BJP Politics : जब भाजपा 400 के पार कर ही रही थी, तो फिर 22 जनवरी 2024 के बाद लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर ईडी व सीबीआई की छापेमारी क्यों करवाने लगी ? झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने चुनाव के पहले क्यों किया गिरफ्तार ?
प्रो. अलखदेव प्रसाद ’अचल’ न्यूज इंप्रेशन
Bihar: भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ मंत्री कई महीनों से बड़ी-बड़ी सभाओं में यह ताल ठोककर कहते आ रहे थे कि अबकी बार चार सौ के पार जाएंगे। 400 के पार जाने से कोई नहीं रोक सकता है। विपक्षियों में दम नहीं है कि भाजपा को चार सौ पार जाने से रोक सके। सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी के जो भी नेता जिस अहंकार के साथ ये बातें कहते जा रहे थे, तो क्या लगता है कि सरकार के क्रिया-कलापों पर उन्हें विश्वास था कि हमलोगों ने जो आम जनता से वादे किए थे, उसपर पूरी तरह से खरा उतर चुके हैं। इसलिए जनता जब भी वोट देगी, तो हमारी पार्टी के ही पक्ष में वोट देगी। हमारे क्रिया-कलापों से देश की अधिकांश जनता बहुत प्रभावित है। हमारी लोकप्रियता पूरे देश में है। अगर इन तथ्यों पर मूल्यांकन किया जाए, तो यही पता चलता है कि आम जनता के बीच भारतीय जनता पार्टी को लेकर अभी तक यही धारणा बनी हुई है कि ऐसी वाहियात सरकार आजादी के बाद कभी नहीं रही। यह सरकार सिर्फ जुमलेबाजी की सरकार रही। इस सरकार के नेताओं की कथनी और करनी में काफी अंतर देखा गया।
सरकार की तानाशाही रवैया से आम जनता में क्षोभ इसके बावजूद अगर भारतीय जनता पार्टी के नेता यह कहते रहे कि हम 2024 के लोकसभा चुनाव में चार सौ से पर जाएंगे, तो इसका आखिर क्या कारण रहा होगा। इस संदर्भ में उन्हें यही लगता होगा कि चुनाव आयोग से लेकर सारे तंत्र हमारी मुट्ठी में है। हम एन-केन-प्रकारेण किसी भी तरह से चुनाव जीतना चाहेंगे, उसमें विपक्षी नेता चाहे जो भी आरोप लगाएंगे। उसका कोई असर पड़ने वाला नहीं है। दूसरा, उनकी यह भी सोच हो सकती है कि जिस तरह से हमलोगों ने मुसलमानों के प्रति नफरत पैदा की है। इससे तमाम हिन्दुओं में एकजुटता आई है और हमारे प्रति तमाम हिन्दुओं की सहानुभूति बढ़ी है। इसका लाभ हमारी पार्टी को मिलना तय है। तीसरी धारणा यह भी हो सकती है कि जिस तरह से हमलोगों ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर प्रचारित-प्रसारित किया है। इससे हिन्दुओं का आकर्षण हमारी सरकार के प्रति बढ़ी है। इसलिए हमलोग 2024 की लोकसभा चुनाव में अधिक-से-अधिक सीटें जीत सकते हैं। जबकि भीतर-भीतर भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेता यह भी जरूर समझ रहे होंगे कि जिस प्रकार से हमारी सरकार का कुकृत्य रहा है। हमारी सरकार में मानवता शर्मसार हुई है। हमारी सरकार में दलित व आदिवासियों पर अत्याचार हुए हैं। जिस तरह हमारी सरकार की तानाशाही रवैया रहा है। इससे आम जनता में निश्चित रूप से क्षोभ है। फिर भी फेंकने की जो आदत बन चुकी है, तो फेंकते चले आ रहे थे कि हम चार सौ के पार जाएंगे।
भाजपा मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने वाली करती है बातें भारतीय जनता पार्टी को यह विश्वास था कि 22 जनवरी 2024 के बाद पूरे देश में हिन्दू एकजुटता उफान पर दिखेगी। चारों तरफ से हमारी की जय जयकारा होने लगेगी। परंतु उत्तर प्रदेश छोड़कर कहीं से भी ऐसा देखने के लिए नहीं मिला। जिसका लगाव धर्म से रहता है, उसके अंदर तो अंधभक्त रहती ही है। फिर भी भाजपा की तरफ लोगों का वैसा रुझान नहीं देखा गया। जनता आज भी यह मानकर चलती है कि भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के प्रति नफरत फैलाने बातें तो करती है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हिन्दू-मुस्लिम