Congress Manifesto: क्योंकि कांग्रेस के घोषणापत्र ने छिन्न-भिन्न कर दिया हैः हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना

Congress Manifesto: तमाम भाजपाई नेता-प्रवक्ता सहित भाजपा समर्थक पत्रकार ही कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग और वामपंथियों की छाप बताने में जुट गए। अब हिन्दू-मुस्लिम व राम नाम जपने के सिवाय भाजपा के पास कोई रास्ता नहीं रह गया है !

लेखकः एचएल दुसाध
(बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष)
न्यूज इंप्रेशन
Lucknow: लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियां जोरों पर है। अगर यह जानने का प्रयास हो कि इस चुनाव की अबतक सबसे आलोड़न सृष्टिकारी घटना कौन सी है हो तो उसका जवाब होगा, कांग्रेस का घोषणापत्र! वास्तव में न्याय-पत्र के रूप में आया कांग्रेस का घोषणापत्र इस चुनाव की सबसे आलोड़न सृष्टिकारी घटना है जिसकी चर्चा आम से लेकर खासः सबकी जुबान पर है। एक ऐसे दौर में जबकि घोषणापत्रों को लोग महज चुनाव की औपचारिकत के रूप मे लेने लगे थेः दलित, आदिवासी, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, युवाओं, किसानों और मजदूरों की आशा और आकांक्षा को पंख लगाने वाले कांग्रेस के न्याय पत्र को अधिकांश बुद्धिजीवी लोगों की तकदीर बदलने वाला क्रांतिकारी दस्तावेज साबित करने में एक दूसरे से होड़ लगाने लगे हैं। ऐसे दस्तावेज के जारी होने के अगले दिन प्रधानमंत्री ने न्याय पत्र का नाम लिए बिना ही घोषणापत्र पर हमला करते हुए एक विशाल जनसभा में कह दिया कि कांग्रेस की सोच पर मुस्लिम लीग और वामपंथी हावी हो चुके हैं। भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस दशकों पहले खत्म हो चुकी है। भाजपा राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति पर चलती है। हमारे लिए गरीब कल्याण चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि मिशन है। अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर चुनावी घोषणा नहीं बल्कि हमारा मिशन था। जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हमारा मिशन रहा। कांग्रेस के घोषणापत्र पर संकेतों में जाहिर की गई प्रधानमंत्री की राय का अनुसरण करते हुए तमाम भाजपाई नेता-प्रवक्ता सहित भाजपा समर्थक पत्रकार ही कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग और वामपंथियों की छाप बताने में जुट गए। मोदी की बात का समर्थन करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा,’ मैंने कांग्रेस का मैनिफेस्टो देखा तो मुझे आश्चर्य हुआ कि यह कांग्रेस का घोषणापत्र है या मुस्लिम लीग का! जिस मुस्लिम लीग ने 1929 में धर्म के आधार पर आरक्षण की बात की थी, आज कांग्रेस उसी बात को दोहरा रही है। आज अल्पसंख्यकों के लिए धर्म के आधार पर आरक्षण की बात हो रही है और 50 प्रतिशत अधिक आरक्षण की बात है। वह किसके लिए आरक्षण की बात कर रहे हैं, कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए।‘

घोषणापत्र में कहीं भी मुस्लिम लीग की सोच का प्रतिबिंबन नहीं
भाजपाइयों द्वारा ऐसा करते देख तमाम गैर- भाजपाई बुद्धिजीवियों के साथ दलित बहुजन भौचक्का रह गए, क्योंकि न्याय-पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं जिससे लगे कि यह मुस्लिम लीग से प्रभावित है। 48 पेज के घोषणापत्र में कहीं भी ‘मुस्लिम’ शब्द का उल्लेख नहीं है। आरक्षण पर घोषणापत्र के पृष्ठ 6 पर हिस्सेदारी न्याय के गारंटी नंबर 2 में कहा गया है, ’कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण पर 50 प्रतिशत का कैप हटाएगी।‘ आरक्षण के संबंध में दो और खुली घोषणाएं हैंः एक, यह कि काग्रेस शिक्षा और नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को बिना किसी भेदभाव के सभी जाति और समुदाय के लोगों के लिए लागू कराएगी; दूसरा, कांग्रेस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सभी रिक्त पदों को एक साल के भीतर भरेगी। इसके बाद पेज 16 पर ‘नारी न्या’ के तहत आरक्षण का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस 2025 में महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की आधी (50 प्रतिशत) नौकारियां आरक्षित करेगी। घोषणापत्र में कहीं भी न तो मुसलमानों के लिए आरक्षण का उल्लेख और न ही मुस्लिम लीग की सोच का प्रतिबिंबन!

कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में फैलाया जा रहा उलटी सीधी भ्रांतियां
बुद्धिजीवियों द्वारा मुस्लिम आरक्षण और मुस्लिम लीग वाले दावे का खंडन किए जाने के बावजूद भाजपा समर्थक नेता-पत्रकारों द्वारा घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप और धर्म के आधार पर आरक्षण का अपप्रचार युद्ध स्तर पर जारी रहा। उनके ऐसा करते देख कांग्रेस के नेता-प्रवक्ता भी इसके बचाव में मैदान में कूद पड़े। घोषणापत्र को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और नड्डा इत्यादि पर पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है, ’सभी जानते हैं कि मोदी-शाह के पुरुखों ने 1940 के दशक में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल, सिंध और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत में अपनी सरकार बनाई थी। क्या श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर को ये नहीं लिखा था कि 1942 के कांग्रेस के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को कैसे दबाना चाहिए और इसके लिए वह अंग्रेजों का साथ देने के लिए तैयार है? मोदी-शाह और उनके द्वारा नामित अध्यक्ष (जेपी नड़ड़ा) आज कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में उलटी सीधी भ्रांतियां फैला रहे हैं। मोदी जी के भाषणों में केवल आरएसएस की बू आती है, दिन पर दिन भाजपा की हालत इतनी खस्ता होती जा रही है कि आरएसएस को अपने पुराने मित्र दृ मुस्लिम लीग दृ की याद सत्ताने लगी है। सच केवल एक है कि कांग्रेस के न्याय पत्र पर हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं की छाप है। उनकी सम्मिलित शक्ति मोदी जी के 10 सालों के अन्याय काल का अंत करेगी।‘ कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र से इतने घबराए और डरे हुए हैं कि ‘हिन्दू-मुसलमान की स्क्रिप्ट’ पर उतर आए हैं। 10 साल सत्ता में रहने के बाद आज जब उनको अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाकर वोट मांगना चाहिए तो वे घबरा गए हैं। वह फिर से अपनी वही घिसी-पिटी हिन्दू-मुसलमान जैसी अनर्गल बातों पर उतर आए हैं।‘

कांग्रेस के घोषणा पत्र से प्रतिपक्ष घबराया
अगर कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पर उसके घोषणापत्र से डरने और घबराने का आरोप लग रहा है तो, वह गलत नहीं है। वही संकेत निरपेक्ष राजनीतिक विश्लेषक भी कर रहे हैं। वास्तव में कांग्रेस का घोषणापत्र है ही ऐसा है कि प्रतिपक्ष घबरा और बौखला जाए। लेकिन मोदी की बौखलाहट महज इसलिए नहीं है कि न्याय-पत्र भाजपा के हार की जमीन तैयार कर दिया हैः उनकी बौखलाहट इसलिए है कि कांग्रेस घोषणापत्र ने उस हिन्दू राष्ट्र की जमीन ही खिसका दी है, जिसका सपना भाजपा का पितृ संगठन आरएसएस लंबे समय से देख रहा था। यह एक बच्चा भी जानता है कि भाजपा के पितृ संगठन का सपना उसके जन्मकाल से ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना और घोषणा रहा। हिन्दू राष्ट्र, एक ऐसा राष्ट्र जिसमे देश अंबेडकर के संविधान से नहीं, उस मनु के विधान के तहत चलेगा जिसमें शक्ति के समस्त स्रोतों-आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक और धार्मिक-के भोग के अधिकारी सिर्फ ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों से युक्त उच्च वर्ण का पुरुष समुदाय रहा, जिसकी संख्या आज की तारीख में बमुश्किल 7-8 प्रतिशत है। हिन्दुत्ववादी संघ जिन हिन्दू विधानों द्वारा देश को परिचालित करने का आकांक्षी रहा है, उसमें दलित, आदिवासी, पिछड़े और आधी आबादी के लिए आर्थिक-राजनीतिक-शैक्षिक और धार्मिक गतिविधियां अधर्म घोषित हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों मे प्रचंड आस्था के कारण ही जब डॉ. अंबेडकर के प्रयासों से पूना पैक्ट से आरक्षण का प्रावधान शुरू हुआ, संघ तबसे ही आरक्षण के खात्मे में जुट गया। कारण, जिन दलित-आदिवासियों को हिन्दू धर्म के प्रावधानों के जरिए मानवेतर व दुनिया का सबसे अधिकारविहीन मनुष्य प्राणी में तब्दील कर दिया गया था, वे आरक्षण का लाभ उठाकर सांसद-विधायक, डॉक्टर- इंजीनियर-प्रोफेसर इत्यादि बनकर हिन्दू धर्मशास्त्रों को भ्रांत साबित करने लगे। इसलिए संघ पूना पैक्ट के जमाने से आरक्षण के खात्मे की साजिश में जुट गया।

