Bokaro: पूर्व विधायक गोमिया सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता योगेंद्र प्रसाद महतो ने गोमिया प्रखंड के ग्राम पंचायत पलिहारी गुरुडीह, ससबेड़ा पूर्वी व गोमिया पंचायत में कोनार नदी से नई पेयजलापूर्ति योजना के मामले में गोमिया विधायक लंबोदर महतो द्वारा राजनीति करने पर कड़ा प्रहार किया है।
न्यूज इंप्रेशन, संवाददाता
Bokaro (Kasmar): झारखंड राज्य समनव्य समिति के सदस्य मंत्री दर्जा प्राप्त, पूर्व विधायक गोमिया सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता योगेंद्र प्रसाद महतो ने गोमिया प्रखंड के ग्राम पंचायत पलिहारी गुरुडीह, ससबेड़ा पूर्वी व गोमिया पंचायत में कोनार नदी से नई पेयजलापूर्ति योजना के मामले में गोमिया विधायक लंबोदर महतो द्वारा राजनीति करने पर कड़ा प्रहार किया है। योगेन्द्र महतो ने विधायक के क्रियाकलापों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पानी, बिजली और अन्य सुविधाएं सरकार मुहैया कराती है या कहें तो सरकार का दायित्व होता है न कि राज्यपाल का। लेकिन विधायक लंबोदर महतो को संवैधानिक मूल्यों की जानकारी नहीं है या जानबूझकर मामले में राजनीति करने के लिए उक्त पंचायतों में पेयजलापूर्ति मामले में राज्यपाल से मिलने का ढ़कोसला कर रहे हैं। जनता समझ रही है गुमराह करने की रणनीति गोमिया की सम्मानित जनता जागरूक है और संवैधानिक ज्ञान भी रखती है, इसलिए विधायक द्वारा जनता को दिग्भ्रमित करने और गुमराह करने की रणनीति को बखूबी समझ रही है। महतो ने कहा कि विधायक लंबोदर महतो कहते हैं कि विधानसभा में मामले को उठाया। लेकिन क्या मामला उठाने मात्र से समस्या का समाधान हो जाता है क्या। सदन में तो हजारों मामले उठते हैं लेकिन अनुपालन हुआ कि नहीं यह महत्वपूर्ण है। अगर उनके उठाए मामले में अनुपालन हुआ है, तो उसकी कॉपी क्यों नहीं दिखाते। सच तो यह है कि विधायक जी पेयजलापूर्ति योजना का श्रेय लेने के चक्कर में संवैधानिक मर्यादाओं को भूल चुके हैं। जबकि, यह सर्वविदित है कि 21 मार्च को मंत्री दर्जा प्राप्त योगेन्द्र प्रसाद महतो ने उक्त पंचायतों के सम्मानित ग्रामीणों की भावनाओं का आदर करते हुए मुख्यमंत्री से भेंट कर डीएमएफटी मद से कोनार नदी से नई पेयजलापूर्ति योजना के निर्माण का आग्रह पत्र सौंपा था। सीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बोकारो उपायुक्त निर्देशित किया था। जिसके बाद प्राक्कलन भी तैयार है और प्रशासनिक स्वीकृति भी जल्द मिलने वाली है। इसी माह टेंडर करने पर बल दिया गया है। कैसे आया अचानक विधायक को याद फिर, विधायक को अचानक यह कैसे याद आ गया। विधायक कहते हैं कि पांच महीने से प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली है, सवाल तो आपसे यही है कि आप इतने महीने कहां सोए हुए थे। और जो विलंब की बात आप कह रहे हैं, उसके जिम्मेवार भी आप ही हैं। सस्ती लोकप्रियता और श्रेय लेने के आपने आदतन व्यवहार के कारण प्रक्रिया शिथिल हुई थी, रुकी नहीं थी। आप कहते हैं कि प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिलेगी तो नवंबर से धरना पर बैठेंगे। अब आप ठहरे धरनाधारी, जब मन करे बैठिए। लेकिन जनता को यह भी बताइए कि चार साल में आपने धरना देने के अलावा कुछ काम भी किया या नहीं। और जिन मुद्दों पर धरना पर भी बैठे एक भी पूरा किए या नहीं।
उनके बॉस ने पेयजलापूर्ति योजना क्यों नहीं उतरवाई
मंत्री दर्जा प्राप्त महतो ने विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब विधायक के बॉस जो अभी गिरिडीह के सांसद हैं और राज्य के पेयजल मंत्री हुआ करते थे, तब उक्त तीनों पंचायतों में नई पेयजलापूर्ति योजना क्यों नहीं उतरवाई। चुनाव के समय भी जनता से यही वादा किया कि योजना लाई जाएगी। जबकि चार साल हो गए। अब जब जनता के समक्ष उनकी पोल खुलने लगी है तो जनता को बरगलाने में लग गए हैं। सरकार के स्तर के कार्यों के लिए राज्यपाल के यहां दौड़ लगाते हैं। विधायक पहले भी विभिन्न मुद्दों पर राज्यपाल के यहां दौड़ लगा चुके हैं। क्या उन मामलों का समाधान हुआ। महतो ने आज अखबारों में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि क्या विधायक ने कोयलांचल विवि से संबंधित एक भी मामले में राज्यपाल से मिले हैं।