में दंगे तो करवाना चाहती है, परंतु जनसामान्य जनता के हित की बात कभी नहीं सोच पाती है। जब आम जनता एहसास कर सकती है, तो फिर भाजपा वाले कैसे एहसास नहीं करते? जब भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं को यह एहसास हो गया कि राम मंदिर का मुद्दा 2024 के लोकसभा चुनाव में रंग नहीं ला सकेगा। लोगों ने हमारी चालबाजी पकड़ ली है। राम मंदिर का मुद्दा काम नहीं आएगा। तब दूसरे-तीसरे दिन से दूसरी तिकड़म की राजनीति में लग गई। जिस इंडिया गठबंधन उसे भूत की तरह पीछा कर रहा था। उसे ही तितर-बितर करने के षड्यंत्र में लग गयी। भाजपा यह सोचने लगी कि डींग हांकना काम नहीं आ सकेगा। बिहार में भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष सम्राट चौधरी यह कह रहे थे कि इस बार बिहार में 40 में 40 सीट हमारा गठबंधन जीतेगा। यहां से इंडिया गठबंधन को पूरी तरह से आउट कर देंगे।
बंद दरवाजे को भाजपा ने नीतीश के लिए क्यों खोल दिया ? अब सवाल उठता है कि जब चालीस की चालीसों सीटें जब आप जीत ही रहे थे, तो फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिनके लिए भाजपा यह कह चुकी थी कि नीतीश कुमार के लिए हमारे सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं। उसी नीतीश कुमार को अपने गठबंधन में शामिल करने के लिए सारे दरवाजे क्यों खोल दिए गये ? नीतीश कुमार को अपने गठबंधन में शामिल करने के लिए इतनी तिकड़म क्यों रची गयी ? नीतीश कुमार को अपने गठबंधन में शामिल कर इंडिया गठबंधन में क्यों फूट डाली गयी। जिस सम्राट चौधरी ने यह कसमें खाई थी कि मैं अपनी पगड़ी उसी दिन उतारूंगा, जिस दिन नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी उतार नहीं दूंगा। वही सम्राट चौधरी उसी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री की शपथ क्यों ली? जब इंडिया गठबंधन से भारतीय जनता पार्टी से भय नहीं सता रहा था, तो फिर राहुल गांधी की पद यात्रा में क्यों अड़चनें पैदा की जा रही है? क्यों कभी उनकी पद यात्रा पर हमले किये जा रहे हैं, तो कभी रोकने का प्रयास किया जा रहा है? क्यों बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी को अप्रत्यक्ष रूप से धमकाया जा रहा है? जब आप आसानी से चार सौ के पार सीटें जीत ही रहे थे, तो इतना कुछ करने के लिए क्यों षड्यंत्र रच रहे हैं। जाहिर है कि भाजपा सरकार यह सब कुछ बौखलाहट में कर रही है।जिसे आम आदमी भी समझने लगे हैं।
ईडी का इस्तेमाल इंडिया गठबंधन को तोड़ने की साज़िश
जब भारतीय जनता पार्टी चार सौ के पार कर ही रही थी, तो फिर 22 जनवरी 2024 के बाद लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर ईडी और सीबीआई की छापेमारी क्यों करवाने लगी ? झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने चुनाव के पहले क्यों गिरफ्तार किया? दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के बारे में भी बताया जा रहा है कि चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार ईडी और सीबीआई की गिरफ्त में ले सकती है। क्या ऐसा नहीं लगता कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार यह सब कुछ इंडिया गठबंधन को तोड़ने और कमजोर करने की साज़िश का हिस्सा है। ताकि भारतीय जनता पार्टी को 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने में आसानी हो सके? क्या यह सब नहीं दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्षस्थ नेता को भीतर से यह डर सता रहा था कि राम मंदिर काम नहीं आ सकेगा और 2024 के लोकसभा चुनाव में हम बहुमत में नहीं आ सकेंगे। तब तो भाजपा इस तरह का खेल खेलने में लगी हुई है?
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