Anand Marg DMS: आनंदमार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में पुनदाग स्थित आनंदनगर में आयोजित धर्ममहासम्मेलन भक्तिपूर्ण माहौल में प्रारंभ। संघ के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद ने कहा–साधकों को चाहिए कुंठा रहित होकर करें कीर्तन।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता Bokaro : आनंदमार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में पुनदाग स्थित आनंदनगर में आयोजित धर्ममहासम्मेलन (Anand Marg DMS) भक्तिपूर्ण माहौल में शनिवार को प्रारंभ हुआ। डीएमएस का शुभारंभ प्रातः पांचजन्य से हुआ। धर्ममहासम्मेलन में शामिल होने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में सन्यासी, सन्यासिनी व आनंदमार्गी पहुंचे हुए हैं। मार्गियों के आने का सिलसिला अब भी जारी है। बैकुंठ सर्वोच्च धाम आनंदमार्ग प्रचारक संघ के श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अपने प्रथम आध्यात्मिक उद्बोधन में “बैकुंठ सर्वोच्च धाम“ पर वक्तव्य रखते हुए कहा कि अनेक धामों यथा गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ धाम है। उसी प्रकार एक धाम है बैकुंठ धाम। जहां किसी भी प्रकार की कोई ना संकोचन हो ना कुंठा हो अर्थात जहां किसी भी प्रकार की कोई संकुचित चिंता ना हो। उन्होंने कहा कि यह कुंठाएं मानसिक होती है। कुछ विशेष प्रकार की कुंठाएं हैं-हीनमान्यता और महा मान्यता जो परम पुरुष से मनुष्य को अलग रखता है। बैकुंठ मन की वह अवस्था है, जहां ना तो हीनमान्यता है और ना ही महामान्यता है यह कहां है? जब परम पुरुष की गोद में पहुंचकर मनुष्य इन कुंठाओं से मुक्त होकर परम आत्मीय ईश्वर प्रेम की अनुभूति लाभ करता है-बैकुंठ कहलाता है। परमपुरुष की छत्रछाया में कोई कुंठा नहीं होता एक सच्ची घटना के माध्यम से इस बात को पुरोधा ने और भी स्पष्ट किया। यह घटना दो साधकों की उपस्थिति का वर्णन करता है, जिसमें एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी थे और एक साधारण पुलिस बिहार पुलिस के मन में उपजे हीनमान्यता के भाव को बाबा उच्च पदस्थ अधिकारी के बराबर बैठाकर दूर किया। परमपुरुष के निकट उनकी छत्रछाया में कोई कुंठा नहीं होता।
आनंदनगर में बैकुंठ भाव आनंदमार्गियों के लिए आनंद नगर में बैकुंठ भाव में रहें। यहां आकर साधक आनंद की अनुभूति करते हुए कीर्तन करते हैं। साधना करते हैं। तब मन आनंद तरंगों में तरंगायीत रहता है। क्योंकि बाबा “हरि“ उनके मन में बस जाते हैं। हरि रूप में भक्तों के मन में व्याप्त कुंठित विचारों को हरण कर लेते हैं और परम आनंद की अनुभूति कराते हैं। पुरोधा ने कहा कि एक बार बाबा ने आनंदनगर में कहा था कि यहां मेरे बेटियां संकोच रहित रहती है। साधकों को चाहिए कुंठा रहित होकर कीर्तन करें। बाबा भाव में रहे, दिन रात कीर्तन करें, यह हम सबों का बैकुंठ भाव का स्थान है आनंदनगर।