बीजेपी हटाओं, देश और संविधान बचाओं!’ ‘न शिक्षा, न स्वास्थ्य ना युवाओं को रोजगार! केवल अदानी और इवीएम के दम पर 400 पार!’ ’जाते-जाते क्या घोषणा करते, इसलिए कोई घोषणा ही नहीं हुई!’ ’न घोषणा हुआ पूरा, ना संकल्प हुआ पूरा : केवल जुमलों का झुनझुना!’ ‘बीजेपी और आरएसएस को अपना अंत साफ दिखने लगा हैः मोदी का जादू खत्म!’ ’न कोई पार्टी, न कोई गठबंधनः बस एक आदमी देश बनने की कोशिश कर रहा है!’ ’कांग्रेस है, विश्वास है। कांग्रेस है, विकास है। कांग्रेस है, संस्कार है। कांग्रेस है, शांति है। कांग्रेस है, मोहब्बत है। कांग्रेस है, आशा है। कांग्रेस है, गारंटी है। कांग्रेस है, राष्ट्रप्रेम है!’ ‘देश के मुख्य मुद्दे जैसे बेरोजगारी, मंहगाई, गिरती स्वास्थ्य और शिक्षा सेवा ! अग्निवीर का कोई जिक्र नहीं है घोषणापत्र में। ये सिर्फ देश को भ्रमित करने वाला मोदी का जुमलापत्र है!’ ’अबकी बार, मोदी गायों!’ ‘कहां मिले 15 लाख, कहां मिले दो करोड़ रोजगार!’ ’राहुल के मैनिफेस्टो और बीजेपी के मैनिफेस्टो में उतना ही फर्क है, जितना फर्क हाथी और चीटीं में। बस फर्क इतना है कि बीजेपी को ईवीएम पर भरोसा है और राहुल गांधी को जनता पर!’ ‘अब जाने का वक्त हो गया है, हो सकता है चुनावों के बीच ही भाग ले!’ ’सभी देश्वसियों से अनुरोध है कि मोदी के झांसे में न आयेंः राहुल गांधी को सपोर्ट करें और उन्हें प्रधानमंत्री बनाएं!’ ’मोदी के घोषणापत्र में कुछ इसलिए नहीं है, क्योंकि जीतना मोदी को ही हैः ईवीएम जो है!’

लोग संकल्प पत्र के नाम से आए भाजपा के घोषणापत्र से निराश
भाजपा के घोषणापत्र पर चैनलों पर आई लोगों की उपरोक्त प्रतिक्रिया बहुत कुछ कहती है। प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि लोग संकल्प पत्र के नाम से आए भाजपा के घोषणापत्र से बुरी तरह निराश हैं। उन्हें कांग्रेस के घोषणापत्र के समक्ष इसमें कुछ नजर नहीं आता! बहरहाल लोग अगर भाजपा के घोषणापत्र से बुरी तरह निराश और हैरान हैं तो वे गलत नहीं है। आज के दौर में जबकि ‘वर्ल्ड पावर्टी क्लॉक’ के मुताबिक भारत नईजेरिया के 8,30,05,482 के मुकाबले 8,30, 68, 597 से भी बहुत ज्यादा गरीब पैदा कर ‘गरीबी की राजधानी’ का खिताब हासिल कर चुका है; घटिया शिक्षा के मामले में मलावी नामक एक अज्ञात देश के बाद दूसरा देश बन चुका है; आज महिला सशक्तिकारण के मोर्चे पर बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका इत्यादि से लगातार पिछड़ते हुए इस स्थिति में पहुंच गया है, जहां देश की आधी आबादी को पुरुषों की बराबरी पर लाने मे 257 साल लग सकते हैं, ृ आज जहां देश के 22 लोगों के पास उतना धन हो गया है, जितना 77 करोड़ लोगों के पास है, ऐसे विकट हालात से पार पाने का कोई उपाय भाजपा घोषणापत्र नहीं सुझाता। विगत दस वर्षों की उपलब्धियों के नाम पर संकल्प पत्र में महज राम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का उच्छेद, समान नागरिकता लागू करने का ही उल्लेख है। समान नागरिक संहिता(यूसीसी) उत्तराखंड मे लागू हो चुका है और भविष्य में पूरे देश मे लागू की जाएगी, यह बात संकल्प-पत्र कहता है। पिछले दस सालों की इन उपलब्धियों के साथ संकल्प पत्र में अगले पाँच वर्ष से लेकर 2047 देश को विकसित भारत बनाने का रोडमैप पेश किया गया है। प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा है कि उनका एजेंडा अगले 1000 वर्षों के लिए है। 24 अध्याय और 76 पृष्ठों के संकल्प के जरिए जनता को मोदी की गारंटी दी गई है।