आरक्षण के खात्मे की ताक में जुटे संघ परिवार
लंबे समय से आरक्षण के खात्मे की ताक में जुटे संघ परिवार को उस समय मौका मिल गया, जब 7 अगस्त, 1990 को मण्डल के जरिए पिछड़ों को मिले आरक्षण के खिलाफ उच्च वर्ण के तमाम तबके- छात्र और उनके अभिभावक, साधु-संत, लेखक-पत्रकार और धन्ना सेठ आरक्षण के खात्मे लिए लामबंद हो गए। इस अवसर का लाभ उठाकर संघ के राजनीतिक संगठन भाजपा ने राम मंदिर का आंदोलन छेड़ दिया। इस आंदोलन के फलस्वरूप हिन्दू धर्मशास्त्रों द्वारा दैविक-गुलाम बनाए गए पिछड़ों के साथ दलित, आदिवासी भी आरक्षण-विरोधी भाजपा के साथ हो लिए। राम मंदिर आंदोलन के जरिए भाजपा चुनाव दर चुनाव शक्तिशाली होती गई और इससे मिली राजसत्ता का इस्तेमाल संघ प्रशिक्षित पहले प्रधानमंत्री वाजपेयी ने आरक्षण के खात्मे के लिए किया। इसके लिए उन्होंने बाकायदे विनिवेश मंत्रालय उन सरकारी कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचना शुरू किया, जहां हिन्दू धर्म के गुलामोंः शुद्रातिशूद्रों को आरक्षण मिलता रहा। किन्तु बाद में राम मंदिर के सहारे ही सत्ता में आए दूसरे संघ प्रशिक्षित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी को भी बौना बना दिया। चूंकि हिन्दू राष्ट्र का छुपा एजेंडा उच्च वर्णों के हाथ में शक्ति के समस्त स्रोत सौंपना तथा शुद्रातिशूद्रों को उस स्थिति में पहुचाना है, जिस स्थिति में उन्हे रहने का निर्देश हिन्दू धर्मशास्त्र देते हैं, इसलिए नफरती राजनीति के चूड़ामणि नरेंद्र मोदी हिन्दू राष्ट्र के हिडेन एजेंडे के तहत देश का सारा कुछ अपने चहेते उच्च वर्ण के हाथों में सौंपने की दिशा में सर्वशक्ति से आगे बढ़े और लक्ष्य साधने में प्रत्याशा से अधिक सफल हो गए। हिन्दू राष्ट्र के लक्ष्य के तहत ही उन्होंने पिछले दस सालों में निजीकरण का सैलाब बहाने के साथ श्रम कानूनों को निरंतर कमजोर करने और नियमित मजदूरों की जगह ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया। हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा कर सत्ता में आए मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल मे सरकारी नौकरियों की भर्ती में प्रायः 90 प्रतिशत की कटौती कर दिया। दलित-पिछड़ों की भांति ही आधी आबादी को शक्ति के स्रोतों के भोग का अनाधिकारी मनाने वाले हिंदुत्ववादी मोदी ने वह कमाल दिखलाया कि ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आधी आबादी को पुरुषों की बराबरी में आने मे 257 साल लग जाएंगे। हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना के तहत उन्होंने नई शिक्षानीति लागू करने के साथ उच्च वर्णों के गरीबों के लिए आनन-फानन मे 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया। लैटरल इंट्री के प्रावधान उन्होंने और भी ढेरों ऐसे काम किए जिससे हिन्दू राष्ट्र की घोषणा के लायक आदर्श स्थिति बन गई।
कांग्रेस के घोषणापत्र से उनकी बौखलाहट चरम पर
