चेतावनी : बोकारो प्रबंधन विस्थापित शब्द चाहती है मिटाना, भविष्य में आंदोलन का सामना करने के लिए रहे तैयार

बोकारो के सेक्टर 4 सिटी सेंटर में बोकारो विधानसभा की पूर्व महागठबंधन प्रत्याशी श्वेता सिंह ने बोकारो प्रबंधन पर प्रहार करते हुए कहा कि प्रबंधन लगातार विस्थापितों की अनदेखी की जा रही है। विस्थापित अपरेंटिस अभ्यार्थी अपनी मांगों को लेकर लगातार कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे, अभी सेल बीएसएल द्वारा जो बहाली निकाली गई है, उसमें ना तो विस्थापितों और ना ही विस्थापित शब्द का जिक्र किया गया और ना ही विस्थापित अपरेंटिस अभ्यर्थियों का। इनको उम्र सीमा में किसी तरह की छूट नहीं दी गई। प्रबंधन एक साजिश के तहत चतुर्थवर्गीय श्रेणी की नौकरी और विस्थापितों की उम्र सीमा जो पूर्व में 35 से 40 साल हुआ करती थी, उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के कई गांवो का ना जाति प्रमाण पत्र बन रहा है और ना ही स्थानीय प्रमाण पत्र। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि प्रबंधन अपना रवैया नहीं बदलती है तो आगामी भविष्य में प्रबंधन उग्र आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहें। झारखंड सरकार के द्वारा विधानसभा में गजट पास किया गया था। स्थानीय विस्थापितों को बड़ी कंपनियां और मल्टीनेशनल कंपनियों में 75 परसेंट तक का नौकरी में आरक्षण दिया गया था ताकि बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सके। इस मामले में बोकारो जिला प्रशासन और प्रबंधन दोनों विफल रही। चास और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है। चास नगर निगम में हर तरफ कचरे का अंबार है। निगम का चास जलापूर्ति योजना पूरी तरह से विफल हो चुकी है। हर जगह पाइप लाइन के नाम पर रोड को तोड़ दिया गया। मुख्य रूप से मुख्य रूप से मौके पर लाल मोहम्मद, भोला पांडे, शाहिद, जुबील, मनोज राय, अरुण सिंह, राजकुमार सिंह, प्रमोद चौधरी, लक्ष्मी नारायण, जयदेव, हाजी अब्दुल मालिक, सोमनाथ, अभिषेक समेत अन्य मौजूद थे।

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