संकल्प पत्र में अगले पाँच साल के बजाय 25 सालों का अमूर्त खाका
संकल्प पत्र में मुफ़्त राशन योजना को पाँच साल तक बढ़ाने की गारंटी है, ताकि देश में कोई भूखा न रहे। 70 साल से अधिक के बुजुर्गों और ट्रांस जेंडर को आयुष्मान योजना में शामिल करने की गारंटी है ताकि कोई बिना इलाज के न मरे। भविष्य की तरफ देखने के लिए 6 जी लॉन्च करने, 2036 में ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी करने, गगनयान मिशन, चाँद पर आदमी भेजने की बात कही गई है। ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन का पायलट बनाने, युवाओं का स्वरोजगार की तहत मुद्रा लोन 20 लाख रुपये करने, सबको पक्के घर उपलब्ध करने की बात भी मोदी की गारंटी में शामिल है। संकल्प पत्र में फसलों के भंडारण, सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य में नियमित बढ़ोतरी की बात भी काही गई है। संकल्प पत्र में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनने की बात छोड़कर भाजपा ने अपने को सीएए तक सीमित रखा है। सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी इसकी गारंटी दी गई है। भाजपा के इस घोषणापत्र को प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने हास्यास्पद और मनगढ़ंत बताया है। राहुल गांधी ने कहा है कि बीजेपी के मैनिफेस्टो और नरेंद्र मोदी की गारंटी से दो शब्द गायब है-मंहगाई और बेरोजगारी! लोगों के जीवन से जुड़े सबसे अहम मुद्दों पर बीजेपी चर्चा तक नहीं करना चाहती। इंडिया गठबंधन का प्लान बिल्कुल स्पष्ट है-30 लाख पदों पर भर्ती और हर शिक्षित युवा को एक लाख की पक्की नौकरी। युवा इस बार मोदी के झांसे में नहीं आने वाला, अब वो कांग्रेस का हाथ मजबूत कर देश मे रोजगार क्रांति लाएगा।भाजपा के संकल्प पत्र को उसके नेता और प्रवक्ताओं द्वारा अगले 25 साल का विजन डॉक्यूमेंट प्रमाणित करने का प्रयास हो रहा है। जब योजना अगले 25 वर्षों मे भारत को विकसित बनाने की है तब आम पार्टियों की तरह भाजपा अगले पाँच साल का वादा कैसे करती। लिहाजा उसके संकल्प पत्र में अगले पाँच साल के बजाय 25 सालों का अमूर्त खाका है। उसे भरोसा है कि लोग जिस तरह मोदी की गारंटी और उनके नेतृत्व पर भरोसा करते हैः भाजपा को 400 के पार पहुँचा देंगे। लेकिन भाजपा नेता-प्रवक्ता भूल रहे हैं कि जनता मोदी के वादों और गारंटियों से ऊब चुकी है और सभाओं मे उनका भाषण बीच मे छोड़ कर भागने लगी है। इसका फ्रस्ट्रैशन मोदी के चेहरे पर भी झलकने लगा है। ऐसे में जिस तरह का घोषणापत्र जारी हुआ हुआ है, उससे आम जनता की यह धारणा सही लगती है कि यह मोदी के चला-चली का घोषणापत्र है।

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