2025 में सौवें स्थापना दिवस पर हिन्दू राष्ट्र की घोषणा के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीटें पाना जरूरी था और उनकी नफरती राजनीति से जो माहौल बना उससे लगा, वह 2024 में भी भारी मतों से तीसरी बार सत्ता में कर सकते है, किन्तु गड़बड़ कर दिया राहुल गांधी ने! राहुल गांधी ने 14 जनवरी से मणिपुर से शुरू हुई ‘भारत जोड़ों न्याय यात्रा’ के जरिए धीरे-धीरे जो पाँच न्याय का नक्शा पेश करना शुरू किया, उससे हालात हिन्दू राष्ट्र के विरुद्ध होने लगे। इस यात्रा के जरिए पैदा हुए हालात से उन लोगों का मनोबल बढ़ा जो हिन्दू राष्ट्र के विरुद्ध संघर्ष चला रहे थे। इस यात्रा के शेष होते-होते 5 न्याय के साथ जो 25 गारंटियों का रूप सामने आया, उससे मोदी के 10 सालों के कार्यकाल में भीषण अन्याय का शिकार बने किसानों, युवाओं, श्रमिकों, महिलाओं और दलित- आदिवासी दृ पिछड़ो और धार्मिक अल्पसंख्यकों की आकांक्षा को पर लग गए। और कांग्रेस ने जब भारत जोड़ों न्याय यात्रा में विभिन्न तबकों से मिले सुझावों के आधार पर पांच न्याय, 25 गारंटी और तीन शताधिक वादों से युक्त ‘न्याय पत्र’ नामक अपना घोषणापत्र निकाला, संघ-भाजपा के हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना छिन्न दृभिन्न हो गई। हिन्दू राष्ट्र के जरिए संघ का सपना शक्ति के समस्त स्रोत साढ़े सात प्रतिशत उच्च वर्ण के पुरुषों के हाथ सौंपना में रहा है : न्याय पत्र ने आधी आबादी को सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने व 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा खत्म करने का सपना देकर संघ के सपनों में पलीता लगा दिया है। मोदी ने सिर्फ उच्च वर्णों के गरीबों के लिए जो 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान किया था, उसमें कांग्रेस के घोषणापत्र ने सभी समुदायों के गरीबों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की घोषणा कर दिया है । यही नहीं जितनी आबादी- उतना हक के एलान से यह तय हो गया है कि अब देश का सारा धन- संपदा और तमाम अवसर : भारत के विविध समुदायों की संख्यानुपात मे बँटेगा तथा समतामूलक भारत समाज आकार लेगा। यह हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना पर सबसे बड़ा आघात है। वाजपेयी से लेकर मोदी ने औने- पौने दामों में देश की सारी कंपनियां उच्च वर्णों के हाथों में देने का जो काम किया, सत्ता में आने पर उनकी जांच कराई जाएगीः न्याय पत्र ने यह घोषणा करके मोदी की बौखलाहट और बढ़ा दी है। सरकारी उपक्रमों की बिक्री सहित जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के जांच की घोषणा से ऐसा लगता है कि 4 जून के बाद मोदी जेल में होंगे, इसलिए कांग्रेस के घोषणापत्र से उनकी बौखलाहट चरम पर पहुंच गई और अब हिन्दू-मुस्लिम और राम नाम जपने के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया है !

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